हिंदू धर्म में सूर्य को अर्घ्य देना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि पानी हमारी सबसे पवित्र सामग्री है और यदि हम इसे सूर्य को अर्पित करते हैं तो जीवन में कई समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है।
सूर्योदय के कुछ समय पश्चात तक सूर्य को अर्घ्य देना जीवन के लिए ज्यादा फलदायी माना जाता है। सूर्य को अर्घ्य देते समय तन और मन दोनों पवित्र होना चाहिए जिससे पूजा का विशेष फल मिले। सूर्य को अर्घ्य देना न सिर्फ पुरुषों बल्कि हम महिलाओं के लिए भी लाभकारी माना जाता है।
यदि हम निश्चित समय और विशेष नियमों को ध्यान में रखकर सूर्य को अर्घ्य देते हैं तो इसके भविष्य के लिए भी बहुत से फायदे होते हैं। एक प्रश्न ये उठता है कि क्या हम महिलाएं पीरियड्स यानी कि मासिक धर्म के समय सूर्य को अर्घ्य दे सकती हैं? इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने एस्ट्रोलॉजर डॉक्टर शेफाली गर्ग से बात की। आइए जानें इसके पीछे के कारणों के बारे में।
शास्त्रों में पीरियड्स के लिए कही गई है ये बात
शास्त्रों के अनुसार पीरियड्स में किसी भी पूजा-पाठ की मनाही होती है। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान मंदिर में भी प्रवेश नहीं करना चाहिए। दरअसल यदि हम शास्त्रों की मानें तो ऐसा इसलिए कहा जाता था क्योंकि प्राचीन काल में महिलाओं के लिए घर में कई ऐसे काम होते थे जिनका संचालन केवल वही करती थीं।
घर संभालने से लेकर बाहर कुएं से पानी लाना और यही नहीं नियमित रूप से घर में पूजा-पाठ करना भी महिलाओं की ही जिम्मेदारी थी। ऐसे में उन्हें कभी भी आराम करने का समय ही नहीं मिलता था, शायद इसी वजह से मासिक धर्म के दौरान कुछ ऐसे नियम बनाए गए जिसमें वो अपने शरीर को आराम दे सकें। इसलिए उन नियमों के पालन के साथ मासिक धर्म के लगभग 5 से 6 दिन उन्हें आराम का समय भी मिल जाता था।
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शरीर में 59 प्रकार की वायु होती हैं
यदि हम विज्ञान की मानें तो शरीर में 59 तरह की वायु होती हैं और 5 प्राण होते हैं। इनमें से प्राण वायु, अपान वायु, समान वायु, उदान वायु और ज्ञान वायु। इन सबका एक विशेष काम होता है। प्रत्येक वायु शरीर के एक विशेष क्षेत्र को नियंत्रित करती है।
यदि इनमें से कोई एक भी वायु असंतुलित होती है तो पूरे शरीर पर इसका बुरा प्रभाव पड़ सकता है। जब महिलाओं को पीरियड्स होते हैं तब इनके शरीर में ऊर्जा नीचे की तरफ चलती है। उस दौरान अपान वायु नीचे से बाहर की तरफ प्रवाहित होती है।
जब हम परमात्मा की किसी भी चीज से जब हम जुड़ते हैं तब ऊर्जा ऊपर की ओर यानी पड़ाव वायु की तरफ बढ़ती है। जब हम किसी भी तरह ईश्वर से जुड़ते हैं तो प्राण वायु ऊपर की ओर बढ़ने लगती है।
क्या पीरियड्स में सूर्य को अर्घ्य देना ठीक है?
शेफाली जी बताती हैं कि जब हम पीरियड्स के दौरान सूर्य को जल (सूर्य देव को जल देने के नियम) देते हैं तब हमारी प्राण वायु सक्रिय होती है जो हमारे शरीर की ऊर्जा को ऊपर की ओर ले जाती है। पीरियड्स के दौरान व्यान वायु भी बहुत सक्रिय होती है जिसका काम है ऊर्जा को शरीर की परिधि से बाहर ले जाना।
पीरियड्स के दौरान जब हमारे शरीर की ऊर्जा नीचे की ओर जा रही होती है और हम उसे ऊपर की ओर खींचने की कोशिश करते हैं तब हमारे शरीर में कुछ समस्याएं हो सकती हैं। ये एक वैज्ञानिक कारण था कि महिलाओं के शरीर में कोई भी ऊर्जा का संतुलन खराब न हो इस वजह से इस दौरान सूर्य को अर्घ्य देने से मना किया जाता है।
धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही कारणों से पीरियड्स के दौरान सूर्य को अर्घ्य देने की मनाही होती है। हालांकि इस दौरान भी आप सूर्य को नमस्कार करके उनके मंत्रों का जाप मन में कर सकती हैं।
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