वेलेंटाइन डे की रात मुस्कान के साथ ऐसा कुछ होगा उसने सोचा भी नहीं था। वह अपने घर से 13 तारीख को रात निकल गई थी। वेलेंटाइन डे आने में बस कुछ ही घंटे बचे थे। एक तरफ जहां हर कपल अपने पार्टनर को खुश करने के लिए नई-नई तरकीब खोज रहे हैं, तो वहीं मुस्कान के साथ कुछ ऐसा होने वाला था, जिसकी उसे उम्मीद भी नहीं थी। मुस्कान और मयंक दोनों दिल्ली में PG लेकर रहते थे। मुस्कान उत्तर प्रदेश के मेरठ की रहने वाली थी और मयंक शामली का रहने वाला था। दोनों 3 सालों से रिलेशनशिप में थे। उनकी मुलाकात मेट्रो में हुई थी। धीरे धीरे वह रोज मेट्रो के एक ही टाइम पर मिलने लगे और इस तरह उनकी दोस्ती रिश्ते बदल गई।
उस दिन उनका तीसरा वेलेंटाइन डे था। शाम के 5 बजे थे और मुस्कान ऑफिस से PG के लिए निकली थी। तभी मयंक का फोन आ गया। मयंक का फोन देखकर, मुस्कान के चेहरे पर खुशी देखी जा सकती थी, उसने फौरन फोन उठाया। मयंक ने सामने से कहा- कहां हो, ऑफिस से निकल गई क्या? मुस्कान ने कहा - हां, मैं बस PG पहुंचने ही वाली हूं। मुस्कान की बात सुनकर मयंक काफी दुखी होकर बोला - अरे यार मैं तुमसे मिलने आने वाला था और तुम निकल गई।
मुस्कान ने हैरानी से कहा, तुम क्यों मुझसे मिलने ऑफिस आ रहे थे? आज से पहले तो तुम कभी मेरे ऑफिस की तरफ नहीं आए। मुस्कान की बातें सुनकर मयंक थोड़ा घबरा गया और बोला, अरे तो क्या हो गया, आज तो आने का प्लान बना रहा था न। चलो कोई नहीं, अब तुम निकल गई हो तो जाओ घर। घर पहुंच कर मुझे फोन करना। मुस्कान ने ठीक है बोलते हुए फोन काट दिया। लेकिन उसके मन में यही चल रहा था कि आज मयंक उसके ऑफिस क्यों आना चाहता था। वह pg पहुंच गई थी और उसने रूम में घुसते ही फिर से मयंक को फोन मिलाया। मयंक ने मुस्कान के फोन करते ही उठा लिया, ऐसा लग रहा था जैसे मयंक उसके फोन का बेसब्री से इंतजार कर रहा है। मुस्कान अचानक से मयंक की तरफ से इतनी ज्यादा प्रायोरिटी मिलने से हैरान थी।
क्योंकि भले ही उनका रिश्ता कितना भी पुराना हो, वह कभी उसका फोन तुरंत नहीं उठाता था। मयंक की ऐसी हरकतों से उसे अजीब लग रहा था। मुस्कान ने मयंक से पूछा, क्या हुआ इतना क्यों परेशान हो रहे हो तुम मुझसे बात करने के लिए। मुस्कान की बात सुनकर मयंक हंसने लगा और बोला -अरे मैं बस तुमसे बात करना चाहता हूं, इसमें इतनी बड़ी बात क्या है। अच्छा सुनो मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है, इसलिए मैने तुम्हें घर आकर फोन करने के लिए कहा था। मुस्कान ने कहा - हां बताओ, क्या बात करनी है। मयंक ने कहा कि कल वेलेंटाइंस डे है, रात 12 बजे तुम मुझे मिलो। हम पार्टी करेंगें। मयंक की बात सुनकर मुस्कान खुशी से पागल हो गई थी।
उसने मयंक को कहा - सच में, क्या तुमने मेरे लिए कुछ सरप्राइज प्लान किया है। मयंक ने कहा - अरे नहीं नहीं ऐसा कुछ नहीं है। मैं बस वेलेंटाइन डे का पूरा दिन तुम्हारे साथ बिताना चाहता हूं। मैं ज्यादा कुछ तो नहीं कर सकता, लेकिन मैं चाहता हूं कि तुम रात 12 बजे से ही मेरे साथ रहो। मुस्कान को यह सुनकर काफी अच्छा लग रहा था। उसने कहा अरे यार तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया, मैने तो कपड़े भी नहीं खरीदे है। अब फोन रखो, मुझे तैयारी करने दो। मुझे कपड़े और मेकअप सेट करना होगा। पहले बताओ के हम कहां मिलेंगे।
