7 अगस्त को नेशनल हैंडलूम डे मनाया जाता है। हैंडलूम यानी हाथ से बनाई गई चीजें। यह बात हम सभी जानते हैं कि जितना बेहतरीन काम हाथ कर सकते हैं, उतना मशीन नहीं। हैंडलूम की चीजों को बनाने में काफी समय लगता है। इसलिए यह महंगी भी होती हैं। भारत में गुजरात की बांधनी से लेकर तमिलनाडु की कांजीवरम और महाराष्ट्र की पैठनी, हैंडलूम का एक अद्भुत उदाहरण है। भारत में कपड़ा उद्योग का इतिहास 2 दशक से ज्यादा पुराना है।
आज भी लोग यह नहीं जानते हैं कि भारत में कपड़ा उद्योग की शुरुआत कब और कैसे हुई? कपड़ा किन चीजों से बनाया जाता है। साथ ही, इसे बनाने की प्रक्रिया क्या है? आज हम ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब लेकर आए हैं। टेक्सटाइल इंडस्ट्री से जुड़ी जरूरी बातें जानने के लिए इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ें।
भारत में कपड़ा उद्योग का इतिहास
भारत में टेक्सटाइल इंडस्ट्री का इतिहास बेहद पुरााना है। औपनिवेशिक शासन के दौरान भारत का पारंपरिक कपड़ा उद्योग पूरी तरह से नष्ट हो गया था। 19वीं सदी में भारत में आधुनिक कपड़ा उद्योग का जन्म हुआ।
यह बात साल 1818 की है, जब कलकत्ता के पास फोर्ट ग्लोस्टर में पहले कपड़ा मिल की स्थापना हुई। आपको बता दें कि कॉटन टेक्सटाइल इंडस्ट्री की शुरुआत 1850 में मुंबई में हो गई थी। यहां पहली बार साल 1854 में पारसी व्यापारी द्वारा सूती कपड़ा मिल खोली गई थी।
इसके बाद अहमदाबाद में साल 1861 सूती मिल की स्थापनी की गई, जो मुंबई के लिए प्रतिद्वंद्वी केंद्र बनी। यहां बड़े पैमाने पर टेक्सटाइल इंडस्ट्री का प्रसार हुआ। इसका कारण यहां रहने वाले गुजराती व्यापारी वर्ग थे।
19वीं सदी के बीच में कॉटन इंडस्ट्री का विस्तार तेजी से होने लगा। साल के अंत तक देश में 178 सूती कपड़ा मिल की स्थापना की जा चुकी थी। साल 1900 में देश में भीषण अकाल आ गया था। इसके कारण सूती कपड़ा उद्योग प्रभावित हुआ। अकाल की वजह से मुंबई और अहमदाबाद में मौजूद मिलों को लंबे समय तक के लिए बंद रखा गया।
टेक्सटाइल मैन्युफैक्चरिंग का प्रोसेस क्या है?
यह बात हम सभी जानते हैं कि किसी भी चीज को बनाने के लिए एक प्रकिया होती है। ऐसे में कपड़ा बनाने के लिए 3 स्टेप्स हैं। इनमें कताई, बुनाई और रंगाई शामिल है।
- कताई: इस प्रक्रिया में स्पीनिंग मशनी द्वारा कच्चे रेशों को सूत में बदला जाता है।
- बुनाई: इस प्रक्रिया में धागों को आपस में जोड़कर कपड़ा बनाया जाता है।
- रंगाई: आखिर में कपड़ों को डाई किया जाता है। कपड़ों को अलग-अलग पैटर्न में रंगा जाता है। वहीं प्रिंटिग में कपड़े पर डिजाइन और पैटर्न बनाए जाते हैं। (सिल्क कैसे बनता है?)
टेक्सटाइल इंडस्ट्री के सब-सेक्टर
- अपेरल और गारमेंट इंडस्ट्री: इस उद्योग में कस्टमर के लिए कपड़ा बनाया जाता है।
- होम टेक्सटाइल्स: इसमें बेड लिनेन, तौलिए और पर्दे जैसे चीजें शामिल हैं।
- टेक्नीकल टेक्सटाइल: इसमें इंडस्ट्रियल एप्लीकेशन, मेडिकल, ऑटोमोटिव और एयरोस्पेस सेक्टर शामिल हैं।
- फैशन और लक्जरी टेक्सटाइल: इसमें हाई क्वालिटी और डिजाइनर कपड़े बनाए जाते हैं।
- नॉन वोवेन इंडस्ट्री: डायपर और वाइप्स जैसे डिस्पोजेबल उत्पादों में उपयोग किया जाता है।
फाइबर के टाइप्स
फाइबर दो प्रकार के होते हैं। इनमें नेचुरल और सिंथेटिक शामिल हैं। नेचुरल पौधे, जानवर और मिनरल से बनाए जाते हैं। पौधे से हमें कॉटन, फ्लैक्स और हैंप मिलता है। वहीं जानवरों से ऊन और रेशम इकट्ठा किया जाता है। मिनरल से एस्बेस्टस बनते हैं। कॉटन का इस्तेमाल ग्लोबल लेवल पर किया जाता है।
सिंथेटिक फाइबर पेट्रोलियम बेस्ड केमिकल से बनाए जाते हैं। यह मानव निर्मित होते हैं। इनमें पॉलिएस्टर, नायलॉन, ऐक्रेलिक और स्पैन्डेक्स शामिल हैं। (लोटस सिल्क क्या है?)
भारतीय कपड़ा उद्योग की ताकत
- भारत में कच्चा माल बड़े पैमाने पर मिलता है, जिससे कपड़ा उद्योग स्थिरता से चलने में सक्षम है।
- भारत में घरेलू बाजार को अहमियत दी जा रही है। ऐसे में उम्मीद है कि यह उद्योग अच्छे से चलेगा।
- भारत में कारीगरों की कमी नहीं है। लोगों के पास कपड़ों से संबंधित ज्ञान है, जो टेक्सटाइल इंडस्ट्री के लिए फायदमेंद हो सकता है।
उम्मीद है कि आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया होगा। इसी तरह के अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए हमें कमेंट कर जरूर बताएं और जुड़े रहें हमारी वेबसाइट हरजिंदगी के साथ।
Image Credit: Freepik
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों