राजस्थानी खाने के चर्चे तो खूब सुने होंगें। दाल बाटी चूरमा, गट्टे की खिचड़ी, राजस्थानी कढ़ी. चूरमा लड्डू, मीठी बाजरा रोटी, मावा कचौड़ी और भी बहुत कुछ। लेकिन क्या आपने कभी राजस्थानी भरवां करेले नहीं खाए तो हम कहेंगें कि आपने बहुत कुछ मिस किया है। राजस्थानी भरवा करेले खासकर लोहे की कड़ाही में पकाए जाते हैं। लोहे के बर्तन में बने खाने का स्वाद तो खास होता ही है लेकिन इसे खाने के फायदे भी बहुत हैं। पहले आप राजस्थानी भरवां करेले बनाना सीख लीजिए क्योंकि इसके साथ ही हम आपको इसके फायदे भी बताएंगें।
सामाग्री
करेले- 6
प्याज़- 2 कद्दूकस किए हुए
बेसन- 2 चम्मच
अमचूर- 1 छोटा चम्मच या कच्चे आम का पेस्ट
जीरा- भुना हुआ एक छोटा चम्मच
सौंफ- 1 छोटा चम्मच
हल्दी- 1छोटा चम्मच
धनिया- 1छोटा चम्मच
लाल मिर्च- 1 छोटा चम्मच या स्वादानुसार
हींग- 1 चुटकी
नमक- स्वादानुसार
तेल- थोड़ा सा
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विधि
राजस्थानी भरवां करेले बनाने के लिए पहले आप करेलों को अच्छे से धोकर छील लें और फिर से उन्हे दोबारा धोएं।
अब करेले के बीचोंबीच ऊपर से नीचे की तरफ कट लगाएं और करेले के बीज निकाल लें।
करेलों पर नमक लगाकर उन्हे 2-3 घंटों के लिए छोड़ दें। इससे करेले का कड़वापन निकल जाता है।
अब करेले में भरने के लिए जो सामाग्री ऊपर रखी है उसे लोहे की कड़ाही में पकाना है।
लोहे की कड़ाही को गैस पर गर्म होने के लिए रख दें।
अब इसमें 2 चम्मच तेल डालकर उसे गर्म करें।
अब गैंस की आंच पर कम कर दें और उसमें प्याज़ का पेस्ट डालें और इसे ब्राउन होने तक चलाते रहें।
इसमें हल्दी, धनिया, हींग, जीरा, सौंफ लाल मिर्च और नमक डालें। इस मिश्रण को गैस पर थोड़ी देर तक अच्छे से पकाएं।
मसाले जब पक जाएं तब इसमें बेसन डालें और उसे थोड़ी देर तक भूनें।
लास्ट में अमचूर डालकर 1 मिनट बाद गैस बंद कर दें।
जब भरवां करेलों का मसाला ठंडा हो जाए तब इसे करेलों में भरें। लेकिन करेले में मसाला भरने से पहले ध्यान रखें कि नमक लगे करेले ने जो पानी छोड़ा है उसे आप अच्छे से निचोड़ लें क्यों उसमें ही करेले की कड़वाहट होती है। अगर नमक लगे करेले का पानी अच्छे से नहीं निचोड़ा जाए तो करेले कड़वे लगते हैँ।
करेले में मसाला भरने के बाद आप इस किसी धोगे से बांध दें।
राजस्थानी भरवां करेले फ्राई करने के लिए आप लोहे की कड़ाही में तेल गर्म करें और इसमें एक-एक करके आराम से सारे करेले डाल दें।
अब करेलों को धीमीं आंच पर थोड़ी देर तक पकने दें। जब करेले एक साइड से पक जाएं तो उन्हे कड़ाही में ही पलटा कर दूसरी जगह से करारे होने के लिए पकाएं।
करेले को धीमी आंच पर ही लोहे की कड़ाही में पकाना है जब करेले अच्छे से ब्राउन हो जाएं और आपको लगे कि ये तैयार है तब आप चम्मच से भी करेले को दबाकर चेक कर सकती हैं।
करेले में धागा बंधा होने से उनका मसाला कड़ाही में नहीं निकलेगा।
चटपटे राजस्थानी भरवां करेले खाने के लिए तैयार हैं।
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लोहे की कड़ाही में राजस्थानी भरवां करेले बनाने के फायदे
करेला एंटीऑक्सीडेंट होता है। विटामिन से भी भरपूर होता है। इसके आलावा करेले में बीटाकैरोटीन औक कैरोटीन होता है। करेला ब्लड प्यूरीफाई करता है। शूगर कंट्रोल करता है। और जब करेले को लोहे की कड़ाही में पकाया जाता है तब लोहे यानि आयरन आपके खाने में भी मिल जाता है। लगातार अगर बच्चों को 4 महीनों तक लोहे की कड़ाही में पका खाना खिलाया जाए तो उनका हीमोग्लोबिन भी बढ़ जाता है। लोहे की कड़ाही हर तरफ से बराबर ही गर्म होती है जिससे उसमें बनने वाले खाने का स्वाद अलग होता है।
ध्यान रखें- लोहे की कड़ाही में डेली खाना ना बनाएं सिर्फ हफ्ते में 2-3 दिन ही पकाएं। जंग लगी लोहे की कड़ाही में अगर जंग ज्यादा लगा है तो उसे पानी से धोकर उसमें खाना बनाएं और जंग कम लगा है तो कपड़े से साफ करके भी उसमें खाना बनाया जा सकता है।
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