हिल हार्पर ने कहा है, खुद में यकीन रखो, कड़ी मेहनत करो, स्मार्ट तरीके से काम करो और दुनिया के सामने खुद को बेहतरीन तरीके से पेश करो। यह बात भारत की नई स्पोर्ट्स स्टार स्वप्ना बर्मन पर बखूबी लागू होती है। स्वपना नें दांत की तकलीफ के बावजूद एशियाई खेलों की हेप्टाथलन स्पर्धा में गोल्ड मेडल हासिल कर नया इतिहास रच डाला।
Congratulations to Arpinder Singh and Swapna Burman for their respective Gold’s .Absolutely top effort #AsianGames2018 pic.twitter.com/qMQqlt5aGV
— Mohammad Kaif (@MohammadKaif) August 29, 2018
इन खेलों में गोल्ड मेडल जीतने वाली वह पहली भारतीय बन गई हैं। महज 21 साल की स्वप्ना बर्मन ने दो दिन तक चले सात स्पर्धाओं में 6026 अंकों हासिल करने के साथ गोल्ड मेडल जीता। इस दौरान उन्होंने ऊंची कूद (1003 अंक) और भाला फेंक (872 अंक) में पहला स्थान हासिल किया। गोला फेंक (707 अंक) और लंबी कूद (865 अंक) के लिए भी स्वप्ना ने पूरा जोर लगाया लेकिन इसमें उन्हें दूसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा। इसकी तुलना में 100 मीटर (981 अंक, पांचवां स्थान) और 200 मीटर (790 अंक, सातवां स्थान) की दौड़ में उनका प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा। सात स्पर्धाओं में से आखिरी स्पर्धा 800 मीटर में उतरने से पहले स्वप्ना बर्मन ने चीन की क्विंगलिंग वांग पर 64 अंक की बढ़त बना रखी थी। आखिरी स्पर्धा में अच्छा परफॉर्म करने की जरूरत थी और वह इसमें चौथे स्थान पर रहीं।
Swapna Burman, 6 toes in both legs, no money for special shoes. Father a rickshaw puller, mother working in a tea garden, running for her country in the final event of the Heptathlon with a bandaged jaw. And winning it for India
— Joy Bhattacharjya (@joybhattacharj) August 29, 2018
This country certainly has no shortage of heroines pic.twitter.com/sZySHmGCdE
तकलीफों के बीच भी नहीं मानी हार
स्वप्ना बर्मन का परिवार उनकी कामयाबी से बेहद खुश है। उनका पूरा परिवार बंगाल के जलपाईगुरी इलाके में रहता है। स्वप्ना के पिता ऑटो चलाया करते थे, लेकिन उन्हें स्ट्रोक आने के बाद उनका पूरा शरीर पैरालाइज हो गया था। घर का गुजारा चलाने के लिए स्वप्ना की मां चाय के बगानों में काम करती थी। इतने मुश्किल दौर से गुजरते हुए भी स्वप्ना अपने लक्ष्य से नहीं डिगीं और उन्होंने अपनी मंजिल पाने के बाद ही चैन की सांस ली।
स्वप्ना की इस जीत के बाद उनकी मां बसना देवी ने एक इंटरव्यू में कहा, ''हमें अपनी बेटी की जीत पर गर्व है।' स्वप्ना की मां ने बताया की जकार्ता जाने से पहले उनकी बेटी ने इस एशियाई खेलों में मेडल लाने का वादा किया था और सोना जीतकर उसने अपना वादा पूरा किया। ''
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Breaks the 6000 point barrier and wins a Gold in style. Swapna Burman bags gold in women's heplathon event. Congratulations.#AsianGames2018 pic.twitter.com/qbBbGbhbMl
— Virender Sehwag (@virendersehwag) August 29, 2018
चोट भी नहीं तोड़ पाई स्वप्ना का हौसला
स्वप्ना बर्मन के भाई भी अपनी बहन की कामयाबी से फूले नहीं समा रहे। उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान बताया, 'स्वप्ना के पास हेप्टाथलान की तैयारी करने के लिए जूते नहीं थे, लेकिन इसके बावजूद स्वप्ना ने हेप्टाथलान स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीतकर हर भारतवासी के लिए मिसाल कायम की है। एशियन गेम्स में जाने से स्वप्ना के जबड़े में दर्द था। उसके दाएं पैर और पीठ में भी चोट आई थी, लेकिन इसके बावजूद स्वप्ना अपने लक्ष्य से पीछे नहीं हटी। उसकी मेहनत का ही नतीजा है कि वह गोल्ड जीतने में कामयाब हुई।'
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