Dev Uthani Ekadashi 2022: कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह एकादशी देवोत्थान या प्रबोधनी एकादशी के नाम से भी प्रसिद्ध है। इस साल देवउठनीएकादशी 4 नवंबर, दिन शुक्रवार को पड़ रही है। हिन्दू धर्म में देवउठनी एकादशी को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस एकादशी के साथ ही चातुर्मास और भगवान विष्णु की निद्रा पूर्ण हो जाती है।
हमारे ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स ने बताया कि इस एकादशी के दिन की गई पूजा सौ गुना फल देती है और व्यक्ति को 1000 यज्ञों के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही हमारे एक्सपर्ट ने देवउठनी एकादशी की संपूर्ण पूजा विधि भी बताई जो आज हम आपके साथ साझा करने जा रहे हैं।
देवउठनी एकादशी 2022 पूजा विधि (Dev Uthani Ekadashi 2022 Puja Vidhi)
- एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
- स्नान के पश्चात भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प लें।
- संकल्प के बाद घर के आंगन को अच्छे से धोकर शुद्ध कर लें।
- फिर घर के आंगन में भगवान विष्णुके पैरों की आकृति बनाएं।
- ध्यान रहे पैरों की आकृति घर के अंदर की तरफ आती ही बनाएं।
- यदि आपके घर में आंगन नहीं है तो आप ये कार्य अपने पूजा घर (पूजा घर के लिए वास्तु टिप्स) में कर सकते हैं।
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- एकादशी के पूरे दिन भगवान विष्णु के मन्त्रों का जाप और पाठ करें।
- रात के समय पूरे घर के साथ साथ घर की चौखट और आंगन में दिए जलाएं।
- भगवान विष्णु के पुनः वैकुण्ठ लौटने की खुशी में दीप जलाने की परंपरा मानी जाती है।
- रात्रि में भगवान विष्णु समेत सभी देवी देवताओं की आरती करें।
- शंख और घंटी बजाकर भगवान विष्णु को उठाएं।
- भगवान विष्णु को भोग लगाएं और प्रसाद वितरण करें।
- एकादशी की अगली सुबह से भगवान विष्णु की नियमित पूजा आरंभ कर दें।
देवउठनी एकादशी के दिन कुछ बातों का विशेष ध्यान रखने के लिए भी कहा गया है। इन बातों की अनदेखी करने से न सिर्फ आपकी पूजा खंडित हो सकती है बल्कि आपको भयकर पाप का भागी भी बना सकती है।
देवउठनी एकादशी 2022 सावधानियां (Dev Uthani Ekadashi 2022 Precautions)
- देवउठनी एकादशी के दिन निर्जला व्रत रखें।
- अगर आप निर्जल नहीं रह सकते तो सिर्फ पानी ही पिएं।
- घर के बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं या बीमारी लोग व्रत के दौरान फलाहार का पालन कर सकते हैं।
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- एकादशी के दिन भूलकर भी चावल (चावल के उपाय) न खाएं।
- मासाहारी या तामसिक भोजन खाने से बचें।
- व्रत का पारण अगले दिन द्वादशी तिथि पर ही करें।
तो ये थी देवउठनी एकादशी की संपूर्ण पूजा विधि और सावधानियां। इस आर्टिकल को शेयर और लाइक जरूर करें, साथ ही कमेंट भी करें। धर्म और त्यौहारों से जुड़े ऐसे ही और आर्टिकल पढ़ने के लिए रहें जुड़े हरजिंदगी से।
Image Credit: Freepik, Herzindagi
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