पीपीएफ को एक व्यक्तिगत निवेश योजना है, जिसका उद्देश्य लंबी अवधि के लिए बचत करना है। कोई भी भारतीय नागरिक पब्लिक प्रोविडेंट फंड में निवेश कर सकता है और इसके जरिए लंबे समय के लिए अच्छा खासा फंड जमा कर सकता है। यह स्कीम इनकम टैक्स बचाने के लिहाज से भी काफी अच्छी मानी जाती है। जानकारी के लिए आपको बता दें कि EEE कैटेगरी में आने की वजह से इस स्कीम के जरिए तीन तरह के टैक्स बचाए जा सकते हैं। इनमें इन्वेस्टमेंट, इंट्रस्ट/रिटर्न और मैच्योरिटी शामिल हैं।
पीपीएफ के इन लाभ के बारे में तो आप सभी जानते ही होंगे, लेकिन इस स्कीम से जुड़ी कुछ ऐसी बातें भी हैं, जिनके बारे में बहुत कम ही लोगों को जानकारी है। यदि आप पीपीएफ निवेशक हैं, तो इन्वेस्टमेंट से पहले आपको इससे जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में जान लेना बेहद जरूरी है।
पीपीएफ में नहीं होता है जॉइंट अकाउंट का ऑप्शन
वैसे तो अन्य स्कीम्स में आपको जॉइंट अकाउंट ओपन करने की सुविधा मिल जाती है, लेकिन पीपीएफ में ये सुविधा नहीं दी जाती है। हालांकि, आप पीपीएफ में कई नॉमिनी के नाम जरूर एड कर सकते हैं। साथ ही, उनके अलग-अलग हिस्से भी फिसदी में तय कर सकते हैं। नॉमिनी से फायदा ये होता है कि जब अकाउंट होल्डर की मृत्यु हो जाती है, तो नॉमिनी को वो रकम निकालने का अधिकार प्राप्त हो जाता है।
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क्या पीपीएफ में खोल सकते हैं एक से ज्यादा अकाउंट?
तमाम स्कीम्स के जैसे पीपीएफ में आपको एक से ज्यादा अकाउंट खोलने की सुविधा नहीं दी जाती है। अगर गलती से भी आपके 2 पीपीएफ खाते खोले जा चुके हैं, तो दूसरे अकाउंट को वैध अकाउंट नहीं माना जाएगा। यह वैलिड तब तक नहीं माना जाएगा जब तक दोनों खातों को मर्ज नहीं किया जाता है। आपको बता दें कि तब तक उस पर ब्याज भी नहीं मिलेगा।
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इन्वेस्टमेंट की अधिकतम लिमिट क्या है?
पीपीएफ में इन्वेस्टमेंट की अधिकतम लिमिट सालाना 1.5 लाख रुपए है। अगर आपकी सैलरी बहुत अच्छी है और आप इस स्कीम में ज्यादा इन्वेस्टमेंट करना चाहते हैं, तो ऐसा नहीं कर सकते। इसके लिए आपको निवेश के दूसरे ऑप्शन ढूंढने पड़ते हैं।
बात अगर पीपीएफ की ब्याज दर की करें तो समय के साथ इसकी ब्याज दर भी प्रभावित होती रहती है। ये ब्याज दर फिलहाल 7.1 फीसदी पर बरकरार है। अगर आने वाले समय में ये ब्याज दर और कम हो जाती है, तो लोगों के पास इससे बेहतर रिटर्न देने वाले तमाम विकल्प मौजूद होंगे।
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