नीतीश कुमार के 'महिला हो, कुछ जानती नहीं हो...' बयान से समझ आती है महिलाओं के प्रति नेताओं की सोच

नीतीश कुमार ही नहीं, इसके पहले भी कई नेताओं ने ऐसे विवादित बयान देकर यह साबित किया है कि महिलाओं के लिए पॉलिसी बनाने वाले नेताओं का महिलाओं के बारे में ही क्या ख्याल है?

Nitish kumar sexist remark on women

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर से चर्चा में हैं। उन्होंने संसद के हंगामे के बीच कुछ ऐसा कहा है जो कई कर्मठ महिलाओं को ठेस पहुंचा सकता है। बिहार विधानसभा में मानसून सत्र चल रहा है और आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर से गर्म है। पिछले साल बिहार में 50% से बढ़ाकर 65% तक आरक्षण देने का प्रावधान बनाया गया था। उसे ही लागू करने की बात को लेकर संसद में बहस छिड़ी थी।

विपक्ष की विधायक रेखा देवी ने इस विषय में विरोध करना शुरू किया और इसी बात पर नीतीश कुमार को गुस्सा आ गया। उन्होंने जो बयान दिया वो किसी भी हालत में सही नहीं माना जा सकता है।

नीतीश कुमार ने महिलाओं की सूझबूझ पर ही उठा दिए सवाल...

नीतीश कुमार ने रेखा देवी को चुप करवाते हुए कहा, "अरे तुम महिला हो, कुछ जानती नहीं हो। कहां से आते हैं, इन लोगों ने कुछ किया है? 2005 के बाद से महिला को हमने ही आगे बढ़ाया है। चुपचाप बात सुनो, अभी हम बोल रहे हैं..."

इस बयान के बाद संसद में हंगामा शुरू हो गया और नीतीश कुमार ने यह भी पूछा कि आखिर हंगामा क्यों हो रहा है? उनके हिसाब से उन्होंने कुछ गलत किया ही नहीं था। यह पहली बार नहीं है जब किसी नेता ने इस तरह का बयान दिया है जिससे उनकी सेक्सिस्ट सोच का पता चलता है। इससे पहले भी कई बार नेताओं की तरफ से महिलाओं के लिए विवादित बयान आ चुके हैं। कुछ भी आगे कहने से पहले हम पिछले कुछ सालों के ऐसे बयान देख लेते हैं जहां महिलाओं के बारे में कुछ ना कुछ कहा गया है।

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"धूप में हड़ताल करेंगी, तो रंग काला हो जाएगा" : लक्ष्मीकांत पारसेकर, पूर्व गोवा सीएम

साल 2015 की बात है जब तत्कालीन गोवा के चीफ मिनिस्टर लक्ष्मीकांत पारसेकर ने नर्सों की भूख हड़ताल पर कहा था कि धूप में हड़ताल करने से उनका रंग काला हो जाएगा और शादी के अच्छे रिश्ते नहीं आएंगे। हालांकि, इस बात की पुष्टी सीएम ऑफिस की तरफ से नहीं की गई, लेकिन हड़ताल कर रही नर्सों ने यही बयान दिया था।

"संस्कार से रेप रोके जा सकते हैं" : सुरेंद्र सिंह, भाजपा

यूपी के बीजेपी लीडर सुरेंद्र सिंह ने 2020 में यह विवादित बयान दिया था। उनका मानना था कि रेप जैसे अपराध सिर्फ संस्कार से ही रोके जा सकते हैं किसी कानून से नहीं। यह बयान उन्होंने हाथरस में दलित महिला के गैंगरेप और हत्या के बाद दिया था। उनका पूरा बयान था, "मैं एमएलए के साथ-साथ एक शिक्षक भी हूं, ऐसी घटनाएं सिर्फ संस्कार से रोकी जा सकती हैं, शाशन या तलवार से नहीं।"

"दक्षिण भारत की महिलाओं का शरीर भी उतना ही सुंदर है जितनी की वो" : शरद यादव, जदयू

यह भी साल 2015 की बात है जब ससंद में अपना बयान देते हुए शरद यादव ने कहा था, "दक्षिण भारत की महिलाओं का शरीर भी उतना ही सुंदर होता है जितनी वह सुंदर होती हैं। वो हमारे क्षेत्र में कम सुंदर मानी जाती हैं, जब्कि उन्हें नाचना भी आता है।" यह बयान उन्होंने फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट को 26% से 49% तक बढ़ाने के लिए दिया था। उन्होंने इसे काले और गोरे के भेद से जोड़ दिया था।

