प्यार अगर सच्चा है, तो किसी को भी बर्बाद करने की ताकत रखता है। इसका बड़ा उदाहरण प्रदीप और काजल के रिश्ते में आप देख सकते हैं। प्रदीप और काजल दोनों ही दिल्ली के रहने वाले थे। वह एक दूसरे को काफी समय से जानते थे और हमेशा कहीं न कहीं घूमने जाते रहते थे। पिछले साल की बात है जब वेलेंटाइन डे के मौके पर दोनों घूमने के लिए शिमला जा रहे थे। उन्होंने वैलेंटाइन डे पर पहाड़ों की खूबसूरती के बीच अपना खास दिन मनाने का फैसला किया था। लेकिन उन्हें क्या पता था कि यह यात्रा उनकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल देगी।
उन्होंने घूमने के लिए देहरादून से स्कूटी रेंट पर ली थी। वह पहले दिल्ली से बस से देहरादून पहुंचे उसके बाद बस स्टैंड के पास की दुकानों से ही उन्होंने रेंट पर स्कूटी ली। दोनों ने 6 घंटे का रास्ता स्कूटी पर कवर करने का सोचा, क्योंकि यहां तक पहुंचने का रास्ता बेहद खूबसूरत था। हरे-भरे पहाड़ और साफ मौसम स्कूटी पर सफर को और भी ज्यादा रोमांटिक बनाते हैं। लेकिन दिल्ली से वह पूरा सफर स्कूटी पर नहीं कर सकते थे, इसलिए उन्होंने पहले बस से यात्रा शुरू की और फिर स्कूटी रेंट पर ली थी। प्रदीप और काजल ने स्कूटी पर 3 घंटे का रास्ता कवर कर लिया था, लेकिन बहुत देर से स्कूटी पर बैठे रहने की वजह से उनके पैर दुखने लगे थे। तभी रस्ते में उन्हें एक रेस्टोरेंट मिला और वह खाने के लिए वहां रुक गए। शाम के 5 बज गए थे और ठंडा मौसम होने की वजह से अंधेरा होने लगा था। इसलिए दोनों ने जल्दी कुछ खाकर निकलने का फैसला किया। उन्हें किसी भी हालत में शिमला पहुंचना था, क्योंकि वह शिमला में ही होटल लेकर रात गुजरना चाहते थे। अभी उन्हें 3 घंटे और स्कूटी चलानी थी।
वह थोड़ी देर रुक कर शाम का नाश्ता करके, वापस शिमला की तरफ आगे बढ़े। अभी उन्होंने केवल 1 घंटे ही स्कूटी चलाई थी, तभी रस्ते में तेज बारिश होने लगी। दोनों के पास ना छाता था और न ही रेनकोट। रास्ते में कोई स्टॉल और रेस्टोरेंट भी नजर नहीं आ रहे थे। जहां खड़े होकर वह बारिश रुकने का इंतजार करते। उन्होंने सोचा कि अब भीग ही गए हैं तो शिमला जाकर ही रुकेंगे। कुछ दूर आगे बढ़ने के बाद उन्हें अजीब से आवाज सुनाई दी। उन्होंने अपने सामने पहाड़ से कुछ छोटे पत्थर गिरते हुए देखे। बारिश की वजह से पहाड़ों की मिट्टी ढीली होने लगी थी और पानी की वजह से पहाड़ों पर दबे पत्थर मिट्टी के साथ नीचे आने लगे थे।
प्रदीप और काजल ने सोचा कि वह तेजी से स्कूटी चलाते हैं, क्योंकि यहां रुकना सेफ नहीं है। शाम के 8 बज गए थे और अंधेरा हो चुका था। तेज बारिश के साथ साथ तेज हवा स्कूटी को धकेलने लगी थी। तभी रस्ते में उन्होंने एक छोटा रेस्टोरेंट देखा, लेकिन वह रुके नहीं। काजल ने प्रदीप से कहा, हमें यहां रुक जाना चाहिए। बारिश और हवा बहुत तेज चल रही है। ऐसे में आगे जाना मुझे सेफ नहीं लग रहा। लेकिन प्रदीप को जैसे भी करके बस शिमला पहुंचना था। उसने काजल से कहा, बस 1 घंटे का रास्ता और बचा है, वहीं जाकर रुकेंगे। पूरी तरह से भीग चुके हैं और 8 भी बज गए हैं। अभी स्कूटी फिर भी चला पा रहे हैं। लेकिन और रात हो जाएगी तो स्कूटी चलाना बहुत मुश्किल हो जाएगा।
वैसे भी बारिश को देखकर नहीं लग रहा कि यह 2,3 घंटे से पहले रुकेगी। प्रदीप ने काजल की बात नहीं मानी और वह स्कूटी चलाता रहा। काजल पूरे रास्ते बस पहाड़ों की तरफ देख रही थी। उसे डर लग रहा था कि कहीं ऊपर से कोई पत्थर ना आ जाए। अंधेरा होने की वजह से पहाड़ों पर देखना मुश्किल हो रहा था। हल्की गाड़ियों की रोशनी से ही पहाड़ों को थोड़ा बहुत देखा जा सकता था। लेकिन पहाड़ इतने ऊंचे थे कि कब कौन सा पत्थर नीचे आ जाएगा, कहा नहीं जा सकता था।
तभी बारिश को तेज आवाज और तेज हवा के साथ प्रदीप और काजल को कुछ आवाज सुनाई दी, ऐसा लगा जैसे कोई बड़ी चीज नीचे आ रही है। काजल ने प्रदीप को स्कूटी रोकने को कहा, लेकिन प्रदीप ने स्कूटी और तेज बढ़ा दी कि अगर ऊपर से कुछ गिर रहा है तो जल्दी से आगे निकल जाएं। लेकिन तभी जिस सड़क पर वह चल रहे थे उसका आधा पहाड़ खिसक गया। उस समय सड़क पर और भी गाड़ियां थी।
सब कुछ बस इतना जल्दी हुआ कि सोचने का भी वक्त नहीं मिला, जितनी भी गाड़ियां उस समय सड़क पर थी, सब पहाड़ के साथ नीचे खाई में गिर गई। एक बड़ा पत्थर प्रदीप और काजल की स्कूटी से टकराया और दोनों स्कूटी के साथ ही नीचे खाई में गिर गए। नीचे गिरते समय प्रदीप ने काजल का हाथ फौरन पकड़ने की कोशिश की लेकिन पत्थरों की वजह से काजल का हाथ छूट गया और दोनों अलग हो गए।
हादसा होते ही दूर खड़ी गाड़ियां, अपनी जगह पर ही रुक गई। हल्ला मच गया और लोग डर के कारण अपनी गाड़ियों में ही कुछ देर बैठे रहे। पहाड़ घिसकने की खबर लोगों ने पुलिस प्रशासन को दी। करीब 10 मिनट बीत जाने के बाद जब लोगों ने देखा कि पहाड़ से अब कुछ नहीं गिर रहा है, तो वह अपनी गाड़ियों से बाहर आए। पहाड़ घिसकने की वजह से रास्ता बंद हो गया था और वह आगे नहीं जा सकते थे। वह खाई के नीचे देखने लगे की शायद किसी की मदद की जा सके।
करीब 3 से 4 गाड़ियां उस समय खाई में गिरी थी। खाई ज्यादा गहरी नहीं थी, लेकिन साइड में बह रहा पानी, कई गाड़ियों को बहा ले गया था। तभी लोगों की नजर एक पेड़ पर पड़ी। एक लड़का पेड़ पर लटका हुआ था, वह बेहोश था। ये लड़का और कोई नहीं प्रदीप था। जैसे ही बचाव टीम वहां पहुंची उन्होंने सबसे पहले प्रदीप को ऊपर लाया। रस्सियों की मदद से प्रदीप को ऊपर खींचा गया। प्रदीप को काफी चोटें आईं थी। उसे इलाज के लिए एंबुलेंस में लिटाया गया। कुछ देर बाद जब प्रदीप को होश आया तो उसने सबसे पहले काजल का नाम चिल्लाया।
