आमतौर पर हम समाचार में भगोड़ा और दिवालिया जैसे शब्द सुनते रहते हैं, लेकिन बहुत से लोगों को इनका सही मतलब और कानूनी प्रक्रिया नहीं पता होती है। इन दोनों शब्दों का इस्तेमाल आमतौर पर तब किया जाता है, जहां किसी व्यक्ति या संस्था ने कर्ज नहीं चुका पाया होता है और कानून से बचने के लिए भाग जाता है। कई बार लोगों को दोनों शब्द एक ही जैसे लग सकते हैं, लेकिन असल में दोनों बिल्कुल अलग होते हैं।
आमतौर पर दिवालिया या डिफॉल्टर उसे कहा जाता है, जो लिए हुए कर्ज को चुकाने में असमर्थ रहता है। उसके पास पर्याप्त पैसा नहीं होता है कि वह देनदारों को चुका पाए। ऐसा स्थिति को भारत में Insolvency and Bankruptcy Code (IBC), 2016 के तहत नियंत्रित किया जाता है। वहीं, भगोड़ा उस इंसान को कहा जाता है, जो भारत की बैंकों या वित्तीय कंपनियों से करोड़ों रुपये उधार लेकर देश छोड़कर भाग जाता है। तब उसे Fugitive Economic Offenders Act 2018 के तहत भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया जाता है।
आज हम इस आर्टिकल में जानते हैं कि भगोड़ा और दिवालिया में क्या अंतर होता है और इन दोनों की कानूनी प्रक्रिया और क्या असर पड़ता है?
भगोड़ा कौन होता है?(what is fugitive)
भगोड़ा उसे कहते हैं, जिस व्यक्ति ने भारत के बैंकों से करोड़ों रुपये की आर्थिक धोखाधड़ी की हो और भारत से विदेश भाग गया हो। इस तरह के मामलों को नियंत्रित करने के लिए भारत में खास कानून बनाया गया है, जिसे भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम 2018 (Fugitive Economic Offenders Act) कहते हैं। इस कानून के तहत, अगर कोई इंसान 100 करोड़ या उससे अधिक की आर्थिक धोखाधड़ी करके भारत से भाग जाता है, तो उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया जाता है। अगर वह व्यक्ति वारंट के बाद भी भारत नहीं लौटता है, तो उसे भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर दिया जाता है।
भगोड़ा कानूनी रूप से कैसे घोषित किया जाता है?(what happens if someone is declared fugitive)
- सबसे पहले प्रवर्तन निदेशालय यानी ED द्वारा स्पेशल कोर्ट में एक आवेदन दाखिल किया जाता है, जिसमें संबंधित इंसान के खिलाफ अपराध, उसकी संपत्ति और जरूरी दस्तावेज शामिल होते हैं।
- फिर, स्पेशल अदालत में इस आवेदन की जांच की जाती है, दोनों पक्षों की सुनवाई होती है और सबूत पेश किए जाते हैं।
- अगर अदालत सबूतों से संतुष्ट हो जाती है, तो वह उस व्यक्ति को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर देती है।
- इसके बाद, कोर्ट उस व्यक्ति की सारी संपत्ति, जिसमें बेनामी संपत्तियां और अपराध से कमाया गया पैसा भी शामिल होता है, जब्त करने का आदेश देता है। भगोड़े की सारी संपत्ति केंद्र सरकार के अधीन हो जाती है।
इसे भी पढ़ें- भारत की बैंकों से करोड़ों रुपये लेकर कोई विदेश भाग जाए, तो क्या होता है? जानिए क्या कहता है कानून
दिवालिया क्या होता है?(what is bankrupt)
जब कोई व्यक्ति या कंपनी कर्ज लेती हैं और कर्ज चुकाने में असमर्थ रहती है, तो ऐसी स्थिति को दिवालियापन कहा जाता है। भारत में इस तरह के मामलों को दिवालियापन संहिता 2016 के तहत निपटाया जाता है।
दिवालिया कानूनी रूप से कैसे घोषित किया जाता है?(what happens if someone is declared bankrupt)
- सबसे पहले, अगर किसी व्यक्ति या कंपनी अपना कर्ज नहीं चुका पा रही है, तो वह कंपनी या इंसान खुद ही Debt Recovery Tribunal या National Company Law Tribunal में दिवालियापन की प्रक्रिया शुरू करने के लिए आवेदन कर सकता है।
- ट्रिब्यूनल आवेदन की जांच करता है और अगर मामला सही है, तो आवेदन को स्वीकार कर लेता है। इसकी सूचना पब्लिकली दी जाती है।
- ट्रिब्यूनल एक रेजोल्यूशन प्रोफेशनल (Resolution Professional) नियुक्त करता है, जो लेनदार या कंपनी की संपत्तियों और वित्तीय स्थिति की जांच करता है और देखता है कि क्या कर्ज को इसके द्वारा चुकाया जा सकता है।
- अगर सॉल्यूशन नहीं निकलता है, तो ट्रिब्यूनल दिवालियापन आदेश जारी कर देता है। इसका मतलब है कि अब उस इंसान या कंपनी की संपत्तियों को बेचा जाएगा और जो रकम आएगी उससे कर्ज चुकाया जाएगा।
इसे भी पढ़ें- बैंक से लोन लेते समय इन चार बातों का रखें ध्यान
भगोड़ा और दिवालिया में अंतर(difference between fugitive and bankrupt)
- जब कोई इंसान कर्ज लेकर जानबूझकर कानून से भागता है और बैंक के साथ धोखाधड़ी करता है, तो उसे भगोड़ा कहा जाता है। वहीं, दिवालिया ऐसा इंसान या कंपनी होती है, जो धोखाधड़ी की वजह से नहीं बल्कि आर्थिक संकट की वजह से कर्ज नहीं चुका पाते हैं। उन्हें दिवालिया कहा जाता है।
- भगोड़े मामलों में आपराधिक प्रक्रिया होती है और इसके तहत व्यक्ति की संपत्ति को जब्त कर लिया जाता है और अगर वह विदेश भाग गया है, तो उसे भारत लाने के लिए Extradition Law का पालन करना पड़ता है। वहीं, दिवालियापन के मामले में, किसी तरह की सजा नहीं दी जाती है।
- दिवालिया घोषित हो जाने के बाद, लेनदार या कंपनी को दो ऑप्शन दिए जाते हैं। पहले तो किश्तों में लोन चुका दो या फिर संपत्ति को बेचकर लोन चुकता कर दो। वहीं, भगोड़ा घोषित होने पर, संबंधित व्यक्ति की भारत और विदेश की सारी संपत्तियों को जब्त कर लिया जाता है और उस पर इंटरनेशनल लेवल पर कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।
अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो आप हमें आर्टिकल के ऊपर दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से
Image Credit - jagrab, freepik
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों