हमारी सेहत के लिए बैलेंस डाइट लेना बहुत जरूरी है। शरीर को भरपूर पोषण सिर्फ बैलेंस डाइट से ही मिल सकता है। आखिरकार सभी तरह से न्यूट्रिएंट्स, विटामिन, मिनरल और प्रोटीन विकास के लिए जरूरी होते हैं। बैलेंस डाइट शरीर को इम्यूनिटी देने के साथ-साथ उसे हीलिंग पावर भी देती है। सही खाना खाने की सलाह तो हर कोई देता है, लेकिन अक्सर ये समझने में हम गलती कर जाते हैं कि आखिर ये हेल्दी डाइट है क्या। हमारे लिए क्या जरूरी है। अगर किसी तरह से किसी डाइटीशियन से डाइट चार्ट बनवा भी लिया तो उसका पालन शायद ही एक हफ्ते से ज्यादा होता हो।
अगर आपसे पूछा जाए कि आपके लिए किस तरह की डाइट सही होगी तो आपका जवाब क्या होगा? वेट लॉस के लिए डाइट अलग तरह से होगी, बॉडी की फिटनेस का ध्यान रखने के लिए अलग डाइट होगी, स्किन और बालों की सेहत को सही करने के लिए अलग डाइट हो सकती है। तो फिर आपके लिए कौन सी सही है इसका अंदाज़ा कैसे लगाया जाए? मार्केट में जितनी भी तरह की डाइट हैं उनके बारे में हम पढ़ सकते हैं, लेकिन शरीर की पूरी फिटनेस का अंदाज़ा लगाने, अपने बॉडी टाइप का आंकलन करने और हर तरह के गुणाभाग के बाद ही अपने लिए सही डाइट चुननी चाहिए। ऐसी डाइट ही शरीर पर सही असर डालती है।
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मेरी आगामी किताब 'Key to Good Health' से आप शेप में रहने और हेल्दी रहने के लिए सही डाइट के बारे में पता लगा सकते हैं।
कुछ लोगों के लिए खाना सिर्फ एनर्जी पाने का साधन होता है और कुछ के लिए ये बहुत जरूरी होता है। ऐसे समय में लोग कंफर्ट ईटिंग शुरू कर देते हैं। ये किसी भी समय हो सकता है। ऐसे समय में आपके लिए रोज़ाना का खाना भी कंफर्ट फूड बन सकता है। किसी त्योहार की जरूरत नहीं है ओवर ईटिंग के लिए। ऐसे लोगों के लिए डाइटिंग थोड़ी मुश्किल है। यही नहीं अगर किसी को कॉम्प्लेक्स डाइट नहीं करनी है और साधारण डाइट लेकर ही हेल्दी होना है तो उसे भी संयम रखना होगा और एक निर्धारित गोल तय करना होगा।
अभी वापस से मेरे पहले सवाल की ओर आ जाते हैं। आखिर बैलेंस डाइट होती क्या है? ये हमारे समझने के नजरिए पर भी निर्भर कर सकती है। एक हेल्दी बैलेंस डाइट का मतलब होता है कि ऐसी डाइट ली जाए जिससे शरीर स्वस्थ्य रहे और एनर्जी भी मिले। आसान शब्दों में ऐसा खाना जिसे खाने से दिन भर में आलस न आए और हमें दिन भर अच्छा लगे। बैलेंस का मतलब हर तरह की चीज़ हमारे खाने में हो जिसमें प्रोटीन, कार्ब्स, न्यूट्रिएंट्स, विटामिन, गुड फैट आदि सब हो।
अगर अब आप ये सोच रहे हैं कि बैलेंस डाइट का मतलब ये है कि हम पूरी तरह से सिर्फ वेट लॉस पर ध्यान दें तो ये गलत है। कई बार हमें ये समझने में दिक्कत हो जाती है कि अगर हम सही डाइट लेंगे तो ये किस तरह से हमारे शरीर के वजन को कंट्रोल करेगी और हमें हेल्दी भी रखेगी। सिर्फ वजन कम करने के लिए कम खाना सही डाइट नहीं हो सकती। आजकल कई तरह के डाइट ट्रेंड्स दुनिया भर में चल रहे हैं। इसपर लगातार रिसर्च हो रही है और इस कारण लोग थोड़े कन्फ्यूज भी हैं कि आखिर क्या खाया जाए और क्या नहीं। कई घरों में तो सिर्फ खाने को लेकर ही दिन रात चर्चा होती है। सुबह का नाश्ता, दोपहरा का खाना, रात का डिनर सब कुछ बड़े चाव से बनाया और खाया जाता है। तो फिर ऐसे लोगों के लिए डाइट बिलकुल नामुमकिन नहीं हो जाएगी?