यही नहीं उन्होंने बीबीसी डॉक्युमेंट्री 'इंडियाज डॉटर' की डायरेक्टर लेसली को भी जोड़ लिया और कहा कि उन्हें तिहाड़ जैसे सेंसिटिव एरिया में शूटिंग की परमीशन दी गई क्योंकि वो गोरी थीं।

"प्रियंका गांधी जैसे चॉकलेटी चेहरे" : कैलाश विजयवर्गीय, भाजपा

भाजपा के सीनियर लीडर कैलाश विजयवर्गीय ने 2019 में प्रियंका गांधी के राजनीति में उतरने के वक्त ऐसा कहा था। उन्होंने बोला था कि एक कांग्रेस लीडर करीना कपूर को भोपाल लोक सभा सीट से इलेक्शन लड़ने को कहता है, कोई सलमान खान को इंदौर से लड़ने को कहता है इसलिए प्रियंका गांधी भी एक्टिव पॉलिटिक्स में लाई गई हैं और पार्टी चॉकलेटी चेहरों को आगे कर रही है।

साल 2012 में निर्भया रेप के बाद सामने आए थे ऐसे कई विवादित बयान

2012 निर्भया कांड के बाद पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी ने कहा था कि इंडिया गेट पर प्रोटेस्ट करने वाली महिलाएं डेंटेड और पेंटेड रहती हैं और ऐसा लगता है कि वो एक्टिविस्ट सीधे डिस्को से वापस आई हों।

2012 में ही लोक दल के नेता और तत्कालीन हरियाणा के चीफ मिनिस्टर ओम प्रकाश चौटाला ने कहा था कि, "हमें इतिहास से कुछ सीखना चाहिए, खासतौर पर मुगल काल से जहां लोग लड़कियों को मुगलों से बचाने के लिए उनकी शादी जल्दी कर देते थे और अभी ऐसी ही स्थिति बन रही है।"

ऐसे ही ओम प्रकाश चौटाला के नक्शेकदम पर चलते हुए आरएसएस चीफ मोहन भागवत का कहना था कि रेप कल्चर शहरों की वजह से हो रहा है।

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महिलाओं के लिए पॉलिसी बनाने वाले नेताओं की महिलाओं के प्रति ऐसी सोच?

ऐसे ही ना जाने कितनी बार नेता एक्ट्रेस के गालों को सड़कों से जोड़ चुके हैं। कुछ ऐसे बयान भी वायरल हुए हैं जिनमें कोई नेता लड़की उठाने की बात कर रहा था। कभी कोई नेता महिलाओं को चार-पांच बच्चे पैदा करने की सलाह दे देता है। WPS Index report (2023) की रिपोर्ट मानती है कि सिर्फ 58 प्रतिशत महिलाएं भारत में खुद को सेफ मानती हैं। बाकी को लगता है कि उनके ऊपर कोई ना कोई खतरा बना हुआ है।

भारत में हर दिन रेप होते हैं। अखबार से लेकर टीवी न्यूज चैनल तक हर रोज कोई ना कोई क्राइम दिख ही जाता है जिसमें महिलाओं के साथ अत्याचार हुआ हो। अब इन खबरों को हम मैट्रिमोनियल के विज्ञापनों की तरह देखने लगे हैं जिन पर ध्यान सिर्फ उन्हीं लोगों का जाता है जिन्हें काम होता है। हर साल बजट आने पर हम महिलाओं के लिए स्कीम्स देखते हैं, लेकिन इन स्कीम्स से आगे सच्चाई क्या है उसके बारे में भी तो सोचना चाहिए।

इस तरह के बयान गाहे-बगाहे यह सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि महिलाओं के लिए इन स्कीम्स, पॉलिसीज को बनाने वाले नेता असल में महिलाओं को कुछ मानते ही नहीं हैं। हमारे देश में विक्टिम ब्लेमिंग होती है, जिस महिला का रेप होता है उसे ही दोश दिया जाता है कि वह सड़क पर क्यों थी। जब संसद में बैठी महिला ही ऐसे कमेंट्स से सुरक्षित नहीं है, तो फिर हम खुद को किस तरह से सुरक्षित मानें? हम कैसे मान लें कि हम नेताओं के लिए सिर्फ वोट बैंक नहीं हैं।

सच्चाई तो पेपर पर बनने वाली स्कीम्स से बहुत अलग है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ हो या फिर घर की लक्ष्मी का खिताब। हमारी गंगा-जमुना और देवी मां को पूजने वाली संस्कृति में महिलाओं की इज्जत की बात हमेशा आई-गई कर दी जाती है।

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