इस बात पर मयंक ने कहा हम कालिंदी नगर के रास्ते में पढ़ने वाले चौराहे पर मिलेंगे। वहां एक रेस्टोरेंट है, वहीं पर तुम रात 12 बजे पहुंच जाना , लेट मत करना। कालिंदी नगर का नाम सुनते ही मुस्कान हैरान हो गई। उसने मयंक से कहा, वहां क्यों आना है, तुम्हें पता है न वो जगह कितनी दूर और शांत है। रात को 12 बजे वहां पहुंचना मुश्किल है। मैं वहां तक अकेले कैसे आऊंगी। इस बात पर मयंक ने कहा कि मैं तुम्हे रास्ते में मिल जाऊंगा, तुम चिंता मत करो। बस वहां टाइम से पहुंच जाना।
मुस्कान ने भी हामी भरते हुए कहा ठीक है, अब मैं तैयारी करने जा रही हूं बाय। ये बोलते हुए उसने फोन काट दिया। मुस्कान बहुत खुश थी, रात के 8 बज गए थे और उसने अभी कोई तैयारी नहीं की थी। इसलिए उसने फौरन अलमारी खोली और कुछ अच्छे कपड़े खोजने लगी। उसने बहुत सारे कपड़े ट्राय किए और आखिर लाल रंग की एक ड्रेस पहनने का फैसला कर लिया। मुस्कान ने फौरन कपड़े पहनें, मेकअप किया और मयंक से मिलने के लिए स्कूटी निकालने लगी। उसने Pg के ऑनर से कहा कि वह अब कल आएगी, आज वह दोस्तों के साथ पार्टी करने जा रही है। यह बोलकर उसने मैप लगाया और स्कूटी से निकल गई। रात के 11 बज गए थे, लेकिन माहौल देखकर ऐसा नहीं लगा था। सड़कों पर कपल्स नजर आ रहे थे और काफी चहल- पहल जैसा माहौल लग रहा था। मुस्कान भी काफी खुश थी।
रात के अंधेरे में, सड़क के किनारे लगे लाइट्स की हल्की सी रोशनी चमक रही थी, जो पूरे माहौल को रोमांटिक बना रही थी। सड़क पर चलते हुए लोग और कुछ कारों का रुकना और फिर से चलना, ऐसा लग रहा था जैसे मौसम भी प्यार के इस दिन को और सुहाना बनाने की पूरी कोशिश कर रहा है। सभी जगह एक ख़ास सा उत्साह नजर आ रहा था। लेकिन ये खुशी ज्यादा देर तक नहीं चलने वाली थी। जैसे ही मुस्कान कुछ दूरी पर और आगे बढ़ी, रास्ता सुनसान होने लगा। मैप के हिसाब से कालिंदी नगर के दो रास्ते थे। एक दोनों ही रास्ते सुनसान और अंधेरे वाले लग रहे थे।
स्ट्रीट लाइट खराब और और सड़कें भी बहुत ऊबड़ खाबड़ वाली थी। उसने स्कूटी रोक कर मयंक को फोन मिलाया। मयंक को फोन नहीं लग रहा था। मुस्कान ने गहरी सांस ली और स्कूटी स्टार्ट कर दी। सड़क उबड़-खाबड़ थी, और स्ट्रीट लाइट की रोशनी नाममात्र थी। हवा में ठंडक थी, लेकिन उसके माथे पर पसीना आ चुका था। रात के 11:30 बज रहे थे और और पूरे रास्ते पर दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था। मुस्कान ने उस रास्ते पर जाने का फैसला किया, जिसे निकलने पर कम समय लगता, एक रास्ते से कालिंदी नगर की दूरी 30 मिनट दिखा रहा था और दूसरे रास्ते से 40 मिनट का समय लग रहा था।
