लड्डू गोपाल को श्री कृष्ण के बाल रूप में पूजा जाता है और उनकी पूजा के कुछ नियम बनाए गए हैं। ऐसा कहा जाता है कि लड्डू गोपाल को तुलसी की पत्तियां चढ़ाना बहुत शुभ होता है और इससे पूजा का पूर्ण फल मिलता है। तुलसी के बिना भगवान विष्णु और उनके अवतार श्रीकृष्ण या लड्डू गोपाल की पूजा अधूरी मानी जाती है।
तुलसी को सदियों से पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक माना गया है। इन्हीं कारणों से जब भी आप लड्डू गोपाल को भोग लगाते हैं तो उसमें तुलसी की पत्तियां जरूर रखते हैं।
आमतौर पर हम तुलसी की पत्तियां तुरंत ही तोड़कर लड्डू गोपाल को अर्पित करते हैं, लेकिन एक सवाल या भी उठता है कि यदि किसी कारणवश आप तुलसी की ताजी पत्तियां कान्हा को नहीं चढ़ा पा रहे हैं तो क्या पहले से रखी बासी तुलसी भी भगवान कृष्ण को चढ़ाई जा सकती है। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें इसके बारे में विस्तार से कि क्या लड्डू गोपाल को बासी तुलसी की पत्तियां चढ़ाना ठीक है?
लड्डू गोपाल को तुलसी चढ़ाने का महत्व
तुलसी को सनातन धर्म में देवी लक्ष्मी का रूप माना गया है। तुलसी के बिना किसी भी धार्मिक अनुष्ठान को पूरा नहीं माना जाता है। खासतौर पर जब कृष्ण जी के पूजन की बात आती है तो पूजा से लेकर प्रसाद तक में तुलसी की पत्तियां जरूर अर्पित की जाती हैं। मान्यता है कि तुलसी की पत्तियों के बिना श्री कृष्ण का पूजन पूर्ण नहीं होता है। श्रीमद भागवत और अन्य पुराणों में भी तुलसी की महिमा का वर्णन किया गया है।
तुलसी की पत्तियां भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय हैं और विष्णु जी के ही प्रतीक शालिग्राम का तुलसी से विवाह भी संपन्न किया जाता है। तुलसी की पत्तियां भगवान के प्रति भक्ति और समर्पण का प्रतीक मानी जाती हैं, इसलिए विष्णु पूजा में इसका उपयोग अत्यंत शुभ माना जाता है।
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क्या लड्डू गोपाल को बासी तुलसी की पत्तियां चढ़ाई जा सकती हैं?
शास्त्रों के अनुसार, पूजा में शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है। इसी कारण से तुलसी की ताजी पत्तियां भगवान को अर्पित करने का विधान है। मान्यता है कि तुलसी की ताज़ी पत्तियां ताजगी और सकारात्मक ऊर्जा और पवित्रता का प्रतीक होती हैं।
आमतौर पर पूजा के लिए अगर तुलसी की पत्तियां ताजी न हों और बासी हो जाएं, तो उनका उपयोग न करने की सलाह दी जाती है। वहीं अगर आप तुलसी की पत्तियां तोड़ने में असमर्थ हैं जैसे यदि पूजा रविवार या एकादशी के दिन हो तो आप पहले से तोड़ी हुई पत्तियां लड्डू गोपाल को चढ़ा सकती हैं। हालांकि आपको इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि तुलसी की पत्तियां सूखी या कटी-फटी नहीं होनी चाहिए। ऐसी पत्तियां लड्डू गोपाल को पूजा में स्वीकार्य नहीं होती हैं।
बासी तुलसी का उपयोग कब कर सकते हैं?
बासी तुलसी की पत्तियों का उपयोग केवल एक ही स्थिति में किया जा सकता है, जब आप उन्हें पानी में भिगोकर संरक्षित कर रहे हों। अगर तुलसी की पत्तियां किसी कारण से सूख गई हैं या कटी हुई हैं तो पूजा में इस्तेमाल न करें।
अगर आप एकादशी या रविवार के दिन पूजा कर रहे हैं और तुलसी की पत्तियां लड्डू गोपाल को भोग में चढ़ानी जरूरी हैं तो आप एक दिन पहले ही सूरज ढलने के पहले पत्तियां तोड़कर तांबे के लोटे में जल भरकर रख दें। अगले दिन पूजन में इन्हीं पत्तियों का इस्तेमाल करें।
लड्डू गोपाल को तुलसी अर्पित करते समय रखें शुद्धता का ध्यान
ध्यान रखें कि बासी तुलसी को अर्पित करते समय उसकी पवित्रता बनी रहनी चाहिए। यदि पत्तियों पर धूल, गंदगी या कीड़े लग गए हों, तो उनका उपयोग भूलकर भी लड्डू गोपाल की पूजा में जा करें। ऐसी तुलसी को किसी भी पूजा में शामिल नहीं किया जा सकता है।
शास्त्रों के अनुसार, तुलसी में मौजूद ऊर्जा भगवान की पूजा में भक्त की भावनाओं को और अधिक प्रभावी बनाती है। बासी तुलसी की पत्तियां इस ऊर्जा को कम कर सकती हैं, इसलिए हमेशा प्राथमिकता ताजी पत्तियों को ही दी जानी चाहिए।
बासी तुलसी का उपयोग पूजा में न करने के ज्योतिषीय कारण
ज्योतिष शास्त्र में तुलसी की पत्तियों को चंद्रमा और बृहस्पति ग्रहों से जोड़ा जाता है। ऐसा माना जाता है कि तुलसी भगवान को अर्पित करने से व्यक्ति के जीवन में चंद्रमा और बृहस्पति के अशुभ प्रभाव दूर होते हैं। लेकिन यदि तुलसी बासी हो, तो यह सकारात्मक ऊर्जा को कम कर सकती है। इसलिए लड्डू गोपाल के पूजन के लिए हमेशा ताजी तुलसी के उपयोग को प्राथमिकता दी जाती है।
लड्डू गोपाल को तुलसी चढ़ाने के सही नियम
आप जब भी लड्डू गोपाल को तुलसी की पत्तियां चढ़ाएं ध्यान रखें कि हमेशा ताजी और साफ पत्तियों का उपयोग करें। तुलसी की पत्तियों को अर्पित करने से पहले पानी से अच्छी तरह से धो लें।
कुछ विशेष परिस्थितियों में अगर किसी वजह से तुलसी की पत्तियां सूख गई हैं लेकिन कहीं से भी कटी-फटी न हो, तो उन्हें भी पूजा में चढ़ाया जा सकता है।
रविवार और एकादशी को तुलसी का पौधा न छुएं। इन दिनों में एक दिन पहले से ही तोड़ी गई पत्तियां इस्तेमाल करें।
शाम के बाद तोड़ी गई तुलसी को बासी माना जाता है। इस समय तोड़ी गई पत्तियों का पूजा में प्रयोग न करें।
शास्त्रों में यह भी उल्लेख है कि यदि भक्त की भावना शुद्ध है, तो भगवान किसी भी पत्ते को प्रसाद रूप में स्वीकार करते हैं। इसलिए आप एक बार चढ़ाई गई तुलसी की पत्ती को पानी से धोने के बाद दोबारा इस्तेमाल कर सकते हैं।
अगर आप लड्डू गोपाल को तुलसी की पत्तियां चढ़ाती हैं तो यहां बताई बातों का विशेष ध्यान रखना जरूरी है। इससे आपको पूजा का पूर्ण फल मिल सकता है।
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