वह टूटे हुए पैर से लंगड़ाते हुए एंबुलेंस से बाहर जाने की जिद करने लगा। बाहर अभी भी बारिश हो रही थी, डॉक्टर्स ने उसे बाहर जाने से मना किया, लेकिन वह माना नहीं। जबरदस्ती वह एंबुलेंस से बाहर आ गया और रोते हुए खाई की तरफ जाने लगा। राहत बचाव टीम ने उसे पकड़ लिया, लेकिन वह बार बार काजल का नाम लेकर रो रहा था। पुलिस उसे समझाने की कोशिश कर रही थी कि काजल को खोज लिया जाएगा, बारिश की वजह से नीचे जाना मुश्किल हो रहा है। लेकिन प्रदीप, काजल से अलग होकर पागल हो गया था।
पूरी रात बीत गई और राहत बचाव टीम ने सभी गाड़ियों को ऊपर खींच लिया था। गाड़ियों में बैठे लोगों को अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन किसी की भी जान नहीं बचाई जा सकी। लेकिन काजल की बॉडी किसी को नहीं मिली थी। खाई के नीचे काजल का बैग मिला था, लेकिन बॉडी नहीं मिलने की वजह से यह उम्मीद लगा जा रही थी कि शायद वह पानी में गिर गई है। अगले दिन गोताखोरों ने भी काजल को ढूंढने की बहुत कोशिश की लेकिन कहीं काजल का पता नहीं चल पाया। वहीं दूसरी तरफ प्रदीप का हाल भी बेहाल हो गया था। वह रो रो कर बस काजल काजल चिल्ला रहा था। पत्थरों की वजह से रास्ता बंद था, इसलिए लोगों को भी वापस लौटने के लिए कहा जा रहा था।
काजल के नहीं मिलने पर अब प्रदीप को भी वापस दिल्ली भेज दिया गया था। काजल के परिवार को पुलिस की तरफ से सूचना दे दी गई थी। काजल के परिवार वाले प्रदीप को कोस रहे थे और उसपर इल्जाम लगा रहे थे कि उसने ही काजल की जान ली है। काजल की मां का कहना था कि प्रदीप ने काजल को बहलाया फुसलाया और उसे अपने साथ शिमला घुमाने ले गया। ना वो ऐसा करता और ना ही उसकी जान जाती।
प्रदीप अपनी सुध-बुध खो चुका था। काजल के परिवार वाले जो भी कह रहे थे वहां पर कोई रिएक्ट नहीं कर रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे अब उसकी जिंदगी में जीने का कोई मकसद नहीं है।।काजल के परिवार वाले जानते थे कि वह उससे बहुत प्यार करता था, इसलिए उन्होंने उसके खिलाफ शिकायत नहीं की। लेकिन फिर भी वह उसकी मौत का जिम्मेदार उसे ही मानते थे।
धीरे-धीरे काजल को गए हुए 1 साल बीत गए थे। लेकिन प्रदीप आज भी काजल को याद करके रोता था। उसका किसी काम में मन नहीं लगता था। ऐसा लग रहा था जैसे उसकी सारी खुशियां छीन गई हैं। वह रोज शांत कॉलेज में बैठा रहता था। उसने काजल के जाने के बाद कभी किसी लड़की से भी बात नहीं की।
1 साल बीत जाने के बाद एक फिर फरवरी का महीना आ चुका था। वेलेंटाइन डे को प्रदीप मनहूस दिन मानने लगा था। लेकिन एक बार फिर उसने स्कूटी पर शिमला अकेले जाने का फैसला किया। वह काजल की याद में फिर से उसी जगह जा रहा था, जहां उसकी मौत हुई थी। उसने स्कूटी रेंट पर ली और ठीक उसी दिन उसी जगह पहुंच गया, जहां काजल गायब हुई थी। वह स्कूटी साइड में लगाकर , खाई के पास खड़े होकर बस देखे जा रहा था। उसके आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे और वह बस काजल काजल चिल्ला रहा था।
