जैसी कि महाराष्ट्र में हो रहे विधानसभा इलेक्शन लंबे समय से चर्चा में बना हुआ था। चुनाव होने के बाद विधानसभा के लिए चयनित 288 सदस्यों को सात और आठ दिसंबर को शपथ दिलाई गई। इसके लिए वरिष्ठ विधायक कोलंबकर को प्रोटेम स्पीकर चुना गया। बीते दिन यानी 09 दिसंबर को हुए विधानसभा अध्यक्ष चुनाव के बाद इस पद के लिए राहुल नार्वेकर को चुना गया।
ऐसे में हम सभी के दिमाग में यह प्रश्न आना तो लाजमी है कि आखिर विधानसभा अध्यक्ष कैसे चुने जाते हैं। साथ ही इसके लिए कौन सी योग्यता होनी चाहिए। अगर आपके मन में ये प्रश्न उठ रहे हैं, तो इस आर्टिकल में आज हम आपको बताने जा रहे हैं, कि विधान सभा अध्यक्ष के लिए योग्यता क्या होनी चाहिए। इसके अलावा चुने गए अध्यक्ष के पास कितनी पावर और क्या सुविधाएं मिलती हैं?
अगर सीधे शब्दों में करें तो विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव विधानसभा सदस्य के बीच किया दाता है। इसके लिए एक दिन तय किया जाता है। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष बनने के लिए इच्छुक सदस्य अपना-अपना नामांकन फॉर्म भरते हैं। इसके बाद नामांकन पत्रों की जांच होती है। अगर कोई व्यक्ति नाम वापस लेना चाहता है, तो उसके लिए भी समय दिया जाता है।
अगर सदस्य से एक से ज्यादा उम्मीदवार का नाम लेते हैं, तो सदन में मौजूद सदस्य हाथ उठाकर अपनी-अपनी पसंद के उम्मीदवार का समर्थन करते हैं। इसके बाद इन चुनावों को चुनकर प्रत्याशी एक ही होता है। इसके बाद निर्विरोध चुनाव की घोषणा कर दी जाती है। बता दें, यह सारा प्रोसेस प्रोटेम स्पीकर की अगुवाई में होता है।
विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव लोकसभा के पहले सत्र के समय लोकसभा के सदस्य द्वारा किया जाता है। चुनाव के बाद जीत हासिल किए हुए व्यक्ति को इस पद के लिए नियुक्त किया जाता है। नियुक्त विधानसभा अध्यक्ष का कार्यकाल पांच वर्षों का होता है।
विधानसभा अध्यक्ष बनने के लिए उस सदस्य का भारतीय नागरिकता प्राप्त होनी जरूरी है। इसके साथ ही उस व्यक्ति की न्यूनतम आयु 25 वर्ष, और सदन का सदस्य होना आवश्यक है। इसके अलावा, विधानसभा अध्यक्ष के पद के लिए उम्मीदवार पर कोई गंभीर आपराधिक आरोप नहीं होना चाहिए। इसके अलावा विधानसभा अध्यक्ष चुनाव के लिए उम्मीदवार का किसी राजनीतिक पार्टी से जुड़ा होना जरूरी नहीं है।
विधानसभा अध्यक्ष को अपने कार्यों के संचालन के दौरान विशेष शक्तियां प्राप्त होती हैं। इसमें सदन की कार्यवाही पर कंट्रोल, मतदान में निर्णायक वोट डालने का अधिकार और सदन में कार्यवाही की ट्रांसपेरेसी बनाए रखना शामिल है। इसके अलावा विधानसभा अध्यक्ष को राज्य सरकार की तरफ से उच्च वेतन, भत्ते, सरकारी आवास और सुरक्षा जैसी सुविधाएं मिलती हैं। इन सुविधाओं के साथ, विधानसभा अध्यक्ष का कार्य क्षेत्र काफी बड़ा होता है। साथ ही वह राज्य की विधायी प्रक्रियाओं को सुचारु रूप से चलाने में अहम भूमिका निभाता है।
राज्य सरकार द्वारा विधानसभा अध्यक्ष की सैलरी तय की जाती है। आमतौर पर अध्यक्ष का सैलरी मुख्यमंत्री के बराबर होती है। हालांकि यह हर राज्य से राज्य में भिन्न हो सकती है। वहीं भत्ते के रूप में विधानसभा अध्यक्ष को यात्रा भत्ते, आवास भत्ते, कार्यालय खर्च, चिकित्सा सुविधाएं आदि मिलते हैं। इसके अलावा उन्हें राज्य सरकार की तरफ से एक रहने के लिए आवास भी दिया जाता है।
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Image credit-Freepik, jagran
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