दिवाली का पर्व पूरे देश में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन दीयों और रोशनी से घर को सजाने के बाद लक्ष्मी और गणेश जी का एक साथ पूजन किया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से प्रकाश, ज्ञान और धन-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
दिवाली हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को पड़ती है। इस दिन लोग पूरे घर में रोशनी करते हैं और परिवार सहित मिलकर माता लक्ष्मी जी का पूजन और घर में विराजमान होने की प्रार्थना करते हैं। दिवाली में दीयों की लौ घर की नकारात्मकता को दूर करके उजाले का संचार करती है।
दिवाली के दिन धन की देवी महालक्ष्मी, धन के देवता कुबेर, बुद्धि के देवता भगवान गणेश का पूजन विशेष तौर पर किया जाता है। इस दिन माता सरस्वती और महाकाली का भी पूजन विशेष रूप से किया जाता है। आइए ज्योतिषाचार्य और वास्तु स्पेशलिस्ट डॉ आरती दहिया जी से जानें इस साल कब मनाई जाएगी दिवाली और लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त तथा महत्व क्या है।
दिवाली के दिन मुख्य रूप से गणपति और मां लक्ष्मी की पूजाका विधान है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा अर्चना करने से माता लक्ष्मी घर में पूरे साल निवास करती हैं और जीवनभर भक्तों पर कृपा बरसाती हैं।
इस साल पंचाग के अनुसार कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या 24 अक्टूबर, सोमवार के दिन पड़ेगी। इसलिए इसी दिन दिवाली का पर्व मनाया जाएगा।
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दिवाली में मुख्य रूप से लक्ष्मी पूजन किया जाता है क्योंकि ये ऐसा दिन होता है जब हम ईश्वर का आशीर्वाद ग्रहण कर, उनके प्रति आभार व्यक्त करते हैं। ऐसा माना जाता है कि धन की देवी लक्ष्मी बहुत क्षणिक हैं और वह वहीं रहती है जहां कड़ी मेहनत, ईमानदारी और कृतज्ञता होती है।
यह पर्व लक्ष्मी जी का पूजन करने के साथ जीवन में सफलता के लिए मेहनत का भी पाठ पढ़ाता है। दिवाली के दिन शुभ मुहूर्त के अनुसार लक्ष्मी जी का पूजन विधिपूर्वक करने से समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
ऐसा माना जाता है कि यह पर्व भगवान श्रीराम के लंकापति रावण पर विजय हासिल करने और 14 साल का वनवास पूरा कर घर लौटने की खुशी में मनाया जाता है। इसलिए इस दिन घर को दीपों से सुसज्जित किया जाता है।
दीपावली महोत्सव सिर्फ एक दिन का पर्व न होकर पूरे 5 दिन तक मनाया जाता है। यह त्योहार धनतेरस के दिन से शुरू होकर भाई दूज तक चलता है। इन 5 दिनों के त्योहारों में पहले दिन धनवंतरि भगवान की पूजा होती है और बर्तन या गहने खरीदने का रिवाज है, इस महोत्सव के दूसरे दिन नरक चतुर्दशी तिथि होती है जिसमें यम देव की पूजा और दीपदान किया जाता है।
महोत्सव के तीसरे दिन मुख्य दिवाली होती है जिस दिन माता लक्ष्मी के पूजन के साथ घर को रोशनी से भी सजाया जाता है। दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा का विधान है जिसमें गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाया जाता है और उसकी पूजा की जाती है। गोवर्धन के अगले दिन यानी द्वितीया को भाई-दूज के त्योहार के साथ दिवाली महोत्सव समाप्त हो जाता है।
इस प्रकार शुभ मुहूर्त में दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन विशेष रूप से फलदायी होगा और इससे आपकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Image Credit: freepik and unsplash
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