मुस्कान उस रास्ते पर निकल पड़ी जिससे पहुंचने में उसे 30 मिनट का समय लग रहा था। कुछ दूर चलने के बाद, अचानक स्कूटी के टायर के नीचे कोई पत्थर आया, और वह हल्की सी डगमगाई। उसने स्कूटी को बैलेंस किया, लेकिन उसका दिल तेजी से धड़कने लगा। नसान सड़क पर एक बंदा भी नजर नहीं आ रहा था, उसे बहुत डर लग रहा था, तभी, उसने सामने कुछ हलचल देखा, कोई सड़क किनारे खड़ा था। मुस्कान ने अपनी रफ़्तार थोड़ी कम की, लेकिन जैसे ही वह उस व्यक्ति के पास से गुजरी, वह बहुत ज्यादा अजीब लग रहा था, आदमी के पैर लड़खड़ा रहे थे, ऐसा लग रहा था जैसे उसने नशा किया हुआ है। मुस्कान रास्ता पूछने के लिए स्कूटी रोकने ही वाली थी, लेकिन आदमी की हालत देखते ही उसने फौरन स्कूटी तेज रफ्तार में बढ़ा दी। तभी कुछ ही सेकंड बाद उसे एहसास हुआ कि पीछे से किसी की बाइक का साउंड आ रहा है, यह साउंड तेज होता जा रहा था। मुस्कान की धड़कन और भी ज्यादा तेज बढ़ती जा रही थी।
तभी अब उसके फोन की घंटी बजी, सुनसान सड़क पर फोन की घंटी की आवाज इतनी तेज थी कि मुस्कान ने घबरा कर स्कूटी का बैलेंस खो दिया और वह सड़क पर गिर गई। फोन भी अब सड़क पर गिरे पानी में जा गिरा, मुस्कान ने फौरन फोन उठाया और उसे चलाने की कोशिश करने लगी, लेकिन फोन का टच काम नहीं कर रहा था। मयंक उसे फोन कर रहा था, लेकिन वह फोन नहीं उठा पा रही थी। डर के कारण मुस्कान अब रोने लगी थी। उसे ठीक से खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था, लेकिन सड़क पर कोई नजर नहीं आ रहा था। तभी उसने उस आदमी को आता देखा, ये वही आदमी जिसे कुछ देर पहले उसने नशे में सड़क पर चलते देखा था।
मुस्कान ने डर के कारण जल्दी से स्कूटी उठाई और चलाने लगी। आदमी धीरे-धीरे उसके करीब आने लगा था, वह बार-बार स्कूटी चलाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन स्कूटी स्टार्ट नहीं हो रही थी। तभी अचानक स्कूटी स्टार्ट हुई और उसने फौरन तेज रफ्तार में स्कूटी भगाई।
आधा रास्ता निकलने के बाद, एक बार फिर उसे सड़क पर बाइक की आवाज आने लगी, बस 10 मिनट की दूरी और बची थी। वह कैसे भी करके जल्दी से मयंक के पास पहुंचना चाहती थी। मुस्कान के कपड़े भी गंदे हो गए थे और उसे चोटें भी आई थी। तभी फिर से मयंक का फोन आने लगा। उसने स्कूटी रोकी नहीं, चलती हुई स्कूटी पर ही उसने ब्लूटूथ हेडफोन फोन से कनेक्ट किया और कॉल रिसीव किया।
फोन उठाते ही मुस्कान ने रोते हुए कहा..मयंक! तुम कहां थे? मुझे बहुत डर लग रहा है!" मयंक की आवाज़ आई, "मुस्कान, मैं तुम्हें कॉल कर रहा था, लेकिन नेटवर्क नहीं मिल रहा था। तुम ठीक हो?" कहां हो, मुझे लोकेशन भेजो, मैं आ रहा हूं। मुस्कान ने कहा, मैं तुम्हें लोकेशन नहीं भेज सकती, मैरा फोन काम हीं कर रहा है। प्लीज जल्दी आ जाओ, कोई मेरा पीछा कर रहा है। मुस्कान ने कांपती आवाज़ में कहा। तभी मयंक ने पूछा तुम किस रोड पर हो, मुस्कान ने सड़क के बारे में पूरी डिटेल समझाई, मयंक समझ गया कि वह किस सड़क पर है। उसने मुस्कान से कहा "रुको मत, स्पीड बढ़ाओ और कोशिश करो कि किसी रोशनी वाली जगह पहुंचो!" मयंक ने हड़बड़ाते हुए कहा।
मयंक भी रास्ते में था, वह सड़क पर उसे खोज रहा था, मयंक उसी सड़क पर था, जिसपर मुस्कान चल रही थी। उसने अपनी बाइक तेज की और फौरन मुस्कान की तरफ जाने लगा। जैसे ही उसे मुस्कान की स्कूटी और उसके पीछे चलते अजनबी दिखे, उसने जोर से पुकारा- "मुस्कान!"
