Service Charge On Restaurant Bills: आजकल रेस्टोरेंट्स के बिल का मामला सुर्खियों में है। कुछ समय पहले की डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स (DOCA) ने रेस्टोरेंट को चेतावनी देते हुए यह याद दिलाया, कि सर्विस चार्ज का भुगतान करना या न करना पूरी तरह से कंज्यूमर पर निर्भर करता है। बिल में सर्विस चार्ज देने के लिए रेस्टोरेंट या भोजनालय किसी भी कंज्यूमर को फोर्स नहीं कर सकते हैं। यह निश्चित रूप से कानून के तहत बाध्यकारी नहीं है।
इसलिए सर्विस चार्ज आपके जेब पर एक तरीके का दबाव ही है। बीते समय में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां रेस्टोरेंट्स ने उपभोक्तारों से बिना उनकी सहमति के सर्विस चार्ज लिया है। ऐसे में रेस्टोरेंट के नियमों से जुड़ी बातों के बारे में आपको जानकारी होनी चाहिए। देर किस बात की, आइए जानते हैं रेस्टोरेंट के बिल से जुड़े नियमों के बारे में-
‘सर्विस टैक्स’ एक प्रकार का कर है, जिसका भुगतान सर्विस प्रोवाइडर(Hotel या Restaurent) सरकार को करता है। वहीं सर्विस चार्ज एक अतिरिक्त टिप की तरह होता है, जो कि सर्विस प्रोवाइडर को उपभोक्ताओं द्वारा मिलती है। बता दें कि बिल में सर्विस टैक्स देना अनिवार्य हैं, उसी जगह सर्विस चार्ज देना पूरी तरह से उपभोक्ता की इच्छा पर निर्भर करता है।
यह किसी भी प्रकार का कर नहीं है और न ही यह सरकार द्वारा चार्ज किया जाता है। बता दें कि आम तौर पर यह चार्ज ट्रांजैक्शन के वक्त लिया जाता है, जो कि बिल का हिस्सा होता है।
भारत सरकार ने 21 अप्रैल साल 2017 को सर्विस चार्ज से जुड़ी गाइडलाइन जारी की थी। जिसमें सरकार ने कहा कि बीते समय से यह बात नोटिस की जा रही है कि कुछ होटल और रेस्त्रां ग्राहकों से जबरन सर्विस चार्ज वसूल रहे हैं। इतना ही नहीं कई रेस्टोरेंट्स के बाहर ही यह लिखा होता है कि अगर उपभोग्ता सर्विस चार्ज देने के लिए सहमत नहीं हों तो वो उस जगह पर न आएं। कानूनी तौर पर अगर ऐसा कुछ होता है, तो ऐसे में उपभोक्ता कंज्यूमर कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा सकता है।
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केवल रेस्टोरेंट्स में ही नहीं बल्कि कई अन्य जगहों पर भी उपभोक्ता को सर्विस चार्ज देना पड़ता है। जिनमें होटल, ट्रैवल और टूरिज्म एजेंसी और बैंक और एटीएम के सर्विस चार्ज भी शामिल होते हैं। इन सर्विस चार्ज में प्रोसेसिंग कॉस्ट को भी शामिल किया जा सकता है।
सर्विस चार्ज लगाने के बाद कई चीजों के दाम ज्यादा बढ़ जाते हैं। इस मामले में रेस्टोरेंट संगठन का यह तर्क है कि उपभोक्ता से मिलने वाला पैसा रेस्टोरेंट के काम नहीं आता है। बल्कि, इन पैसों का इस्तेमाल होटल में काम करने वाले कर्मचारियों और स्टाफ के लाभ में किया जाता है। जिससे उनके ड्रेस से लेकर सैलरी तक की व्यवस्था अच्छे से की जा सके।
हालांकि, रेस्टोरेंट को ऐसे सर्विस चार्ज से काफी फायदा पहुंचता है, क्योंकि सर्विस चार्ज लगने के बाद से ही दामों में उछाल आता है। इसके अलावा सर्विस चार्ज का कितना हिस्सा रेस्टोरेंट के कर्मचारियों तक पहुंचता है या नहीं, इसका कोई प्रमाण नहीं है।
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रेस्टोरेंट के खर्च के लोगों की जेब पर काफी दबाव आता है। ऐसे में इस दबाव को कम करने के लिए सरकार ने 2 जून को बैठक बुलाई है। इस बैठक में होटल और रेस्टोरेंट से जुड़े संगठन भी हिस्सा लेंगे। इसके अलावा जोमैटो, जेप्टो के साथ ओला और उबर जैसी जैसी बड़ी कंपनियों के लोग भी इस बैठक का हिस्सा होंगे। जहां Service Charge इस नियम को लेकर सख्त तौर पर चर्चा की जाएगी। साथ ही सरकार सर्विस चार्ज से जुड़ा ऐसा नियम तैयार करेगी, जीसके जरिए रेस्टोरेंट या होटल जबरन किसी ग्राहक से पैसे न वसूल सकें।
तो ये था सर्विस टैक्स से जुड़ा मामला और उससे जुड़ी कानूनी जानकारियां। आपको हमारा यह आर्टिकल अगर पसंद आया हो तो इसे लाइक और शेयर करें, साथ ही ऐसी जानकारियों के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी के साथ।
Image credit- freepick
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