कई लोग मुझसे पूछते हैं कि मैं उन्हें डाइट प्लान बताऊं और मैं उन्हें सिर्फ ये बताती हूं कि क्या सही है और क्या गलत। कुछ बेसिक गाइडलाइन्स जिनसे वो सही च्वाइस करें। कुछ आदतों को बदलने से ही हम अपने रोज़ के खाने को बैलेंस डाइट में तब्दील कर सकते हैं। ये हमारी सेहत के लिए अच्छा है।
1. शक्कर की जगह गुड़ और शहद जैसे नेचुरल स्वीटनर्स खाएं।
2. नट्स हमें भरपूर प्रोटीन दे सकते हैं और पेट को भरा भी रखते हैं। फ्राई किए गए स्नैक्स की जगह बादाम, काजू, किशमिश, कद्दू के बीज और कई सारे फ्रेश फ्रूट्स का सेवन करें।
3. रोटी बनाते समय मिक्स्ड ग्रेन आटा लें। इससे सभी तरह के न्यूट्रिएंट्स मिलने में मदद मिलेगी।
4. शक्कर से भरे हुए जूस की जगह अगर फ्रेश जूस लेंगी तो फायदा होगा। अब रोज़ फ्रेश जूस नहीं मिल सकता तो नॉर्मल नींबू पानी ही पी लीजिए जिससे इम्यूनिटी अच्छी हो।
5. कैल्शियम के लिए दूध और दही का सेवन जरूर करें।
अगर सिर्फ पापड़, अचार जैसी चीज़ों को छोड़ दें जो सोडियम से भरपूर होती हैं तो भारतीय डाइट वैसे भी काफी बैलेंस हैं। अब खुद ही देख लीजिए दाल से प्रोटीन मिल जाएगा। सब्जी और दही से कैल्शियम, सलाद तो वैसे भी सेहत के लिए अच्छा है जिसमें शरीर के लिए जरूरी विटामिन और न्यूट्रिएंट्स मिलते हैं। रोटी से फाइबर मिलता है। तो हुई न ये बैलेंस डाइट।
अगर मुझसे पूछा जाए तो मैं फिर यही कहूंगी कि ऐसी डाइट लें जिसमें आपको फायदा हो, न कि ऐसी डाइट जो दूसरों के लिए सही हो।
उदाहरण के तौर पर अगर किसी को वजन बढ़ाना है तो उसे फुल डेयरी प्रोडक्ट डाइट लेनी चाहिए, लेकिन उसी समय अगर सामने वाले को कोलेस्ट्रॉल की समस्या है तो उसे ऐसी डाइट से बचना चाहिए। अब यहीं व्हाइट ब्रेड से ज्यादा हेल्दी होलमील ब्रेड को माना जाता है, लेकिन अगर किसी को अनीमिया है तो उसे अपनी डाइट में व्हाइट ब्रेड शामिल करनी चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि होलग्रेन ब्रेड से आयरन ठीक तरह से एब्जॉर्ब नहीं हो पाता है। ये व्हाइट ब्रेड से ज्यादा बेहतर तरीके से हो सकता है। पर अगर अनीमिया से दिक्कत नहीं है और सिर्फ वेट लॉस चाहिए तो फिर होलग्रेन ब्रेड खाएं।
इसलिए खुद से हमेशा ये सवाल पूछें कि हम जो डाइट फॉलो करने जा रहे हैं वो आपके शरीर के हिसाब से सही है या फिर नहीं।
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हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आप क्या खा रहे हैं। यही डाइट मेंटेन करने का सबसे सही तरीका है।
अगर आप दिन का एक मील सुबह ले रहे हैं और दूसरा शाम में और रोज़ाना इसका समय बदल रहे हैं तो ये फायदेमंद नहीं है। कई रिसर्च ये दावा करती हैं कि अगर एक ही समय पर भोजन लिया जाए तो शरीर को सही न्यूट्रीशन मिलेगा।
जितना रोटी, चावल, दाल, सब्जी आदि रोज़ाना खाते हैं उससे थोड़ा कम कर लीजिए। ये बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है।
अगर आप बहुत बैलेंस डाइट ले रहे हैं तो ये खुशहाल रहने के लिए बहुत अच्छा है। अब सभी तला-भुना खाना छोड़ दें। कभी कभार की बात अलग है, लेकिन अगर रोज़ाना ये कर रहे हैं तो ये किसी भी तरह से बैलेंस नहीं है। इसलिए बेहतर होगा कि आप शक्कर कम करें, तला भुना कम करें और अपने खाने में सब्जियां और फल ज्यादा से ज्यादा शामिल करें। पानी भी सही मात्रा में पिएं और फिजिकल एक्टिविटी तो जरूर करें।
शिप्रा खन्ना मास्टरशेफ इंडिया सीजन -2 की विनर रह चुकी हैं। वो टीवी होस्ट, एंकर, फूड कंसल्टेंट भी हैं। साथ ही साथ वो फूड और डाइटिंग पर किताब भी लिख रही हैं।
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