सनातन धर्म में सभी तिथियों को बेहद शुभ माना जाता है। वहीं पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि के दिन देव दिपावली मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने का विधान है।
इतना ही नहीं, इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से व्यक्ति को सभी पापों से छुटकारा मिल जाता है और मृत्यु के बाद मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। इतनी ही नहीं, इस दिन सत्यनारायण व्रत रखने का भी विधान है। इस दिन पूजा-पाठ करने से दोगुने फल की प्राप्ति होती है।
अब ऐसे में देव दिवाली के दिन कब, कहां और किन स्थानों पर दीपक जलाना शुभ माना जाता है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
देव दिवाली के दिन दीपक जलाने का विशेष महत्व है। वहीं इस साल देव दिवाली का पर्व 15 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन दीपक प्रदोष काल में जलाकर दीपदान करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है।
देव दिवाली पूजा | शुभ मुहूर्त |
देव दिवाली के दिन पूजा और दीए जलाने का शुभ मुहूर्त | 15 नवंबर के दिन प्रदोष काल में शाम 5 बजकर 10 मिनट से शाम 7 बजकर 47 मिनट तक |
देव दिवाली के दिन दीपदान का शुभ मुहूर्त | रात 08 बजकर 46 मिनट से लेकर रात 10 बजकर 26 मिनट तक |
देव दिवाली के दिन भगवान विष्णु के मंदिर में जाकर दीपक जलाएं। उसके बाद नदी किनारे जाकर दीपक जलाएं। अपने घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाएं। ऐसी मान्यता है कि देव दिवाली के दिन दीपदान करने से व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही उत्तम परिणाम भी मिलने लग जाते हैं।
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देव दिवाली के दिन 11, 21, 51और 108 दीए जलाने का विशेष महत्व है। आप इससे ज्यादा भी दीपक जला सकते हैं। इससे व्यक्ति को सभी दोषों से छुटकारा मिल जाता है।
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देव दीपावली पर दीपक जलाने के लिए किसी विशेष संख्या का कोई निश्चित नियम नहीं है। आप जितने चाहें उतने दीपक जला सकते हैं। आप 08 या 12 मुख वाला दीपक जला सकते हैं। इससे उत्तम फलों की प्राप्ति हो सकती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देव दिवाली के दिन दीपदान करने से अकाल मृत्यु से छुटकारा मिल जाता है। भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी की भी कृपा बनी रहती है। अगर आपके जीवन में किसी तरह की कोई परेशानी आ रही है, तो इससे भी छुटकारा मिल सकता है। साथ ही व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष की भी प्राप्ति हो सकती है। इतना ही नहीं, पद्मपुराण के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि उत्तराखंड में स्वयं महादेव ने कार्तिकेय को कृष्ण पक्ष के पांच में दीपदान का महत्व बताया था।
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Image Credit- HerZindagi
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