भारत में शादी को एक पवित्र बंधन माना जाता है, जिसमें दो लोग जीवन भर साथ रहने का वचन लेते हैं। शादी होने के बाद, इसे कानूनी रूप से मान्यता देने के लिए मैरिज सर्टिफिकेट प्राप्त करना जरूरी है, जिसके लिए रजिस्ट्रार ऑफिस में रजिस्ट्रेशन कराना होता है। न्यूलीमैरिड कपल्स को शादी के 30 दिनों के भीतर मैरिज सर्टिफिकेट के लिए आवेदन कर देना चाहिए। अगर वह तय समय के बाद आवेदन करते हैं, तो लेट फीस देनी पड़ती है। लेट फीस के साथ अगर वे शादी के 5 साल बाद मैरिज सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करते हैं, तो इसके लिए पहले उन्हें जिला रजिस्ट्रार से अनुमति लेनी होती है।
आमतौर पर, भारत में मैरिज सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करने की कोई समय सीमा नहीं है, लेकिन प्रोसेस राज्य या देश के नियमों पर निर्भर करता है। मैरिज सर्टिफिकेट के आवेदन के लिए गवाहों की उपस्थिति और शादी का प्रमाण देने वाले डॉक्यूमेंट्स का हना जरूरी है।
क्या शादी के 10 साल बाद मैरिज सर्टिफिकेट के लिए अप्लाई कर सकते हैं?
हां, भारत में शादीशुदा जोड़े मैरिज सर्टिफिकेट के लिए कभी भी आवेदन कर सकते हैं। आपकी शादी को 10 साल हो गए हों या और भी ज्यादा, लेकिन भारत सरकार के विवाह पंजीकरण के लिए कोई तय समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है। हालांकि, आवेदन देरी से करने पर आपको कुछ अतिरिक्त दस्तावेज़ और सत्यापन की आवश्यकता हो सकती है। यह प्रक्रिया राज्य के नियमों और आप किस अधिनियम के तहत आवेदन कर रहे हैं जैसे- हिंदू विवाह अधिनियम या विशेष विवाह अधिनियम के आधार पर अलग-अलग हो सकती है।
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शादी के 10 साल बाद मैरिज सर्टिफिकेट पाने के लिए आवेदन प्रक्रिया
अगर आपने शादी के 30 दिनों के भीतर मैरिज सर्टिफिकेट के लिए आवेदन नहीं किया होता है, तो आपको विवाह प्रमाण-पत्र पाने के लिए इस तरह से आवेदन करना होगा।
- आवेदन पत्र (ऑनलाइन या मैरिज रजिस्ट्रार के कार्यालय में उपलब्ध)
- पति-पत्नी का ID Proof
- पति-पत्नी का निवास प्रमाण-पत्र
- पति-पत्नी का आयु प्रमाण-पत्र
- मैरिज इन्विटेशन कार्ड
- शादी की तस्वीरें
- शादी में मौजूद गवाहों के पहचान प्रमाण-पत्र
आपको विवाह का विवरण, रजिस्ट्रेशन में देरी का कारण और मैरिटल स्टेट्स डिक्लेरेशन करने वाले एफिडेविट को लगाना होता है।
हिंदू विवाह अधिनियम 1955- उन शादीशुदा जोड़े के लिए लागू हैं, जो पति-पत्नी हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख हैं।
विशेष विवाह अधिनियम 1954- इंटरफेथ या इंटरकास्ट शादी के लिए लागू होता है।
आपको उस क्षेत्र के विवाह रजिस्ट्रार के कार्यालय का पता ढूंढना होगा, जहाँ आपकी शादी हुई थी या जहां आप अभी रहते हैं।
आवेदन पत्र भरकर और जरूरी डॉक्यूमेंट्स लगाकर जमा करना होता है। साथ ही, निर्धारित फीस का भी भुगतान करना होता है।
इसके बाद, रजिस्ट्रार ऑफिस में जमा किए गए डॉक्यूमेंट्स को वेरिफाई किया जाएगा और शादी को मान्य करने के लिए एडिशनल एफिडेविट की मांग भी की जा सकती है। गवाहों को रजिस्ट्रार ऑफिस में इंटरव्यू के लिए बुलाया जा सकता है।
अगर सभी डॉक्यूमेंट्स सही पाए जाते हैं, तो रजिस्ट्रार ऑफिस से मैरिज सर्टिफिकेट को कुछ दिनों या हफ्तों में जारी कर दिया जाएगा।
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10 साल बाद भी विवाह प्रमाण-पत्र होने के लाभ
- मैरिज सर्टिफिकेट केवल कानूनी दस्तावेज नहीं है, बल्कि कई लाभ भी प्रदान करता है।
- मैरिज सर्टिफिकेट, शादी का एक ऑफिशियल प्रूफ है, जिसे भारत सरकार और कोर्ट में मान्यता मिली है।
- शादी के बाद, कई महिलाएं अपना सरनेम चेंज करती हैं, जिसके लिए मैरिज सर्टिफिकेट की जरूरत होती है।
- मैरिज सर्टिफिकेट जीवनसाथी की प्रॉपर्टी, पैतृक संपत्ति और वित्तीय लाभों के अधिकार का लीगल प्रूफ प्रदान करता है।
- कई बीमा पॉलिसियों और बैंक सर्विसेज में जीवनसाथी को नॉमिनी बनाने के लिए मैरिज सर्टिफिकेट जमा करना होता है।
- मैरिज सर्टिफिकेट, सोशल सिक्योरिटी बेनिफिट्स, पेंशन और रिटायरमेंट फंड्स पाने में मदद करता है।
- तलाक, अलगाव, एलिमनी और बच्चे की कस्टडी के मामले में, विवाह प्रमाण-पत्र, शादी के महत्वपूर्ण सबूत के रूप में काम करता है।
देरी से मैरिज रजिस्ट्रेशन कराने पर किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?
अगर आप शादी के 10 साल बाद मैरिज सर्टिफिकेट पाना चाहते हैं, तो आपको शादी की वैधता को प्रूफ करने के लिए हलफनामे या गवाह के बयान जैसे अतिरिक्त सबूत पेश करने पड़ते हैं। अगर शादी के समय गवाह मौजूद नहीं था या उसकी मृत्यु हो गई, तो आपको मुश्किल हो सकती है। कुछ राज्यों में देरी से मैरिज रजिस्ट्रेशन कराने पर लेट फीस लगा दी जाती है। आपको DM से विशेष अनुमति लेने की जरूरत होती है।
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