भारत की दिग्गज बैडमिंटन प्लेयर साइना नेहवाल 17 मार्च 2021 को अपना 31वां बर्थडे मना रही हैं। वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियन रह चुकीं साइना नेहवाल ने काफी संघर्ष कर कामयाबी हासिल की।साइना को बैडमिंटन प्लेयर बनने के दौरान कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इसका जिक्र उन्होंने अपनी बायोग्राफी 'प्लेइंग टू विन' में किया है। साइना ने अपना बचपन हिसार में बिताया है। वह सुबह स्कूल जाती थीं और शाम का समय अपने खेल की प्रैक्टिस में दिया करती थीं।
साइना मेहनत करने से कभी पीछे नहीं हटीं और यही कारण है कि उन्हें पूरे विश्व में ख्याति मिली है। साइना के बर्थडे के मौके पर जानते हैं उनकी उपलब्धियों के बारे में-
देश का मान बढ़ाने वाली यह बेटी जब हरियाणा के ऊषा रानी और हरवीर सिंह नेहवाल के घर पैदा हुई थी तो उसकी दादी ने एक महीने तक उसका मुंह देखने से इनकार कर दिया था। उस समय में हरियाणा में बेटियों से भेदभाव प्रचलन में था, लेकिन उसी राज्य में गर्ल चाइल्ड कैंपेन की ब्रांड एंबेसेडर बनकर साइना नेहवाल ने लोगों में जागरूकता फैलाई।
साइना का बैडमिंटन के लिए जुनून उन्हें उनकी मां की देन है। साइना की मां ऊषा भी बैडमिंटन खिलाड़ी रहीं और उन्होंने बैडमिंटन में हरियाणाका प्रतिनिधित्व भी किया था। साइना ने एक इंटरव्यू में बताया,
'जब मेरी मम्मी खेला करती थी, तो मुझे भी प्रेम में ले जाया करती थी। खेल का यह मेरा पहला एक्सपोजर था।'
चूंकि उस समय में बैडमिंटन की कोचिंग के लिए कोई सुविधा नहीं थी, ऐसे में उनके पिता उन्हें कराटे के लिए ले जाते थे। साइना को कराटे सीखना पसंद था और उन्होंने हरवीर नेहवाल के हैदराबाद ट्रांसफर होने से पहले ही ब्राउन बेल्ट हासिल कर ली थी।
उस समय में पुलैला गोपीचंद की कामयाबी के बाद हैदराबाद बैडमिंटन हब बन गया था। पुलैला ने उस समय नेशनल टाइटल जीता था और साल 2001 में ऑल इंग्लैंड क्राउन भी अपने नाम किया था।
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साइना की मां हमेशा से ही चाहती थीं कि उनकी बेटी नेशनल चैंपियन बने और देश के लिए ओलंपिक मेडल लेकर आए।' किस्मत ने उनका साथ दिया और वह पुलैला गोपीचंद की एकेडमी में आ गईं।' लेकिन इस समय में बैडमिंटन की ट्रेनिंग जारी रखने के लिए सबसे बड़ी चुनौती फाइनेंस की थी, जिसके कारण उनके पेरेंट्स को काफी तकलीफों का सामना करना पड़ा। साइना की ट्रेनिंग का खर्च 25,000 से लेकर 60,000 के बीच था। पैसों का बंदोबस्त करने के लिए उनके पिता कभी दोस्तों और ऑफिसवालों से तो कभी रिश्तेदारों से पैसे मांगा करते थे, लेकिन उन्होंने कभी अपनी बेटी के लिए कभी पैसों की कमी नहीं पड़ने दी। साइना के पिता ने एक इंटरव्यू में बताया,'मैं सरकारी मुलाजिम था, मेरी फिक्स्ड सेलेरी थी। मैं अपनी बेटी के लिए इक्विपमेंट्स अफोर्ड नहीं कर सकता था, कोच की फीस, आने-जाने का खर्च देना मेरे लिए काफी मुश्किल होता था क्योंकि स्टेडियम हमारे घर से 30 किमी दूर था।'
साइना की बहन भी फार्मेसी की पढ़ाई कर रही थीं, जिनके लिए पैसों का इंतजाम करने की जरूरत पड़ती थी। जब भी साइना मैच खेलने के लिए हैदराबाद से बाहर जाती थीं तो हर ट्रिप पर तकरीबन 20,000 का खर्च आ जाता था। लेकिन इतनी मुश्किलों के बावजूद नेहवाल के पेरेंट्स ने यह सुनिश्चित किया कि उनकी बेटी को खेलने और प्रैक्टिस करने के लिए सबसे अच्छे प्लेटफॉर्म मिलें। जैसे-जैसे साइना ने देश के नेशनल टूर्नामेंट्स जीतना शुरू किया, वैसे-वैसे परिवार की मुश्किलों दूर होने लगीं। हरवीर के पिता ने अपनी बेटी पर नाज करते हुए बताया, 'मैं जितना कुछ जीवनभर में कमाया होगा, उतना मेरी बेटी सालभर में कमा लेती है।'
साइना बैडमिंटन के लिए इस कदर डेडिकेटेड रही कि वह गेम खेलते हुए कभी थकती ही नहीं थी। उनके कोच आरिफ बीता हुआ समय याद करते हुए कहते हैं, 'साइना के दिनभर कड़ी मेहनत करने के बाद उसे आराम करने को कहने में मुझे बड़ी मशक्कत करनी पड़ती थी, वह रुकने का नाम ही नहीं लेती थी। मैं उसे कहता था कि रेस्ट करना भी महत्वपूर्ण है, लेकिन वह मेरी बात सुनती ही नहीं थी।' साइना ने अपनी लगन और कड़ी मेहनत से जो कामयाबी हासिल की है, उससे युवाओं के साथ-साथ देश की महिलाएं भी इंस्पायर हुई हैं।
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