दिवाली के 6 दिनों के बाद छठ का त्योहार आता है। वैसे तो यह पर्व उत्तर प्रदेश और बिहार में सबसे ज्यादा धूमधाम से मनाया जाता है, मगर अब इसे देश के कोने-कोने में लोग मनाते हैं और यह काफी चर्चित त्योहार भी बन चुका है। आज छठ पर्व है और यह तीन दिन तक मनाया जाने वाला त्योहार है।
इस त्योहार पर छठ माता और सूर्य देव की पूजा की जाती है। छठ माता की पूजा में सबसे विशेष होता है उन्हें चढ़ने वाला चढ़ावा। वैसे हर कोई अपनी आस्था और क्षमता के अनुसार ही छठ माता को छड़ावा चढ़ाता है, मगर कुछ चीजें ऐसी होती हैं, जिन्हें छठ माता को चढ़ने वाली डलिया में रखना ही होता है।
आज हम आपको बताएंगे कि छठ माता को चढ़ने वाली डलिया में आपको क्या-क्या चीजें जरूर रखनी है, जिसके बिना माता की पूजा अधूरी मानी गई है।
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- छठ पूजा में पीतल का सूप, जिसे सूपा भी कहा जाता है सबसे महत्वपूर्ण होता है।
- इसके बाद बांस के फ्ट्टे से बना डलिया लगता है। इसे डगरा या डल्ला भी कहा जाता है।
- इस डलिया में सूतनी, शक्करंकदी, हल्दी की गांठ ( हल्दी के टोटके) और अदरक को पौधे सहित रखा जाता है।
- इतना ही नहीं इस डलिया में पानी वाला हरा नारियल, ईख या गन्ना जिसमें पत्ते लगे होते हैं आदि को भी रखा जाता है।
- इस मौसम में नाशपाति, नींबू और पपीता आदि भी खूब आते हैं और यह भी डलिया में रखा जाता है।
- छठ माता को चढ़ने वाली डलिया में शहद, पान, सुपारी, लौंग और इलायची आदि भी रखा जाता है।

- इस डलिया में सिंदूर, कुमकुम, आलता, मेहंदी और बिंदी आदि सुहाग का सामान भी रखा जाता है।
- लाल चूड़ी, पीली साड़ी, श्रृंगार का सारा सामान भी डलिया में रख कर छठ माता को चढ़ाया जाता है।
- इन सब के अलावा चावल के लड्डू, पुआ, ठेकुआ मुरमुरे, तिल आदि भी डलिया में जरूर रखा जाता है।
- इस डलिया में एक लोहे और तांबे का लोटा भी होता है, जिसमें जल भरकर सूर्य अर्घ्य दिया जाता है।
- आपको बता दें कि छठ की पूजा बिना केले के भी अधूरी मानी जाती है, इसलिए डलिया में केले का पूरा गुच्छा रखा जाता है।
- गुड़ भी बहुत शुभ माना गया है इसलिए छठ माता को चढ़ने वाली डलिया में गुड़ भी रखा जाता है।
ऊपर बताई गई सामग्री महत्वपूर्ण जरूर हैं, मगर ईश्वर अपने भक्तों की श्रद्धा और भक्ति देखता है। आप अपनी क्षमता के अनुसार देवी को जो भी प्रेम से अर्पित करते हैं, देवी उसे स्वीकार कर लेती हैं। हालांकि, यह पर्व महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए विशेष होता है। इसलिए किसी-किसी घर में हर सदस्य छठ माता के लिए व्रत रखता है और अपना अलग चढ़ावा भी चढ़ाता है।
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