वट पूर्णिमा या वट सावित्री व्रत हर सुहागिन अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती है। आने वाली 3 जून को वट पूर्णिमा पड़ रही है। यह त्यौहार उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात जैसे कुछ राज्यों में बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह ज्येष्ठ की पूर्णिमा पर मनाया जाता है और विवाहित महिलाएं इस दिन बरगद के पेड़ के चारों ओर कच्चा धागा बांधती हैं। वे व्रत रखती हैं और पूजा-अर्चना से इस व्रत को संपन्न करती हैं।
सावित्री व्रत रखने वाली महिलाओं को कुछ नियमों का ध्यान रखना चाहिए। वैसे तो हम महिला जानती है कि इस दिन उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं, लेकिन अगर आप पहली बार व्रत रख रही हैं तो ये नियम आपको भी फॉलो करने चाहिए।
वट पूर्णिमा का महत्व
इस व्रत के महत्व स्कंद पुराण, भविष्योत्तर पुराण, महाभारत आदि शास्त्रों में किया गया है। यह विवाहित महिलाओं द्वारा ही की जाती है और इसलिए उनके जीवन में इसका महत्व विशेष है। यह एक विवाहित महिला द्वारा अपने पति के प्रति समर्पण और सच्चे प्यार का प्रतीक है।
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क्यों मनाई जाती है वट पूर्णिमा?
सावित्री और सत्यवान की कथा हम सभी को बखूबी पता है। सावित्री के पति सत्यवान की जब मृत्यु हुई तो यमराज उन्हें लेने आए, लेकिन अडिग सावित्री ने पति की आत्मा को यमराज के साथ जाने नहीं दिया। सावित्री ने मृत्यु के देवता की स्तुति की और यमराज ने इससे खुश होकर उन्हें 3 वरदान दिए, लेकिन शर्त रखी कि वह सत्यवान का जीवन नहीं मांग सकतीं।
अपने 3 वरदान में सावित्री ने पहले अपने ससुराल वालों को पूरे वैभव के साथ अपने राज्य में वापस लाने के लिए कहा। दूसरे वरदान में उन्होंने अपने पिता के लिए पुत्र मांगा और तीसरे वरदान में उन्होंने अपने लिए बच्चे की प्रार्थना की। सावित्री के तीसरे वरदान को सुनकर यम दुविधा में पड़ गए, लेकिन सावित्री के दृढ़ विश्वास और समर्पण को देखकर उन्होंने सत्यवान के प्राण वापस कर दिए। सावित्री ने बरदग के पेड़ (बरगद के पेड़ के उपाय) के पास जाकर पूजा की और उसकी परिक्रमा की जिसके बाद सत्यवान जाग उठे। बस तभी से इस व्रत को हर महिला रखती है।
वट पूर्णिमा में क्या करना चाहिए
- व्रत करने वाली महिलाओं को सुबह जल्दी उठकर और स्नान करके भगवान सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए।
- बरगद के पेड़ की पूजा और परिक्रमा करनी चाहिए, लेकिन ध्यान रखना चाहिए कि परिक्रमा करते वक्त किसी के पैर किसी दूसरे को न छुएं।
- व्रत करने वाली महिलाओं को बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर व्रत कथा सुननी चाहिए।
- बरगद के पेड़ के नीचे भोग, प्रसाद और फल चढ़ाना चाहिए।
- अगर आप घी का दीया जला रहे हैं तो उसे दाहिनी ओर रखें। तेल के दीये को बाईं ओर रखें।
- महिलाएं पेड़ के चारों ओर एक सफेद कच्चा धागा अवश्य बांधते हैं। अगर आपको सफेद धागा नहीं मिल रहा है तो लाल धागा भी बांधा जा सकता है।
- इसके अतिरिक्त दूसरी बांस की टोकरी में सत्यवान और सावित्री की मूर्तियां रखनी चाहिए।
- अपने बुजुर्गों का आशीर्वाद लेकर जरूरतमंदों को कपड़े, भोजन आदि दान करना चाहिए।
वट पूर्णिमा में क्या नहीं करना चाहिए
- अगर आप व्रत रख रहीं हैं तो स्नान के बाद काले और सफेद वस्त्रों को धारण नहीं करना चाहिए।
- यह व्रत करते समय अपने मन में गलत विचार न आने दें। इसके अतिरिक्त लड़ाई-झगड़ा भी नहीं करना चाहिए।
- इस दिन भूलकर भी तामसिक चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए।
- वट सावित्री की कथा को अधूरा न छोड़ें, भूलकर भी वह अपना पूरा फल नहीं देती।
- बरगद की गलती से भी न तोड़ें। इस दिन ऐसा करने से आपके जीवन में परेशानियां आ सकती हैं।
अगर आप भी वट पूर्णिमा का व्रत रख रही हैं, तो इन बातों का विशेष ध्यान रखें। ऐसा कोई भी काम न करें जिससे आपको मनोवांछित फल न मिल सके।
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Image Credit: Herzindagi, wikipedia
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