Budget 2024 Expectations: 1 फरवरी, 2024 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 2024-25 के लिए 6वां केंद्रीय बजट पेश करेंगी। बजट में मध्यम वर्ग के लिए कई घोषणाएं की जा सकती हैं।
यहां कुछ संभावित घोषणाएं दी गई हैं जो मध्यम वर्ग को प्रभावित कर सकती हैं:
- आयकर में छूट में वृद्धि: मध्यम वर्ग के लिए आयकर में छूट की सीमा को बढ़ाया जा सकता है। वर्तमान में, 7 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर आयकर से छूट मिलती है। इस सीमा को 8 लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकता है।
- पेंशन योजनाओं में सब्सिडी: सरकार मध्यम वर्ग के लिए पेंशन योजनाओं में सब्सिडी की पेशकश कर सकती है। यह योजनाएं युवाओं को रिटायरमेंट के लिए बचत करने में मदद कर सकती हैं।
- शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च में वृद्धि: सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च में वृद्धि कर सकती है। इससे मध्यम वर्ग के लिए इन सेवाओं को अधिक सुलभ बनाया जा सकता है।
- नौकरी के अवसरों में वृद्धि: सरकार रोजगार सृजन पर ध्यान केंद्रित कर सकती है। इससे मध्यम वर्ग के लिए नौकरी के अवसर बढ़ सकते हैं।

इन घोषणाओं से मध्यम वर्ग को राहत मिल सकती है। हालांकि, यह ध्यान रखना है कि ये केवल संभावित घोषणाएं हैं। वास्तविक घोषणाएं बजट में ही स्पष्ट होंगी।
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Budget 2024 Expectations: जानें आम बजट में मिडिल क्लास के लिए क्या हो सकता है खास
आपको बता दें, जोरदार टैक्स रेवेन्यू के दम पर केंद्र सरकार अंतरिम बजट में मिडिल क्लास के परिवार ग्रामीण इलाकों पर फोकस बढ़ा सकती है। ग्रामीण इलाकों में साबुन, बिस्किट जैसे फास्ट मूविंग कंजयूमर गुड्स की बिक्री सुस्त पड़ने और खाने-पीने की चीजों की ऊंची महंगाई दर को देखते हुए सरकार रूरल कंजम्पशन को बढ़ावा देने वाले कदम उठा सकती है।
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के चीफ इकनॉमिस्ट डीके जोशी ने कहा, 'ग्रामीण क्षेत्रों को वेलफेयर स्कीमों के जरिए सपोर्ट देना जरूरी दिख रहा है, क्योंकि कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है और ग्रामीण इलाकों में कंजम्पशन भी कमजोर है।' दिसंबर तिमाही में देश की सबसे बड़ी कंज्यूमर गुड्स कंपनी हिंदुस्तान यूनीलीवर का मुनाफा 1.1 प्रतिशत ही बढ़ सका। ग्रामीण इलाकों में सुस्त डिमांड का इसमे बड़ा हाथ रहा।
नैशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस ने वित्तिय वर्ष 2023 से 24 के लिए जीडीपी का जो पहला अडवांस एस्टिमेट जारी किया है, उसके मुताबिक एग्रीकल्चर और इससे जुड़े सेक्टरों की ग्रोथ 1.8 पसेंट ही रहने का अनुमान है। इनवेस्टमेंट पर जोर बढ़ने के बावजूद जीडीपी में कंजम्पशन का योगदान अब भी आधे से ज्यादा है। NSO के पहले अडवांस एस्टिमेट के मुताबिक, जीडीपी में प्राइवेट फाइनल कंजम्पशन एक्सपेंडिचर का योगदान 56.9 पर्सेट रहने का अनुमान है, जो साल 2023 में 58.5 पसेंट था।
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साल 2023 से 24 के बजट में केंद्र का कुल टैक्स रेवेन्यू 33 लाख 60 हजार करोड़ रुपये रहने का अनुमान दिया गया था। रेटिंग एजेंसी ICRA की चीफ इकनॉमिस्ट अदिति नायर का कहना है, 'मौजूदा वित्त वर्ष में केंद्र का ग्रॉस टैक्स रेवेन्यू 34 लाख 20 हजार करोड़ रुपये रह सकता है। अगले वित्त वर्ष में इसके 11 प्रतिशत बढ़कर 38 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है।'
इंफ्रास्ट्रक्चर में कम करना होगा निवेश:
क्रिसिल के चीफ इकनॉमिस्ट जोशी ने कहा, 'सरकार ने कहा है कि 2025 से 26 तक फिस्कल डेफिसिट को जीडीपी के 4.5 पर्सेट तक लाना है। इसके लिए फिस्कल कंसॉलिडेशन जरूरी हो जाता है। इंफ्रास्ट्रक्चर में इनवेस्टमेंट पर सरकार का काफी जोर था, लेकिन इसमें कमी लानी होगी, वरना राजकोषीय घाटा कम करना मुश्किल हो जाएगा। लिहाजा कैपिटल एक्सपेंडिचर ज्यादा नहीं बढ़ेगा।'
सरकार कर सकती है कुछ बड़ा ऐलान
वरिष्ठ अर्थशास्त्री डॉ यशवीर त्यागी का कहना है, 'कंजम्पशन की ग्रोथ कम है। अर्थव्यवस्था में जो ग्रोथ हो रही है, वह काफी हद तक सरकारी पूंजीगत निवेश की वजह से है। फूड इफ्लेशन ऊचे स्तर पर है। अंतरिम बजट होता तो वोट ऑन अकाउंट ही है, लेकिन बड़े ऐलान न किए जाएं, ऐसी कोई संवैधानिक रोक भी नहीं है। लिहाजा किसान सम्मान निधि की रकम 6000 रुपये के बजाय 8-10 हजार रुपये की जा सकती है। मनरेगा के लिए आवंटन बढ़ाया जा सकता है। इसमे दैनिक मजदूरी बढ़ाई जा सकती है। विश्वकर्मा सम्मान योजना सहित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और महिलाओं से जुड़ी योजनाओं के लिए प्रावधान बढ़ाए जा सकते है क्योंकि यह चुनाव के पहले का बजट है।'
बढ़ सकता है एग्री-लोन का टारगेट
अंतरिम बजट में कुल 25 लाख करोड़ रुपये तक का कृषि कर्ज देने का लक्ष्य तय किया जा सकता है। मौजूदा वित्त वर्ष के लिए एग्री-क्रेडिट टारगेट 20 लाख करोड़ रुपये का है। अभी किसानों को छोटी अवधि का 3 लाख रुपये तक का कृषि कर्ज 7% ब्याज पर दिया जाता है। समय पर कर्ज चुकाने वालो को 3 प्रतिशत सालाना की ब्याज छूट मिलती है। सूत्रों ने बताया कि वित्त वर्ष 2024-25 के लिए एग्री-क्रेडिट टारगेट बढ़ाकर 25 लाख करोड़ तक किया जा सकता है। इस वित्त वर्ष में करीब 82 प्रतिशत हिस्सा दिसंबर तक हासिल किया जा चुका है। 7 करोड़ 34 लाख किसानों ने किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए कर्ज लिया है।
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