दहेज भारत की कई लड़कियों के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं है। ना जाने कितनी लड़कियां इस आग में जली हैं। भारत में साल 1961 से ही दहेज के खिलाफ कानून बन चुका है और 1984 में इसमें कुछ बदलाव भी हो चुके हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि दहेज से जुड़ा यह कानून आज भी कई लोग नजरअंदाज कर देते हैं। दहेज के खिलाफ कई तरह की मुहिम छेड़ी गई है और इसे लेकर ना जाने कितनी बार बात की गई है। ऐसी ही एक मुहिम छेड़ी गई है शादी डॉट कॉम की तरफ से।
हाल ही में शादी डॉट कॉम के सीईओ अनुपम मित्तल का एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें उन्होंने एक 'Dowry Calculator' को प्रमोट किया है। सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट के जरिए वो दहेज को प्रमोट करते दिखे। दरअसल, यह एक मार्केटिंग गिमिक था जिसका उद्देश्य दहेज के खिलाफ आवाज उठाना था।
मित्तल ने अपने वीडियो में बताया कि शादी डॉट कॉम में एक खास फीचर है DowrAI जिसके तहत आप बिना किसी झंझट अपनी शादी के लिए दहेज कैलकुलेट कर सकते हैं। उन्होंने इसके साथ एक डायलॉग भी बोला, "एक चुटकी सिंदूर की कीमत अब तुम भी जानो रमेश बाबू"। उन्होंने पूरे वीडियो में बताया कि पहले दहेज का कैलकुलेशन आसान था और स्ट्रेट फॉर्वर्ड था, लेकिन अब दो इनकम, SIP, मोबाइल फोन, हनीमून डेस्टिनेशन के आधार पर दहेज का कैलकुलेशन करना आसान नहीं रह गया है।
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इस समस्या से बचने के लिए शादी डॉट कॉम पर आपको मिलेगा दहेज कैलकुलेटर। इसमें बस अपनी डिटेल्स डालिए और पता करिए कि आपको अपनी इनकम के हिसाब से कितना दहेज मिल सकता है।
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असल में क्या है अनुपम और शादी डॉट कॉम की यह मुहिम?
DowrAI असल में एक कैलकुलेटर है जो दहेज नहीं, बल्कि इसके कारण हुई मौतों का आंकड़ा देता है। इसे दहेज के खिलाफ एक मार्केटिंग कैम्पेन के रूप में बनाया गया है, जो इस बात को समझाता है कि दहेज लेना परिवारों और जिंदगियों को तबाह कर देता है।
ऐसे तो मुहिम पॉजिटिव साइड देखती है, लेकिन कई सोशल मीडिया यूजर्स को यह पसंद नहीं आई है। अनुपम को ट्रोल भी किया जा रहा है। कारण यह है कि आजकल सीरियस इशू को मजाकिया अंदाज में या किसी गलत तरह से बोलने का ट्रेंड शुरू हो गया है। एक के बाद एक गलत तरह से मीडिया में मार्केटिंग गिमिक आते हैं। बहुत पुराना मामला नहीं है जब पूनम पांडे ने सर्वाइकल कैंसर से अपनी मौत की खबर मीडिया में उड़ा दी थी।
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उस वक्त मीडिया में बहुत सी बातें हुई थीं और एक दिन बाद पूनम ने आकर वीडियो में कहा था कि वो सर्वाइकल कैंसर अवेयरनेस को प्रमोट कर रही हैं।
सोशल मीडिया पर दोनों तरह की बातें हो रही हैं और यहां एक बात ध्यान रखी जा सकती है कि यहां हम उस मुद्दे को ना भूलें जिसकी वजह से वाकई कई लोगों की जिंदगी बर्बाद हो जाती है। NCRB की रिपोर्ट कहती है कि अकेले 2022 में 6000 से ज्यादा लड़कियों की मौत हुई जिसमें दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज हुआ। साल दर साल ऐसे आंकड़े वाकई विचलित कर सकते हैं। अनुपम की कैम्पेन को लेकर आपकी अपनी राय हो सकती है, लेकिन एक बात का ध्यान रखना जरूरी है कि इस प्रथा के खिलाफ आवाज उठाना हमारा भी फर्ज है।
हर साल जब ये आंकड़े सामने आते हैं, तो हमें लगता है कि यह सही नहीं है, लेकिन सिर्फ चिंता जताकर मामले को छोड़ दिया जाता है। जरा सोचिए कि अगर यह आंकड़े नहीं बल्कि हमारे आस-पास मौजूद किसी लकड़ी का नाम होता, तो हमें कितना दुख होता। तब हमें उन परिवारों का असली दुख पता चलता है जिनकी फूल सी बेटी को कभी जलाकर, कभी गला दबाकर और कभी जहर देकर मार दिया जाता है। पर हम इन आंकड़ों के नाम बनने का इंतजार क्यों करें?
क्या आपको नहीं लगता बतौर समाज हमें इसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए?
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