माता लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है और उन्हें प्रसन्न करने के लिए लोग न जाने कितने प्रयास करते हैं ,कभी माता लक्ष्मी की तस्वीर के सामने दीपक जलाना, तो कभी उनकी श्रद्धा भाव से पूजा करना। यूं कहा जाए कि धन की देवी माता लक्ष्मी की लीलाओं से सभी अवगत हैं और उन्हें प्रसन्न करने के उपाय भी सभी जानते हैं।
लेकिन क्या आपने माता लक्ष्मी की बड़ी बहन अलक्ष्मी के बारे में कभी सुना है ? शायद नहीं, हमने इस बारे में नई दिल्ली के जाने माने पंडित, एस्ट्रोलॉजी, कर्मकांड,पितृदोष और वास्तु विशेषज्ञ प्रशांत मिश्रा जी से बात की उन्होंने ने हमें माता लक्ष्मी की बहन के बारे में कुछ जानकारी दी।आइये इस लेख में माता अलक्ष्मी से जुड़ी कुछ ऐसी बातों के बारे में जानें जिससे आप में से बहुत से लोग अनजान हैं।
माता लक्ष्मी की बड़ी बहन
माता लक्ष्मी की एक बड़ी बहन हैं जिसका नाम है देवी अलक्ष्मी। जहां माता लक्ष्मी धन की देवी मानी जाती हैं, वहीं देवी अलक्ष्मी गरीबी और दरिद्रता की और संकेत करती हैं। शास्त्रों के अनुसार माता अलक्ष्मी को दुर्भाग्य की देवी कहा जाता है इसलिए किसी भी घर में इनकी तस्वीर नहीं लगाई जाती है। हिंदू धर्म के भागवत महापुराण में देवी लक्ष्मी की बड़ी बहन माता अलक्ष्मी की जिक्र किया गया है। मान्यता है कि जहां देवी अलक्ष्मी वास करती हैं, वहां अशुभ घटनाएं, पाप, आलस, गरीबी, दुख और बीमारियां निरंतर बनी रहती हैं इसलिए इन्हें दुर्भाग्य की देवी भी माना जाता है।
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माता अलक्ष्मी की जन्म कथा
भागवत महापुराण के अनुसार, समुद्र मंथन में 14 रत्न निकले थे और उसी में माता लक्ष्मी भी निकली थीं। लेकिन माता लक्ष्मी के अवतरण से पूर्व माता अलक्ष्मी समुद्र मंथन से बाहर निकली थीं। समुद्र से निकलने के बाद देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु का चयन किया जबकि माता अलक्ष्मी ने आसुरी शक्तियों की शरण ली। यही वजह है कि उन्हें 14 रत्नों में गिना नहीं जाता है। मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन से निकलने के कारण उन्हें देवी लक्ष्मी की बड़ी बहन कहा जाता है। ऐसी भी कहानी है कि माता अलक्ष्मी समुद्र से मदिरा लेकर निकली थीं इसलिए भगवान विष्णु की अनुमति से उन्हें राक्षसों को दे दिया गया था।
महर्षि से हुआ था विवाह
पौराणिक ग्रंथों में लिखा गया है कि माता अलक्ष्मी की विवाह उद्दालक नाम के एक महर्षि से हुआ था। मगर, जब महर्षि उन्हें आश्रम में ले गए तो माता अलक्ष्मी ने प्रवेश करने से मना कर दिया था। जब मुनि ने कारण पूछा तो उन्होंने कहा मैं ऐसे घरों में निवास करती हूं जहां गंदगी, कलह-कलेश, अधर्म हो। इसका तात्पर्य यह हुआ कि माता अलक्ष्मी साफ़ सुथरी जगहों में प्रवेश नहीं करती हैं। इसलिए ये भी मान्यता है कि उनसे बचने का एक मात्र उपाय घर को साफ़ सुथरा रखना है।
माता अलक्ष्मी का वास
माता अलक्ष्मी ऐसे घरों में वास करती हैं, जहां गंदगी, कलह-कलेश, दरिद्रता, अधर्म, आलस्य हो। अगर देवी लक्ष्मी की पूजा अचर्ना के बाद भी घर में धन हानि, कलह-कलेश रहता है तो ऐसे घरों में माता अलक्ष्मी का प्रभाव हो सकता है।
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पीपल के पेड़ पर करती हैं वास
हिंदू धर्म में पूज्यनीय होने के बावजूद भी पीपल के पेड़ को घर में लगाना अशुभ माना जाता है क्योंकि दिन के एक पहर इस पर माता अलक्ष्मी वास करती हैं। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, पीपल के पेड़ पर देवी लक्ष्मी दिन तो माता अलक्ष्मी रात के समय रहती हैं। यही वजह है कि रात के समय पीपल के पेड़ पास जाने की मनाही होती है। यह भी मान्यता है कि रात के समय पीपल के पेड़ के पास जाने से घर में अलक्ष्मी का डेरा हो जाता है।
नींबू-मिर्च से प्रेम
अक्सर घरों या दुकानों के बाहर नीम्बू और मिर्च लगाए जाते हैं , ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से किसी की नज़र नहीं लगती है और सारे काम सफल होते हैं। लेकिन पुराणों के अनुसार इसका मुख्य कारण है कि माता अलक्ष्मी को तीखी व खट्टी चीजें पसंद हैं इसलिए घर-दुकान के बाहर नींबू-मिर्ची टांगे जाते हैं, ताकि वो घर के बाहर से चली जाएं और उनके प्रभाव से घर को बचाया जा सके।
माता अलक्ष्मी को कैसे दूर करें
- ऐसी मान्यता है के देवी अलक्ष्मी पीपल के पेड़ में निवास करती हैं। इसलिए यदि घर में पीपल का पेड़ (घर में उग आए पीपल का पौधा तो क्या करें) उग आए तो उसे तोड़ने की बजाए पूरे विधि विधान से दूसरी जगह पर लगाएं। पहले 45 दिन तक उसकी पूजा-अर्चना करें और फिर इसे जड़ सहित निकालकर किसी दूसरे स्थान पर लगा दें।
- कभी भी घर में या कार्य स्थल पर माता लक्ष्मी की अखंडित मूर्ती न रखें साथ ही ऐसी तस्वीर भी ना रखें, जिसमें वह उल्लू पर बैठी हो। इसके अलावा देवी लक्ष्मी की ऐसी मूर्ती भी न रखें जिसमें वो खड़ी हुई हों। ऐसा करने से दरिद्र आता है और अलक्ष्मी का वास होता है।
- घर में हमेशा साफ-सफाई रखें और व्यर्थ के झगड़ों से बचें। ऐसी मान्यता है जहां साफ-सफाई व खुशहाली होती है, वहां देवी लक्ष्मी वास करती हैं और जहां कलह कलेश होता है वहां माता अलक्ष्मी का वास हो जाता है।
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