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स्वप्ना बर्मन हेप्टाथलन में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय बनीं, दांत की तकलीफ ने बावजूद पाई जीत

दांत की तकलीफ झेलने के बावजूद स्वप्ना बर्मन अपनी कड़ी मेहनत से देश के लिए गोल्ड मेडल जीतने में रहीं कामयाब। स्वप्ना ने ऊंची कूद और भाला फेंक में पहला स्थान हासिल किया। <div>&nbsp;</div>
Her Zindagi Editorial
Updated:- 2018-08-30, 13:55 IST

हिल हार्पर ने कहा है, खुद में यकीन रखो, कड़ी मेहनत करो, स्मार्ट तरीके से काम करो और दुनिया के सामने खुद को बेहतरीन तरीके से पेश करो। यह बात भारत की नई स्पोर्ट्स स्टार स्वप्ना बर्मन पर बखूबी लागू होती है। स्वपना नें दांत की तकलीफ के बावजूद एशियाई खेलों की हेप्टाथलन स्पर्धा में गोल्ड मेडल हासिल कर नया इतिहास रच डाला।

 

इन खेलों में गोल्ड मेडल जीतने वाली वह पहली भारतीय बन गई हैं। महज 21 साल की स्वप्ना बर्मन ने दो दिन तक चले सात स्पर्धाओं में 6026 अंकों हासिल करने के साथ गोल्ड मेडल जीता। इस दौरान उन्होंने ऊंची कूद (1003 अंक) और भाला फेंक (872 अंक) में पहला स्थान हासिल किया। गोला फेंक (707 अंक) और लंबी कूद (865 अंक) के लिए भी स्वप्ना ने पूरा जोर लगाया लेकिन इसमें उन्हें दूसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा। इसकी तुलना में 100 मीटर (981 अंक, पांचवां स्थान) और 200 मीटर (790 अंक, सातवां स्थान) की दौड़ में उनका प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा। सात स्पर्धाओं में से आखिरी स्पर्धा 800 मीटर में उतरने से पहले स्वप्ना बर्मन ने चीन की क्विंगलिंग वांग पर 64 अंक की बढ़त बना रखी थी। आखिरी स्पर्धा में अच्छा परफॉर्म करने की जरूरत थी और वह इसमें चौथे स्थान पर रहीं।

 

तकलीफों के बीच भी नहीं मानी हार

स्वप्ना बर्मन का परिवार उनकी कामयाबी से बेहद खुश है। उनका पूरा परिवार बंगाल के जलपाईगुरी इलाके में रहता है। स्वप्ना के पिता ऑटो चलाया करते थे, लेकिन उन्हें स्ट्रोक आने के बाद उनका पूरा शरीर पैरालाइज हो गया था। घर का गुजारा चलाने के लिए स्वप्ना की मां चाय के बगानों में काम करती थी। इतने मुश्किल दौर से गुजरते हुए भी स्वप्ना अपने लक्ष्य से नहीं डिगीं और उन्होंने अपनी मंजिल पाने के बाद ही चैन की सांस ली।

SWAPNA BURMAN WIN GOLD HEPTATHLON

स्वप्ना की इस जीत के बाद उनकी मां बसना देवी ने एक इंटरव्यू में कहा, ''हमें अपनी बेटी की जीत पर गर्व है।' स्वप्ना की मां ने बताया की जकार्ता जाने से पहले उनकी बेटी ने इस एशियाई खेलों में मेडल लाने का वादा किया था और सोना जीतकर उसने अपना वादा पूरा किया। '' 

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चोट भी नहीं तोड़ पाई स्वप्ना का हौसला 

स्वप्ना बर्मन के भाई भी अपनी बहन की कामयाबी से फूले नहीं समा रहे। उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान बताया, 'स्वप्ना के पास हेप्टाथलान की तैयारी करने के लिए जूते नहीं थे, लेकिन इसके बावजूद स्वप्ना ने हेप्टाथलान स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीतकर हर भारतवासी के लिए मिसाल कायम की है। एशियन गेम्स में जाने से स्वप्ना के जबड़े में दर्द था। उसके दाएं पैर और पीठ में भी चोट आई थी, लेकिन इसके बावजूद स्वप्ना अपने लक्ष्य से पीछे नहीं हटी। उसकी मेहनत का ही नतीजा है कि वह गोल्ड जीतने में कामयाब हुई।' 

 

  

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