आजकल ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर सेल बहुत आम हो चुकी है। किसी भी तीज-त्योहार पर ये प्लेटफॉर्म सेल शुरू कर देते हैं। आमतौर पर डिस्काउंट कन्ज्यूमर्स के फैसलों को प्रभावित करने और सेल्स को बढ़ाने में मदद करता है। जब आप किसी दुकान या ई-कॉमर्स वेबसाइट पर डिस्काउंट देखते हैं, तो आप खुद को शॉपिंग करने से रोक नहीं पाते हैं। हालांकि, सभी डिस्काउंट्स एक समान नहीं होते हैं।
आपको सेल में कई तरह के डिस्काउंट्स और ऑफर देखने को मिलते हैं, जैसे- फ्लैट 50%, प्लस 30+10%, Upto 30% और बाय वन गेट वन आदि। हालांकि, कई ग्राहकों को इस तरह के टर्म्स का मतलब नहीं पता होता है, लेकिन ये शब्द सुनते ही लोग खरीदारी की तरफ आकर्षित हो जाते हैं। वहीं, कई बार ढेर सारी खरीदारी के बाद उन्हें जब पता चलता है कि सस्ते के चक्कर में उनका नुकसान हो गया है, तो उन्हें काफी दुख पहुंचता है। इसलिए, आज हम इस आर्टिकल में आपको फ्लैट, अपटू और प्लस डिस्काउंट के बीच का अंतर बताने वाले हैं, ताकि शॉपिंग करते समय आपके मन में संदेह पैदा न हो।
UPTO 50%
जब आपको UPTO 50% जैसा लिखा हुआ दिखाई देता है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि आपको प्रोडक्ट पर 50 फीसदी की छूट मिलने वाली है। दरअसल, UPTO 50% का मतलब होता है कि सेल में मिल रहे प्रोडक्ट्स पर आपको 1 से लेकर 50% तक के बीच कितना भी डिस्काउंट दिया जा सकता है।
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UPTO 50% के साथ 1000 रुपये
कई बार आपने सेल में UPTO 50% के साथ 1000 रुपये लिखा हुआ देखा होगा, जिसका मतलब होता है कि प्रोडक्ट्स पर लिखे गए परसेंट तक आपको डिस्काउंट मिलेगा, लेकिन यह डिस्काउंट लिखे गए अमाउंट से ज्यादा नहीं दिया जाएगा। उदाहरण के तौर पर, अगर किसी शर्ट की कीमत 2000 रुपये है और उस पर लिखा है कि UPTO 50% के साथ 1000 रुपये, तो आपको शर्ट पर 50% तक की छूट मिलेगी, लेकिन कुल डिस्काउंट 1000 रुपये से ज्यादा नहीं मिलेगा।
Flat 50%
अगर आपको किसी भी प्रोडक्ट पर Flat 50% दिखाई देता है, तो इसका मतलब है कि आपको प्रोडक्ट पर एक निश्चित परसेंट की छूट मिलेगी। उदाहरण के तौर पर, अगर किसी शर्ट की कीमत 1000 रुपये है और उस पर 50 फीसदी का फ्लैट डिस्काउंट टैग लगा हुआ है, तो इसका मतलब है कि 1000 का 50 फीसदी यानी 500 रुपये की छूट मिलेगी और आपको शर्ट 500 रुपये की पड़ेगी।
Flat30+10%
कई बार आपको प्रोडक्ट्स पर फ्लैट प्लस डिस्काउंट दिखाई देता है, तो इसका कैलकुलेशन काफी अलग होता है। इसका मतलब है कि आपको पहले प्रोडक्ट पर 30 फीसदी की छूट मिलेगी और फिर छूट मिलने के बाद वाली कीमत पर आपको एक्स्ट्रा 10 फीसदी की छूट मिलेगी। उदाहरण के तौर पर, अगर किसी शर्ट की कीमत 1000 रुपये है और उस पर फ्लैट 30+10% डिस्काउंट लिखा हुआ है, तो आपको पहले 1000 रुपये पर 30 फीसदी का डिस्काउंट यानी 300 रुपये की छूट मिलेगी। फिर शर्ट की कीमत 700 रुपये हो जाएगी और अब 700 रुपये पर 10 फीसदी का डिस्काउंट मिलेगा और 70 रुपये की छूट मिलेगी। कुल मिलाकर आपको शर्ट 630 रुपये की पड़ेगी।
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% डिस्काउंट का साइकोलॉजिकल महत्व
साइकोलॉजी के मुताबिक, जब कोई कन्ज्यूमर % डिस्काउंट देखता है, तो यह उसके मन में अपने पैसों से दुगुनी शॉपिंग करने की धारणा ट्रिगर हो जाती है। इसके अलावा, जब हम % डिस्काउंट देखते हैं, तो तुरंत प्रोडक्ट्स हमें कितने का पड़ेगा इसका आकलन कर लेते हैं। हालांकि, कई बार % डिस्काउंट पर अगर सावधानी से विचार नहीं किया जाए, तो यह कन्ज्यूमर को उल्टा भी पड़ सकता है। अगर कम कीमत वाले प्रोडक्ट्स पर हाई % डिस्काउंट दिया जा रहा है, तो कन्ज्यूमर के लिए यह सटीक सेविंग नहीं है।
Rupee Discount का साइकोलॉजिकल महत्व
वहीं, Rupee Discount एक अलग तरह का साइकोलॉजिकल इम्पैक्ट डालता है। ये कन्ज्यूमर को आसानी से समझ आ जाता है और उन्हें कैलकुलेशन करने में परेशानी नहीं होती है। इसके अलावा, Rupee Discount में कन्ज्यूमर को बिना किसी मैथमेटिक्स के सटीक सेविंग स्पष्ट रूप से बताई जाती है। जब आप ₹200 to ₹199 डिस्काउंट लिखा हुआ देखते हैं, तो कन्ज्यूमर के दिमाग पर यह Disproportionate Impact डालता है, जिससे कीमत काफी लगने लगती है।
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Image Credit - freepik
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