इस राज्य में है इकलौता व चमत्कारी शक्तिपीठ, जहां होता है पिंडदान.. दर्शन मात्र से 7 पीढ़ियों को मिलता है मोक्ष

मां दुर्गा के शक्तीपीठ मंदिरों में जाने के लिए हर लोग उत्सुक रहते हैं। इसी बीच हम यहां आज आपको ओडिशा के बिरजा मंदिर (Biraja Temple) के बारे में बताने वाले हैं। यह ऐसा इकलौता मंदिर है, जहां पिंड दान भी किया जाता है। आइए इस मंदिर से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों की जानकारी हम आपको आगे विस्तार से देते हैं।
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शक्तिपीठ में दर्शन का विशेष महत्व है। कुल 51 शक्तिपीठ हैं, जिनमें से ज्यादातर भारत में ही हैं। ये शक्तिपीठ अपनी विशिष्टता और आध्यात्मिक महत्व के लिए बेहद मशहूर हैं, क्योंकि ये मां दुर्गा के शरीर के अंग से जुड़े मंदिर हैं। दरअसल, सती के जले हुए शरीर से जहां-जहां उनके अंग टूटकर गिरे, वहां-वहां एक शक्तिपीठ स्थापित हो गया है। ऐसे में, शक्तिपीठ मंदिर में दर्शन का हिंदू धर्म में काफी महत्व है। इस बीच आज हम आपको एक अनोखे और चमत्कारी शक्तिपीठ के बारे में बताने वाले हैं, जो अपनी विशिष्टता के लिए जाना जाता है। कहा जाता है कि इसके दर्शन मात्र से ही 7 पीढ़ियों को मोक्ष प्राप्त हो जाता है। दरअसल, ओडिशा में स्थित एकमात्र ऐसा शक्तिपीठ है, जहां पिंड दान किया जाता है। आइए इस चमत्कारी शक्तिपीठ के बारे में विस्तार से जानते हैं।

कहां स्थित है यह खास मंदिर?

Biraja temple in odisha

ओडिशा के जाजपुर में एक खास मंदिरा है, जिसका नाम बिरजा मंदिर (Biraja Temple Odisha) है। यह तीर्थ यात्रियों के लिए एक प्रमुख स्थान माना जाता है। इस मंदिर में मां बिरजा के दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। मंदिर में विधि-विधान से मां बिरजा की पूजा-अर्चना की जाती है।नवरात्र के दौरान तो मां बिरजा का विशेष शृंगार भी किया जाता है। यह मंदिर माता सती के 51 शक्तिपीठों में से एक मानी जाती है और बेहद खास भी है।

कब और किसने बनवाया मंदिर(Biraja Temple History)

गुप्त काल के दौरान बिरजा मंदिर को बनाया गया था। जानकारी के मुताबिक, वर्ष 1568 में अफगान विजय के समय बिरजा मंदिर नष्ट हो गया था और फिर इसे 19वीं शताब्दी में सुदर्शन महापात्र ने मंदिर की मरम्मत करवाकर फिर से शुरुआत की थी।

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क्या है मंदिर की विशेषता

Biraja Temple Jajpur Odisha India

जानकारी के लिए बता दें कि बिरजा मंदिर में माता सती की नाभि गिरी थी। इस मंदिर में एक गहरा कुआं भी है, जो धरती की नाभि के नाम से मशहूर है। इसी कुएं के पानी से लोग अपने पितरों का पिंडदान करते हैं। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां पर पितरों का पिंडदान किया जाता है। बिरजा मंदिर इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां पिंड दान किया जाता है। नवरात्र के दौरान इस मंदिर की खूबसूरती देखने लायक रहती है, क्योंकि इन दिनों दूर-दूर से अधिक संख्या में भक्त माता के दर्आशन करने आते हैं। धार्मिक मान्यता है कि माता पार्वती ने महादेव को पाने के लिए इसी स्थान पर तपस्या की थी। इसलिए इस मंदिर में 800 साल से स्थापित 108 शिवलिंग भी स्थापित है।

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मां बिरजा मंदिर का महत्व

BIraja temple history and significance

मां बिरजा को पूजे जाने वाला यह मंदिर बेहद खास है। मंदिर में माता की मूर्ति पर मस्तक में महादेव, चंद्रमा, नागराज और भगवान गणेश की आकृतियां बनी हुई हैं, जो देखने में बेहद खास लगती है। मां बिरजा के स्वरूप को महिषासुर मर्दिनी के रूप में पूजा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में मां बिरजा के दर्शन करने मात्र से ही सात पीढ़ियों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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Image credit- Freepik


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