मुस्कान को मयंक की आवाज़ सुनाई दी, और उसे एक पल के लिए राहत मिली। लेकिन उसके पीछा कर रहे बाइक सवारों ने अब उसकी स्पीड से मेल बिठाना शुरू कर दिया था। अचानक, एक बाइक सवार मुस्कान की स्कूटी के पास आ गया और उसका रास्ता रोकने की कोशिश करने लगा। मुस्कान ने स्कूटी की स्पीड बढ़ाई, लेकिन सड़क ऊबड़-खाबड़ थी, और संतुलन बनाए रखना मुश्किल हो रहा था।
मयंक अब लगभग उसकी बाइक के करीब पहुंच चुका था। बिना कुछ सोचे, उसने अपनी बाइक सीधा उस बाइक से भिड़ा दी। मुस्कान के पास अब आगे निकलने का मौका था। उसने पूरी ताकत से एक्सीलेटर घुमाया और तेज़ी से आगे बढ़ गई। मयंक ने अपनी बाइक घुमाई और मुस्कान के साथ भागने लगा। पीछे से गिरा हुआ बाइक सवार गुस्से में कुछ चिल्लाया, लेकिन तब तक वे दोनों अंधेरे सड़क से दूर, रोशनी वाली जगह की तरफ बढ़ चुके थे।
इसके बाद दोनों ने स्कूटी रोकी, मयंक ने उसकी ओर देखा और गहरी सांस लेते हुए कहा, "तुम ठीक हो?" मुस्कान ने सिर हिलाया और धीरे से कहा, "अगर तुम सही समय पर नहीं आते, तो पता नहीं क्या होता..." रात की इस घटना ने दोनों को झकझोर दिया था, लेकिन एक बात साफ हो गई थी— मयंक का प्यार और फिक्र मुस्कान के लिए सच्ची थी।
मुस्कान को चोटें आई थी, इसलिए सबसे पहले उन्होंने हॉस्पिटल जाकर पट्टी की। मयंक ने धीरे से कहा, "मुस्कान, मुझे माफ़ कर दो... मुझे तुम्हें इतनी रात में अकेले बुलाना ही नहीं चाहिए था। मैं नहीं चाहता था कि तुम्हें इतनी परेशानी झेलनी पड़े।" मयंक ने झिझकते हुए कहा, "मैं जानता हूँ, ये मेरी गलती थी। अगर तुम्हें कुछ हो जाता, तो मैं खुद को कभी माफ़ नहीं कर पाता..." मुस्कान ने हल्की मुस्कान के साथ उसकी ओर देखा। इस डरावनी रात ने दोनों को और करीब ला दिया था। यह सिर्फ एक रात की घटना नहीं थी—यह उनके रिश्ते का एक नया मोड़ था। हॉस्पिटल से निकलने के बाद मयंक ने कहा , जो हुआ अब भूल जाओ, हम अपना दिन खराब नहीं कर सकते। चलो पार्टी करने चलते हैं, मैंने तुम्हारे लिए एक पार्टी ऑग्रनाइज की है। इस तरह एक डरावनी रात खत्म हुई और मुस्कान और मयंक ने खुशी-खुशी वेलेंटाइन डे मनाया।
यह कहानी पूरी तरह से कल्पना पर आधारित है और इसका वास्तविक जीवन से कोई संबंध नहीं है। यह केवल कहानी के उद्देश्य से लिखी गई है। हमारा उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है। ऐसी ही कहानी को पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी के साथ।
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