Diwali 2022: दिवाली में मां लक्ष्मी के साथ क्यों वर्जित है भगवान विष्णु की पूजा

मां लक्ष्मी के साथ हमेशा भगवान विष्णु की पूजा भी अनिवार्य है। लेकिन दिवाली पर लक्ष्मी पूजन में श्री हरि का कोई स्थान नहीं है। आइये जानते हैं ऐसा क्यों। 

significance of lakshmi puja on diwali

Diwali 2022 Maa Lakshmi Puja In Hindi: हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस साल दिवाली 24 अक्टूबर सोमवार के दिन मनाई जाएगी। दिवाली पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का विधान है। माना जाता है कि जो भी व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा से दिवाली की रात माता लक्ष्मी और गणेश जी का साथ में पूजन करता है उसके जीवन में कभी भी वैभवता की कमी नहीं होती और न ही उसे कभी कोई आर्थिक संकट घेरता है।

इसके अलावा, मां लक्ष्मी और गणेश जी के साथ साथ मां सरस्वती, मां काली और धन के देवता कुबेर देव भी दिवाले के दिन पूजे जाते हैं। लेकिन गौर करे वाली बात ये है कि जहां हर पूजा में मां लक्ष्मी भगवान विष्णु के साथ विराजमान हैं और श्री हरी के साथ मां लक्ष्मी का पूजन ही पूर्ण फलदायी माना गया है वहां आखिर क्यों दिवाली के दिन मां लक्ष्मी के साथ गणेश जी की पूजा की जाती है। चलिए जानते हैं इसके पीछे का तथ्य। (Diwali 2022 Maa Lakshmi Puja In Hindi)

चातुर्मास के दौरानहोती है दिवाली

दिवाली चातुर्मास के दौरान आती है। चातुर्मास वो समय काल है जब भगवान विष्णु योग निद्रा के आधीन हो कर पाताल में निवास करते हैं। इसी कारण से चातुर्मास के दौरान धार्मिक कार्य भी निषेध हो जाते हैं और भगवान श्री हरी विष्णु की अनुपस्थिति स्वाभाविक तौर पर मानी जाती है। इसी के चलते दिवाली के दिन मां लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु के बजाय प्रथम पूज्य श्री गणेश की पूजा करने की परंपरा है।

दिवाली की रात मां लक्ष्मी अकेले करती हैं भ्रमण

यहां तक कि हिन्दू धर्म के अनुसार, दिवाली की रात मां लक्ष्मी अकेले ही सृष्टि में भ्रमण कर भक्तों को अपना आशीर्वाद प्रदान करती हैं। ऐसा माना जाता है कि ये 4 महीने भगवान विष्णु संसार के पालनहार के दायित्वों को छोड़ विश्राम करते हैं और उय्नकी निद्रा में कोई हस्तक्षेप न करे इसी कारणवश उनका आवाहन किसी भी कार्य में नहीं किया जाता है।

diwali pujan

लेकिन मान्यता है कि दिवाली के बाद पड़ने वाली कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा से बाहर आते हैं और पुनः अपने धाम वैकुण्ठ में अपना स्थान ग्रहण कर मां लक्ष्मी के साथ विराजते हैं। यानी कि देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु के पुनः अपने स्थान पर आने के कारण धार्मिक कार्य भी प्रारंभ हो जाते हैं।

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भगवान विष्णु जिस दिन जागते हैं उसे देव दीपावली के रूप में धूम धाम से मनाया जाता है और मंदिरों में भी भगवान विष्णु के आगमन हेतु जबरदस्त तैयारियां की जाती हैं। मंदिरों में सजावट के साथ भिन्न भिन्न प्रकार के भोगों भी बनाए जाते हैं।

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Image Credit: Freepik

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