जीएसटी ऐसा है जिसे समझने में बड़े-बड़े चक्कर खा रहे हैं। इस बीच में सबसे ज्यादा महिलाओं को नुकसान उठाना पड़ गया है, साथ ही वे बहुत ज्यादा कंफ्यूज हैं। मैं भी शुरू में काफी कंफ्यूज और गुस्से में थी। लेकिन तुरंत गुस्सा जाहिर करने से ज्यादा अच्छा है कि चीजों को पहले समझा जाए। इसलिए मैंने चीजों का पहले समझा औऱ जिसे हर किसी को समझने की जरूरत है।
सेनेटरी नैपकिन्स पर 12% GST लगा है। जिसका कई महिलाओं ने विरोध किया है।
लेकिन अब महिलाओं के इस विरोध के बाद सरकार के तरफ से सफाई पेश की गई है कि जीएसटी लगने के बाद तो सेनेटरी नैपकिन्स सस्ते हुए हैं क्योंकि पहले सेनेटरी नैपकिन्स पर 13.68 फीसदी टैक्स लगता था। जीएसटी से पहले सेनेटरी नैपकिन्स पर 6 फीसदी एक्साइज ड्यूटी और 5 फीसदी वैट लगता था जो total 13.68 फीसदी टैक्स हो जाता था।
seriously?
सरकार ने क्या सच में किये हैं सेनेटरी नैपकिन्स सस्ते?
आपको भी यही लगता है। आप सरकार की इस बात से agree करती हैं। क्योंकि ये तो सरकार की तरफ से दी गई सफाई है। लेकिन हम महिलाओं का सवाल है कि सरकार ने सच में सेनेटरी नैपकिन्स सस्ते किए हैं?
मतलब सरकार क्या बोल रही है उसको समझ में भी आ रहा है क्या?
इसे ऐसे समझ,
यानि की 310 का सेनेटरी नैपकिन्स का पैक GST लगने के बाद 347.2 का मिलेगा। 30 रुपये लड़कियों को एक्स्ट्रा देने पड़ेंगे।
अब मुझे 310 का whisper का pack 347.2 में लेना पड़ेगा। 30 रुपये मुझे एक्स्ट्रा देने पड़ेंगे। एक बार को मैं दे भी दूं।
लेकिन रीता का क्या?
रीता एक मजदूर है और घर में दूसरों के घर में नौकरानी का काम करती है। उसकी एक 14 साल की बेटी है। उसे भी पीरियड्स होते हैं। अब वो ये pack खरीदने के लिए 30 रुपये एक्स्ट्रा कहां से लाये? अब आफ ही बतायें कि सेनेटरी नैपकिन्स सस्ते हुए हैं कि महंगे? जबकि ये जरूरत का सामान है जिस पर सरकार को टैक्स हटा देने चाहिये थे।
आपकी क्या राय है?
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