शायद ही ऐसा कोई हो जिसने मैसूर पाक जैसी मिठाई का स्वाद कभी न चखा हो। यह कर्नाटक की सिग्नेचर मिठाई है, जो पूरे देश भर में लोकप्रिय है। इसका रिच टेस्ट इसे रॉयल डेलिकेसी बनाता है। कहा जाता है कि इस मिठाई को सोच-समझकर नहीं बल्कि यूं ही जल्दी-जल्दी में बना दिया गया था।
रॉयल मैसूर पैलेस के किचन में कुछ 70-75 साल पहले इसे बनाया गया था। यह एक बटरी कुकी की तरह होती है, जो भारत की लगभग हर हलवाई की दुकान पर मिलती होगी। ऐसा कहा जाता है कि जो ऑथेंटिक मिठाई है, केवल मैसूर में देवराज मार्केट के पास स्थित गुरु स्वीट्स नामक एक मिठाई स्टॉल के पास ही मिलती है।
अब इस बात में कितनी सच्चाई है, यह तो हमें नहीं मालूम लेकिन इस स्वादिष्ट मिठाई मैसूर पाक के बनने की दिलचस्प कहानी आप भी शायद सुनना चाहें। चलिए तो फिर जानते हैं इसके रॉयल बनने की कहानी।
कहा जाता है कि मैसूर के पूर्व राजा कृष्णराज वाडियार चतुर्थ एक खाने के बड़े शौकीन थे। एक दिन जब राजा दोपहर का भोजन करने बैठे, तो उनके शाही रसोइए काकासुर मडप्पा ने महसूस किया कि वह खाने के बाद के लिए डेजर्ट बनाना भूल ही गए हैं। जब राजा ने खाना खाने के बाद डेजर्ट के लिए पूछा, तो मडप्पा जल्दी से किचन में गए और उन्होंने बेसन, घी और चीनी का मिश्रण बनाया और उसे एक फज की तरह सेट करके राजा के सामने पेश किया।
राजा ने मिठाई को टेस्ट किया, तो वह बहुत खुश हो गए। उन्होंने जब अपने रसोइए से मिठाई का नाम पूछा, तो रसोइए ने कुछ देर सोचा और फिर मैसूर के सम्मान में 'मैसूर पाक' नाम दे दिया। इस मिठाई के स्वादिष्ट टेस्ट से प्रसन्न होकर, राजा ने मडप्पा को अंबा विलास महल के मैदान के बाहर एक दुकान खोलने के लिए कहा, जिसमें मैसूर पाक रखा गया। जल्द ही, इस शाही मिठाई को आधिकारिक तौर पर दक्षिण भारत में मिठाइयों के 'राजा' के रूप में रखा गया।
ऐसा कहा जाता है कि जब पैलेस के बाहर गार्डन में त्योहार के समय में मैसूर पाक की दुकान लगने लगी, तो तब इसे ऐसे पीस में नहीं बेचा जाता था, जैसे आज बेचा जाता है। उस दौरान इसे केक (5 आसान स्टेप्स में सीखें घर पर बेसिक केक बनाने का तरीका) या फज की तरह ही लोग पूरा का पूरा खरीदते थे और त्योहारों का जश्न मनाते थे। उस टाइम पर इसे बराबर लम्प्स में बनाकर 3 रुपये किलो के हिसाब से बेचा जाता था।
इसे भी पढ़ें:'महाभारत' के समय से खाया जा रहा है 'गोलगप्पा', जानें इसके इतिहास की रोचक कहानी
मैसूर का दशहरा बहुत फेमस है और उन दस दिनों में लोग तरह-तरह के व्यंजन बनाते हैं। दशहरा उत्सव के 10 दिनों के दौरान, महिलाओं को कम से कम 51 पारंपरिक आइटम तैयार करने होते हैं। खाने की थाली में मैसूर पाक न हो, तो त्योहार अधूरे माने जाते हैं। कोई भी कार्यक्रम या त्योहार क्यों न हो, मैसूर पाक के बिना वह पूरा नहीं होता है।
इसे भी पढ़ें:जानें भारत की आजादी से कैसे जुड़ी है Butter Chicken की दिलचस्प कहानी!
यह थी एक राजशाही मिठाई मैसूर पाक के अस्तित्व में आने की कहानी। आपको यह कहानी कैसी लगी हमें जरूर बताएं। इस लेख को लाइक और शेयर करें और इसी तरह अन्य फूड की हिस्ट्री जानने के लिए पढ़ते रहें हरजिंदगी।
Image Credit: bigbasket & awesomecuisine
यह विडियो भी देखें
Herzindagi video
हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।