हमारे देश में दामाद की काफी इज्जत की जाती है। जब दामाद घर आते हैं, तो उनका स्वागत किसी VIP की तरह किया जाता है। उनके आने पर घर में पकवान बनते हैं और उन्हें हर तरह की सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। आमतौर पर, लोग दामाद को घर का बेटा ही मान लेते हैं। लेकिन, कई बार सवाल उठता है कि क्या दामाद को अपने सास-ससुर की प्रॉपर्टी में हिस्सा लेने का अधिकार है?
कई बार दामाद अपने सास-ससुर के घर को बनवाने में पैसा भी खर्च करता है। ऐसे में उसे लगता है कि उसका भी अब इस संपत्ति पर अधिकार हो चुका है, लेकिन कानून के मुताबिक, अगर सास-ससुर दामाद के नाम से कोई प्रॉपर्टी खरीदते हैं, तब तो उस पर दामाद का हक हो सकता है। इसके अलावा, अगर उक्त प्रॉपर्टी सास-ससुर के नाम पर है, तो उस पर जमाई का अधिकार नहीं हो सकता है। वहीं, अगर किसी सास-ससुर को दामाद को अपनी प्रॉपर्टी ट्रांसफर करनी है, तो लीगल प्रोसेस को फॉलो करना पड़ेगा।
सास-ससुर से दामाद को प्रॉपर्टी ट्रासंफर करने के तरीकों में Sale Deed, Gift Deed और Will शामिल हो सकते हैं। हालांकि, प्रत्येक मैथेड के लिए रजिस्ट्रेशन एक्ट और ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट का पालन करने की जरूरत होती है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि प्रॉपर्टी ट्रांसफर वैध है और कानून द्वारा मान्यता प्राप्त है।
भारत में दामाद को प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने में कई तरह के कानूनी कदम और डॉक्यूमेंटेशन की जरूरत पड़ती है। मुख्य बातों में कानूनी ढांचे को समझना, आवश्यक डॉक्यूमेंट्स जुटाना, ट्रांसफर डीड्स का मसौदा तैयार करना है, स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस का पेमेंट करना, लागू होने पर फैमिली की सहमति पाना और आखिर में ट्रांसफर प्रोसेस को पूरा करना शामिल होता है।
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Gift Deed के जरिए प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने में बिना किसी Monetary Exchange के ट्रांसफर करना शामिल है। इस तरीके से आपका दामाद आपकी प्रॉपर्टी का अधिकारी बन सकता है।
सबसे पहले ससुर को गिफ्ट डीड का मसौदा तैयार करना होता है। इसमें प्रॉपर्टी की डिटेल्स, सास या ससुर का नाम, दामाद का नाम और लागू होने पर कोई भी शर्तें या निर्देश जैसे विवरण शामिल होते हैं।
प्रॉपर्टी को गिफ्ट के तौर पर लेने के बाद, दामाद को स्वीकार करना होता है। जिस राज्य में प्रॉपर्टी स्थित है, वहां पर चल रहे रेट्स के अनुसार, गिफ्ट डीड पर स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान करना होता है। इसके बाद, गिफ्ट डीड को सब-रजिस्टार के ऑफिस में रजिस्टर्ड किया जाता है।
सेल डीड के माध्यम से दामाद को प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने में एक फॉर्मल ट्रांजेक्शन दिखाना होता है, जिसमें एक स्पेसिफाइड प्राइस पर ओनरशिप का आदान-प्रदान किया जाता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि दामाद अब प्रॉपर्टी का नया मालिक बन गया है।
सेल डीड का मसौदा तैयार करने से पहले, सास-ससुर और दामाद को सेल प्राइस डिटेल्स और सेल की किसी भी अतिरिक्त शर्तों पर सहमत होना पड़ता है। फिर, जमाई को सेल डीड पर सिग्नेचर करने से पहले या उसी समय ससुर को एग्रीड -अपॉन सेल प्राइस का पेमेंट करना होता है।
सेल डीड एक कानूनी डॉक्यूमेंट है, जो ससुर से दामाद को प्रॉपर्टी की ओनरशिप ट्रांसफर करती है। इसमें शामिल पक्षों के नाम, पते, प्रॉपर्टी डिटेल्स, सेल प्राइस और नियम-शर्तें जैसी डिटेल्स शामिल होती हैं।
एक बार सेल डीड तैयार होने के बाद, ससुर और दामाद दोनों को कम से कम दो गवाहों की मौजूदगी में सिग्नेचर करने होते हैं। गवाहों को भी डीड पर साइन करना होता है।
जिस राज्य में प्रॉपर्टी है, वहां पर चल रहे रेट्स के अनुसार, सेल डीड पर स्टाम्प ड्यूटी का पेमेंट किया जाता है। फिर, सेल डीड को उस एरिया के सब-रजिस्टार ऑफिस में जाकर रजिस्टर्ड करना होता है, जहां पर संपत्ति स्थित है। रजिस्ट्रेशन प्रोसेस के लिए सेलर और बायर दोनों को 2 गवाहों के साथ उपस्थित होना पड़ता है।
आखिर में दामाद को यह सुनिश्चित करना होता है कि प्रॉपर्टी के रिकॉर्ड में नए मालिक का नाम अपडेट हो चुका हो। इसके लिए, दामाद को स्थानीय नगरपालिका अधिकारियों को सूचित करना होता है।
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वसीयत के जरिए प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने से यह सुनिश्चित होता है कि दामाद को ससुर की मृत्यु के बाद उनकी इच्छा के अनुसार ही प्रॉपर्टी विरासत में मिली है।
इसके लिए ससुर को वसीयत का ड्राफ्ट तैयार करना होता है, जिसमें साफ लिखा होता है कि वह अपनी प्रॉपर्टी अपने दामाद को ट्रांसफर करना चाहते हैं। वसीयत में प्रॉपर्टी डिटेल्स, दामाद का नाम और ट्रांसफर के बारे में कोई विशेष शर्त या निर्देश शामिल होते हैं। हालांकि, वसीयत का रजिस्ट्रेशन जरूरी नहीं है, लेकिन भविष्य में किसी भी तरह के विवाद से बचने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना सही रहता है। रजिस्ट्रेशन Sub-Registrar के ऑफिस में किया जाता है।
इस मामले में Judicial Declaration की मांग की जाती है, जिसमें लिखा होता है कि दामाद, ससुर द्वारा ट्रांसफर प्रॉपर्टी का असली मालिक है। कोर्ट, ट्रांसफर डॉक्यूमेंट्स की वैधता की जांच करता है और यह सुनिश्चित करता है कि स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण के भुगतान समेत सभी लीगर फॉर्मेलिटीज़ पूरी की गई हैं। वैधता की जांच के बाद, न्यायालय दामाद को प्रॉपर्टी की ओनरशिप प्रदान करता है।
वहीं, प्रॉपर्टी रिकॉर्ड्स को अपडेट करने के लिए दामाद को लोकल म्युनिसिपल या रेवेन्यू ऑफिस में प्रॉपर्टी के म्यूटेशन के लिए आवेदन करना होता है।
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