दिवाली का सबसे पसंदीदा स्नैक आज से नहीं प्राचीन समय से किया जा रहा है पसंद, जानें इसके इतिहास के बारे में

दिवाली में मिठाइयों का बड़ा महत्व होता है, लेकिन इसके अलावा एक स्नैक भी है, जिसे बहुत पसंद किया जाता है। यह स्नैक चकली है। क्या आपको पता है कि इसे बनाने का आइडिया कैसे आया था?

 
who made chakli

कुरकुरे स्नैक्स चाय का मजा दोगुना करते हैं। अब जैसे दिवाली में लोग मिठाइयों के संग चकली भी सर्व करते हैं। चकली महाराष्ट्र में एक फेमस स्नैक है, जो अक्सर घरों में बनाया जाता है। महाराष्ट्र में कई जगह चकली के बिना दिवाली अधूरी मानी जाती है। यह भले ही फेमस महाराष्ट्र में हो, लेकिन इसे दक्षिण भारत में पहले बनाया गया था। इतना ही नहीं, वहां इसे नाम भी अलग दिया गया था।

अब बताइए, है न कितनी दिलचस्प बात कि कोई एक डिश बनाई कहीं गई थी और उसने ख्याति प्राप्त कहीं और की। दक्षिण भारत के किस राज्य में आखिर पहली बार चकली बनाई गई थी? इसे बनाने का आइडिया आखिर आया कैसे था? ये सवाल अगर आपके मन में भी हैं, तो चलिए आपको इसका इतिहास बताएं।

आयुर्वेदिक ग्रंथों ने बताया चकली कहां से आई

chakali history

विकिपीडिया पेज की मानें, तो इसके बारे में सबसे पहले प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में मिलता है। उन ग्रंथों में इसे सस्कुली नाम दिया गया था और इसे तिल के बीज के साथ मसालेदार चावल के आटे बनाया जाता था। इसे डिजाइन देने के लिए प्रेशर से दबाया जाता था और फिर घी या तेल में डीप फ्राई करके यह स्नैक तैयार होता था। इतना ही नहीं, चकली से मिलती-जुलती एक ऐसी ही रेसिपी का 1509 ईस्वी के मध्ययुगीन काल के कूबुक सूपा शास्त्र में भी मिलता है। उसमें बताया गया था कि चकली को चावल के आटे, चने के आटे और उड़द दाल के आटे को मिलाकर तैयार करते हैं। आज तो इसे बनाने वाले तमाम सामग्रियों का इस्तेमाल करते हैं और इसके कई वर्जन लोगों को पसंद भी आते हैं।

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दक्षिण भारत के इस राज्य में भी बनाई जाती थी चकली

यह एक लोकप्रिय दक्षिण भारतीय स्नैक बना, जिसे सबसे पहले तमिलनाडु में बनाया गया था। तमिल में इसे मुरुक्कु कहते हैं, जिसका तमिल में मतलब ट्विस्ट है। तमिलनाडु में इसे चावल के आटे और उड़द दाल से बनाया जाता है और यह खास मौकों पर तैयार किए जाते हैं। दिवाली पर तो गर घर से इसकी खुशबू आपके मन को ललचा सकती है। आपने भले ही यह स्पाइरल्स में देखे और खाए होंगे, लेकिन तमिल स्नैक्स स्टिक्स, रिबन्स और अन्य कई आकार में तैयार किए जाते हैं।

मूड पर निर्भर करता है इसका स्वाद

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तमिल नाडु में यह फेमस हुआ और फिर दक्षिण भारत के अलग-अलग राज्यों में पहुंचा। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल में भी यह बनने लगा। इसकी रेसिपी बनाना आसान है, लेकिन फिर भी इसे बनाने के लिए अच्छी स्किल की आवश्यकता होती है। ऐसा माना जाता है कि अगर आप खराब मूड से इसे बनाएंगे, तो इसका स्वाद भी खराब हो जाता है। इतना ही नहीं, आपके मूड का असर इसके रंग पर भी पड़ता है। ऐसा माना जाता है कि मुरुक्कु बनाते वक्त अगर आप खराब मूड में आ जाए, तो स्नैक काला होने लगता है और इसका टेक्सचर भी हार्ड हो जाता है।

महाराष्ट्र में भी पहुंचा मुरुक्कु

इसकी लोकप्रियता सिर्फ साउथ इंडिया तक नहीं रही, बल्कि इसके बाहर भी पहुंची। गुजरात के साथ ही महाराष्ट्र में इसे खूब पसंद किया गया। गुजरात और महाराष्ट्र में इसे चकली कहा जाता है। इसे बनाने की प्रक्रिया बिल्कुल वैसी ही है, लेकिन इसमें चने या छोले के आटे का उपयोग किया जाता है। इसकी उत्पत्ति के बारे में सही जानकारी किसी के पास नहीं है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि यह स्नैक्स सदियों से पसंद किया जाता रहा है और समय के साथ इसका लोकल स्वाद और आकार भी बदलते गए।

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चकली और मुरुक्कु की कई वैरायटी की जाती हैं पसंद

दक्षिण भारत के ही अलग-अलग क्षेत्रों में इसकी कई वैरायटी देखने को मिलती हैं। केरल (केरल घूमने के लिए बेस्ट प्लेसेस) में गुलाब के आकार का मुरुक्कु पसंद किया जाता है। इसे अचु मुरुक्कु कहते हैं, जो एक मीठा स्नैक है। वहीं इसकी एक वैरायटी थेंकूझल नाम से फेमस है, जो बहुत ही मसालेदार होता है और यह पतला होता है। इसी तरह अचप्पम, मनप्पराई और कन्नड़ का बेने मुरुक्कु बहुत लोकप्रिय है। कन्नड़ के इस मुरुक्कु का स्वाद बटरी होता है और होता भी स्मूथ होता है। अब तो इसे नारियल और रागी से भी तैयार करते हैं। इस तरह इसकी लोकप्रियता किसी एक जगह ही सीमित नहीं है।

मुरुक्कु कहिए या फिर चकली, इस पसंदीदा स्नैक के बारे में दिलचस्प जानकारी आपको कैसी लगी, हमें कमेंट करके जरूर बताएं। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा, तो इसे लाइक और शेयर करें। ऐसे ही लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।

Image Credit: Freepik

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