कुछ देर वहां बिताने के बाद वह वापस अपने शहर की तरफ आने लगा। वह अकेले शिमला नहीं गया, क्योंकि उस दिन काजल के साथ यह सफर अधूरा ही रह गया था। इसलिए उसने भी हमेशा इस सफर को अधूरा ही रखने का फैसला किया था। स्कूटी लेकर प्रदीप वापस देहरादून की तरफ आ रहा था। उसके आंखों से लगातार आंसू बहे जा रहे थे। आधा रास्ता गुजर चुका था, तभी रास्ते में एक झरना आया।झरने के पास उसे एक लड़की नजर आई। ये लड़की बिल्कुल काजल की तरह दिखती थी। उसने सोचा यह वहम है, वह स्कूटी लेकर आगे बढ़ गया, तभी अचानक से उसके मन में ख्याल आया। काजल की बॉडी नहीं मिली थी, हम ये नहीं मान सकते कि काजल की मौत हो गई है।
उसने फौरन स्कूटी घुमाई और वापस झरने की तरफ निकल गया। वो लड़की अभी वहीं झरने के पास बैठी थी। प्रदीप ने लड़की को साइड से देखा था। जैसे ही उसने स्कूटी रेकी और लड़की को पीछे से देखा, उसकी धड़कने बढ़ गई। धीरे धीरे प्रदीप आंखों में आंसू लिए लड़की की तरफ बढ़ा। वह लड़की के सामने आया, उसने देखा ये कोई और नहीं बल्कि काजल थी। काजल को देखते ही प्रदीप जोर जोर से रोने लगा।
प्रदीप को देखकर काजल के आंखों में भी आंसू आने लगे थे। लेकिन वह प्रदीप को नहीं पहचान पा रही थी। दरअसल, पत्थर सिर पर लगने की वजह से काजल की सोचने की शक्ति चली है थी, लेकिन वह प्रदीप को रोता देख खुद को रोने से रोक नहीं पाई।
काजल ने प्रदीप से पूछा, तुम कौन को? प्रदीप समझ गया था कि काजल उसे पहचान नहीं पा रही है। उसने फौरन उसके मां बाप को फोन किया। काजल के परिवार वाले भी उसे देखने के लिए फौरन गाड़ी लेकर कुछ घंटों में पहुंच गए। प्रदीप ने काजल को अपने बारे में बताया और उन लोगों से बात की, जो उसका ख्याल रख रहे थे। काजल उन्हें एक पत्थर पर मिली थीं। वह पानी के बहाव के कारण दूर गांव में पहुंच गई थीं। उन्होंने पुलिस स्टेशन में काजल के बारे में जानकारी दी थी। लेकिन उसके परिवार वालों तक सूचना नहीं मिल पाई थी। आखिर एक साल बाद वेलेंटाइन दिन पर ही प्रदीप को उसकी काजल वापस मिल गई।
यह कहानी पूरी तरह से कल्पना पर आधारित है और इसका वास्तविक जीवन से कोई संबंध नहीं है। यह केवल कहानी के उद्देश्य से लिखी गई है। हमारा उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है। ऐसी ही कहानी को पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी के साथ।
प्यार के इस महीने में अपने पार्टनर के लिए करना है कुछ खास, तो HerZindagi पर जानें कम्पलीटValentine's Day Week List, बेस्ट डेकोरेशन एंड प्रपोजल आइडियाज, गिफ्ट सजेशन और बहुत कुछ। रोमांस से भरपूर इस हफ्ते को कैसे सेलिब्रेट करें, इसकी पूरी जानकारी के लिए विजिट करें हमाराValentine's Day पेज।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों