Kinnaro Se Juda Rahasya: जब भी घर में कोई शुभ काम हो जैसे कि शादी, मुंडन, तीज-त्यौहार, बच्चे का जन्म आदि सभी में किन्नरों को बुलाया जाता है और उनका आशीर्वाद लिया जाता है। मान्यता है कि शुभ काम के दौरान आए किन्नरों को दक्षिणा देनी चाहिए।
मान्यता यह भी है कि किन्नरों से मिलने वाली दुआओं में बहुत असर होता है। किन्नर जिस भी चीज के लिए आशीर्वाद दे दें वह निश्चित फलित होती है। किन्नरों से जुड़ी ये वो आम बातें हैं जो अमूमन तौर पर सबको पता होती हैं लेकिन आज हम आपको कुछ विशेष बताने जा रहे हैं।
ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि किन्नरों के पास कुछ खास शक्तियां होती हैं जो सभी को नजर नहीं आती हैं। किन्नरों पर भगवान शिव की विशेष कृपा होती है। भगवान शिव के आशीर्वाद से किन्नर अपनी मृत्यु तक का आभास कर पाते हैं। आइये जानते हैं इसके पीछे की सच्चाई के बारे में।
सनातन धर्म में मरणासन किन्नर को दिव्य बताया गया है। यानि कि एक जीवित किन्नर की दुआ जितनी व्यक्ति को लगती है उसके 100 गुना अधिक दुआ एक ऐसे किन्नर की लगती है जो मरने की स्थिति में हो। ऐसा बहुत कम होता है कि किन्नर मरते समय दुआ दे लेकिन अगर दे दी तो सौभाग्य (सौभाग्य के लिए वास्तु के उपाय) जाग उठता है।
सनातन धर्म के अनुसार, किन्नर में स्त्री और पुरुष दोनों तत्व होते हैं और दोनों तत्व एक शरीर में होने के कारण ही वह कई दिव्य शक्तियों से सशक्त होते हैं। इनके भीतर मौजूद इन्द्रियां सामन्य व्यक्ति के मुकाबले साधना के लिए कही अधिक सक्रीय होती हैं। यही कारण है कि यह अपनी मृत्यु का आभास कर लेते हैं।
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हालांकि ऐसा सभी किन्नरों के साथ संभव नहीं। मात्र वो किन्नर जो भगवान की साधना करते हैं, पूजा करते हैं और तप करते हैं उन्हें ही भगवान शिव (भगवान शिव के पांच प्रतीक) की कृपा से यह सिद्धि प्राप्त होती है कि वह न सिर्फ अपनी मृत्यु का आभास कर सकें बल्कि अपनी मृत्यु का सटीक समय और तिथि भी जान पाएं।
मान्यता है कि किन्नर को जब अपनी मृत्यु का एहसास होता है तो वह कहीं भी आना-जाना और खाना खाना बंद कर देते हैं। वह ईश्वरीय पूजा-पाठ में जुट जाते हैं और अगले जन्म में किन्ना न बनने की प्रार्थना करते हैं। एक मात्र किन्नर समुदाय ही है जिनमें रात के समय अंतिम संस्कार किया जाता है।
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किन्नरों का यह नियम होता है कि किन्नर की मृत्यु और उसका अंतिम संस्कार किसी बाहरी को देखने की अनुमति नहीं होती है। इसी कारण से यह रात के अंधेरे में सबसे छुपकर किन्नर समुदाय के व्यक्ति का अंतिम संस्कार करते हैं।
अगर किसी ने मृतक किन्नर को देख लिया तो वह अगले जन्म में फिर किन्नर बनता है। मृतक किन्नर को चप्पल से पीटने की प्रथा भी है। किन्नर समाज में किसी की मृत्यु पर शोक नहीं बल्कि उसकी आजादी के रूप में जश्न मनाया जाता है।
तो इस तरह किन्नरों को पता चलता है अपनी मृत्यु के बारे में। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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