हमारे बाद की पीढ़ी हमें शायद ही बता पाएगी कि दादी-नानी के जमाने में खाने का स्वाद कैसा हुआ करता था। आज की पीढ़ी तो बस पिज्जा, बर्गर और पास्ता के नाम पर अपना काम चला रही है। ऐसा इसलिए हम कह रहे हैं, क्योंकि हमने दादी-नानी के जमाने के व्यंजनों के बारे में सुोना है। उसकी थाली में देसी पकवान हमेशा रहते थे, जो सिर्फ स्वाद ही नहीं बल्कि पोषण से भी भरपूर होते थे।
हालांकि, कभी घर-घर में बनने वाली रेसिपी सिर्फ खाना नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और परंपराओं की पहचान थीं। लेकिन, आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी, फास्ट फूड कल्चर और बाजार में आसानी से मिलने वाले पैकेज्ड आइटम्स ने हमारी थालियों से इन व्यंजनों को लगभग गायब कर दिया है।
अब कई ऐसे व्यंजन हैं जो अब सिर्फ यादोंतक सिमट कर रह गए हैं। अगर आपको भी इन व्यंजनों के बारे में जानना है तो कुछ ऐसे पारंपरिक भारतीय व्यंजन, जो कभी हमारी थाली का हिस्सा हुआ करते थे लेकिन अब धीरे-धीरे खोते जा रहे हैं।
यह शायद ही आपने नाम सुना होगा, क्योंकि कुटकी की खीर पारंपरिक व्यंजन है। इसे छोटे बाजरे से तैयार किया जाता है, जिससे खीर तैयार की जाती है। आमतौर पर इसे सर्दियों में खाया जाता है, क्योंकि बाजरा गर्म होता है।
वक्त के साथ कुटकी खीर को बनाना बंद कर दिया गया है। हालांकि, आजकल चावल या सूजी की खीर आम है, लेकिन कुटकी की खीर का देसी स्वाद कुछ अलग ही होता है।
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इस सब्जी को काफी पसंद किया जाता था, पुराने लोग खुद को सेहतमंद रखने के लिए खाते थे। हमारी दादी या नानी के जमाने में यह सब्जी खास मौके पर जरूर बनाई जाती थी। मसालेदार सब्जी को रोटी या पूरी के साथ सर्व किया जाता है।
हालांकि, वक्त के साथ थाली से यह सब्जी गायब हो गई है। जिमीकंद की सब्जी बनाने के लिए इसे छीलकर छोटे टुकड़ों में काटा जाता है। फिर हल्दी और नमक वाले पानी में 7 मिनट तक उबाला जाता है।
रामपुरी तार कोरमा एक नवाबी डिश है, जो मुगलई और अवधी खाने का एक उदाहरण है। बता दें कि तार का मतलब है ग्रेवी, जिसे पतला और रिच फ्लेवर से भरपूर तैयार किया जाता है।
इसमें इस्तेमाल किए जाने वाले देसी मसाले, खसखस, काजू-बादाम का पेस्ट और दही इसे अनोखा स्वाद देते हैं। पहले यह डिश केवल खास दावत और शाही खाने में परोसी जाती थी, लेकिन अब यह धीरे-धीरे रेस्तरां की मेन्यू में भी जगह बना रही है।
आपने बाजरे की रोटी, मक्के की रोटी या नॉर्मल रोटी खाई होगी, लेकिन क्या कभी बेडू रोटी ट्राई की है? अगर नहीं, तो पता दें यह उत्तराखंड की पारंपरिक रोटी है, जो खासतौर पर पर्वतीय इलाकों में बनाई जाती है।
यह गढ़वाल और कुमाऊं इलाके की खास पहचान है। बेडू रोटी को गेहूं के आटे, गुड़ और तिल से बनाया जाता है। यह रोटी मीठे स्वाद की होती है और त्योहारों या खास मौकों पर परोसी जाती है।
मैसूर पाक तो आपने सुना होगा, लेकिन क्या आपने कुवर पाक के बारे में सुना या इसे ट्राई किया है? अगर नहीं, तो बता दें यह गुजरात और राजस्थान की एक पारंपारिक मिठाई है।
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इसे खास तौर पर बनाया जाता है। मगर वक्त के साथ इसकी लोकप्रियता कम होती जा रही है, हालांकि दादी-नानी के जमाने में कुवर पाक को सर्दियों में खास तौर पर बनाया जाता था।
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