हमारे देश में कई ऐसे मंदिर हैं जिनका एक अलग इतिहास और कहानी है। ऐसा माना जाता है कि ऐसे मंदिरों की कहानी कुछ निराली है और दुनिया को अचंभित कर देती है। ऐसे ही मंदिरों में से एक है कश्मीर का खीर भवानी मंदिर।
यह मंदिर श्रीनगर से 14 मील पूर्व की दूरी पर तुलमूल गांव के पास स्थित है। यह मंदिर, एक झरने के बीच स्थित है जिसके चारों ओर एक विशाल क्षेत्र है जो खूबसूरत और चिकने पत्थरों से ढका हुआ है।
यह मंदिर एक पवित्र झरने के ऊपर बनाया गया है, जिसके बारे में प्रसिद्ध है कि यह अपना रंग बदलता है। देवी रागनी देवी जिन्हें देवी दुर्गा का एक अवतार माना जाता है वो इस मंदिर की प्रमुख देवी हैं।
यह मंदिर अपने अनोखे नाम से इसलिए प्रसिद्द है क्योंकि इसकी खीर से जुड़ी एक प्रथा है जो काफी प्रचलित है। आइए जानें क्या है खीर भवानी मंदिर का इतिहास और इसकी रोचक कहानी क्या है।
खीर भवानी मंदिर की कहानी
खीर भवानी मंदिर की कहानी बड़ी हो रोचक है और यह प्राचीन काल से जुड़ी हुई है। ऐसी मान्यता है कि रावण खीर भवानी देवी का बहुत बड़ा भक्त था और उसकी भक्ति से माता सदैव प्रसन्न रहती थीं।
लेकिन एक बार माता रावण से रुष्ट हो गईं क्योंकि उसने माता सीता का अपहरण किया था। इस बात पर माता खीर भवानी इतनी नाराज हुईं कि उन्होनें वह स्थान ही छोड़ दिया। मान्यता यह भी है कि माता ने राम भक्त हनुमान से अपनी मूर्ति लंका के बजाए किसी और स्थान पर स्थापित करने के लिए कहा और हनुमान जी ने मूर्ति लंका से उठाकर कश्मीर में स्थापित कर दी। उसी समय से माता कश्मीर में विराजमान हैं और उनकी पूजा बड़ी श्रद्धा भाव से की जाती है।
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खीर भवानी मंदिर का इतिहास
यदि इस मंदिर के इतिहास की बात करें तो इसका निर्माण महाराजा प्रताप सिंह ने 1912 में करवाया था, जिसका बाद में महाराजा हरि सिंह ने जीर्णोद्धार कराया था। मंदिर में एक हेक्सागोनल वसंत और एक छोटा संगमरमर का मंदिर भी स्थित है जहां देवी की मूर्ति स्थापित है।
किंवदंतियों के अनुसार, भगवान रामने अपने वनवास के दौरान देवी की पूजा की थी। उन्होंने पवित्र सीट को शादीपोरा में स्थानांतरित करने की इच्छा व्यक्त की, जिसे भगवान हनुमान ने पूरा किया। रगनाथ गडरू नाम के एक स्थानीय पंडित के सपने में देवी के प्रकट होने के बाद मंदिर को उसके वर्तमान स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया था।
क्यों चढ़ाया जाता है खीर का प्रसाद
यह मंदिर कश्मीर के जिला गांदरबल के तुलमुला इलाके में स्थित है। यहां हर साल ज्येष्ठ महीने की अष्टमी तिथि को मेले का आयोजन होता है। खीर भवानी देवी की पूजा करीब सभी कश्मीरी हिन्दू करते हैं और उनसे अपनी रक्षा की प्रार्थना करते हैं।
जहां तक माता के नाम की बात है तो उनका यह नाम इसी वजह से प्रचलित है क्योंकि माता को विशेष रूप से खीर का प्रसाद चढ़ाया जाता है। खीर भवानी के रूप में यहां माता दुर्गा ही विराजित हैं।
वहां के स्थानीय लोगों में यह मंदिर महारज्ञा देवी़, राज्ञा देवी मंदिर, रजनी देवी मंदिर और राज्ञा भवानी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। देवी को पारंपरिक रूप से वसंत ऋतु में खीर चढ़ाई जाती है।
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खीर भवानी मंदिर में स्थित जल कुंड का रहस्य
खीर भवानी माता के मंदिर में एक कुंड मौजूद है जिसे चमत्कारी कुंड माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जब भी कश्मीर में कोई बड़ी मुसीबत आने वाली होती है तब इस कुंड के पानी का रंग बदल जाता है।
मुसीबत से पहले ही पानी काला पड़ जाता है। वहां के लोगों के अनुसार कश्मीर में जब 2014 में कुंड का पानी काला पड़ गया था तो कश्मीर में भीषण बाढ़ आई थी। लोगों की मान्यता है कि मां खीर भवानी अपने भक्तों को समय से पहले ही भविष्य बता देती हैं जिससे वो सचेत हो सकें।
वास्तव में कश्मीर का खीर भवानी मंदिर भक्तों के लिए श्रद्धा का केंद्र माना जाता है और इस मंदिर में हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए जाते हैं।
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