दिवाली मुख्य रूप से खुशियों और प्रकाश का पर्व है। यह त्योहार हार पर जीत, अंधेरे पर प्रकाश और अज्ञान पर ज्ञान की विजय का प्रतीक है। इस पर्व को लोग पूरे परिवार के साथ मिल जुलकर मनाते हैं और इस दिन किया गया पूजन आपके जीवन में समृद्धि के द्वार खोलने में मदद करता है।
यह त्योहार एक दिन का न होकर पूरे पांच दिनों तक उत्सव मनाने का होता है और इन दिनों में लोग घर में सदैव समृद्धि की कामना करते हुए माता लक्ष्मी और गणपति का पूजन करते हैं। इस शुभ दिन की तैयारी लोग काफी दिनों पहले से ही शुरू कर देते हैं।
ऐसा माना जाता है कि इस पर्व की पूजा यदि वास्तु के अनुसार की जाए तो घर में सदैव सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है और नकारात्मकता को हमेशा के लिए दूर किया जा सकता है। आइए Life Coach और Astrologer Sheetal Shaparia से जानें दिवाली में वास्तु के अनुसार कैसे पूजन करना आपके जीवन में खुशियां ला सकता है।
दिवाली पूजा आमतौर पर शाम के समय की जाती है और वास्तुशास्त्र में पूजा की सही दिशा का होना जरूरी होता है, क्योंकि इसका असर घर के लोगों के भविष्य पर होता है। पूजा घर के ईशान कोण में होनी चाहिए, जिसे देवों का स्थान माना जाता है।
यदि इस दिशा में पूजा नहीं कर सकते हैं तो घर के दक्षिण पूर्व भाग में भी दिवाली पूजन किया जा सकता है। उस दिशा को अग्नि देवता की दिशा माना जाता है। पूजा हमेशा पूर्व दिशा की ओर मुख करके करना अच्छा माना जाता है।
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वास्तु के अनुसार दिवाली में पूजा के स्थान को आप लाल, हरे, नारंगी, बैंगनी, क्रीम और पीले रंगों से सजा सकती हैं। पूजा के स्थान पर स्वस्तिक वाली रंगोली बनाना बहुत शुभ माना जाता है। दिवाली पूजन के समय धन और समृद्धि की देवी महालक्ष्मी का स्वागत रंगोली बनाकर किया जाता है और स्वस्तिक का चिह्न माता लक्ष्मी का प्रिय चिह्न माना जाता है।
दिवाली के दिन से पहले अपने घर की सफाई अवश्य करें। अपने घर की सफाई करते समय ध्यान रखें कि कहीं भी कूड़ा इकठ्ठा न हो। इसके साथ आपको इस बात का भी ध्यान देना होगा कि घर में कोई भी टूटी मूर्तियां न हों। ऐसी मूर्तियों को दिवाली पूजन से पहले ही विसर्जित कर दें या फिर किसी पेड़ के नीचे रख दें। घर के ईशान कोण में कोई भी नुकीली या टूटी फूटी वस्तु न रखें। घर से कोई भी हिंसक जानवर या विचलित कर देने वाली तस्वीर हटा दें।
जब आप दिवाली पूजन के समय लक्ष्मी जी की और गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें तो ध्यान रखें कि ये मूर्तियां मिट्टी की होनी चाहिए। लक्ष्मी जी की मूर्ति लाल, नारंगी या गुलाबी रंग के वस्त्रों से सुसज्जित होनी चाहिए और चेहरे की बनावट में ख़ुशी झलकनी चाहिए। हमेशा ऐसी मूर्ति रखें जिसमें माता लक्ष्मी आशीर्वाद की मुद्रा में हों। वास्तु के अनुसार गणपति की ऐसी मूर्ति लाएं जिसमें उनकी सूंड़ बाईं तरफ घूमी हुई हो।
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यदि आप दिवाली पूजन में यहां वातए वास्तु नियमों का पालन करेंगी तो आपके जीवन में सुख समृद्धि सदैव बनी रहेगी। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें। इसी तरह के अन्य रोचक लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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