कढ़ी का नाम सुनते ही बच्चों के ही नहीं बड़ों के मुंह में भी पानी आ जाता है। ऐसा हो भी क्यों न, यह बहुत ही स्वादिष्ट होती है। जी हां दही या छाछ और हल्के मसालों को मिलाकर इसे बनाया जाता है। यह एक ऐसा व्यंजन है, जो हर घर में बनाया जाता है। इसे हर कोई अलग-अलग अंदाज में बनाता है।
एक अच्छी कढ़ी वह है जिसे अच्छी तरह से उबाला जाता है और धीमी आंच पर पकाया जाता है, जिससे उसमें सुगंध, स्वाद, बनावट आदि पैदा होती है, जिसे सभी मौसमों के लिए पौष्टिक और रिलैक्स देने वाला गुण के लिए जाना जाता है। हम जानते हैं कि कढ़ी को कई तरह जैसे पंजाबी स्टाइल दही पकौडेे कढ़ी, हल्की गुजराती कढ़ी, पौष्टिक सिंधी कढ़ी, राजस्थानी कढ़ी आदि में कई तरह से बनाया जा सकता है। इसलिए आज हम आपके लिए 3 ऐसी ऑल-टाइम पसंदीदा कढ़ी रेसिपी लेकर आए हैं। इन रेसिपीज के बारे में हमें शेफ कविराज खिलयानी जी बता रहे हैं।
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भारतीय राज्य छत्तीसगढ़ का यह दही आधारित पकवान है, डबकी शब्द का अर्थ है गोता लगाना और यहां हम उड़द की दाल से बने छोटे पकौड़ी का इस्तेमाल करते हैं और कढ़ी में मिलाए जाते हैं, पारंपरिक रूप से उन्हें अलग से तला नहीं जाता है बल्कि इसे स्वस्थ बनाने के लिए कैलोरी सामग्री को रोकने या कम करने के लिए कढ़ी में पकाया जाता है।
पकौड़ी के लिए
पकौंडे के लिए तैयारी
कढ़ी के लिए सामग्री
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कढ़ी के फायदों के बारे में बताते हुए रुजुता दिवेकर ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक वीडियो शेयर करके कैप्शन में लिखा, ''अच्छे पाचन और साफ़ त्वचा के लिए कढी को अपनी डाइट में शामिल करें। पारंपरिक कढ़ी कम से कम 2000 साल पुरानी है। आयुर्वेदमें इसका उपयोग भूख बढ़ाने, गर्मियों के दौरान रिकवरी को तेज करने और त्वचा के स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिए एक चिकित्सा के रूप में किया जाता है।''
''गर्मी के दौरान भूख कम हो जाती है और गर्मी त्वचा और पेट को नुकसान पहुंचाती है। पेट में ऐंठन महसूस होती है, कब्ज और गैस अक्सर बन जाती है और यहां तक कि पीरियड्स भी दर्दनाक हो जाते हैं। दोपहर का खाना खाने का मन नहीं करने पर डिहाइड्रेशन की समस्या हो जाती है।''
आगे उन्होंने लिखा, ''हमारी दादी और नानी मां इस स्थिति से बाहर निकलने में हमारी मदद करने के लिए क्या करती थी, क्या आप जानते हैं? जी हां वे जानते थे कि भूख कम होने का मतलब है कि विटामिन-बी का कम होना और आंत के बैक्टीरिया से समझौता किया जा रहा है। ऐसे में वह गर्मी के कारण थोड़ा खट्टे हो रहे दही और दाल को मिलाकर मसाले और करी पत्ते के साथ तड़का लगाकर इसे बेहतर बनाती थीं। आप इस धीमी पकी कढ़ी को चावल के साथ खा सकते हैं और घर पर ही एक और स्वादिष्ट भोजन का उपयोग कर सकते हैं, जो प्री + प्रो-बायोटिक का एक आदर्श कॉम्बो है और एक पूर्ण एमिनो एसिड प्रोफाइल के साथ है। यह संपूर्ण भोजन है।''
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कढ़ी सूजन, कब्ज, मुंहासे को कम करने के लिए जानी जाती है और यहां तक कि इसे माइग्रेन और मूड स्विंग के लिए रोकथाम के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। यह भारत का जल्द ही खो जाने वाला सीक्रेट में से एक है। आपके परिवार के पास कढ़ी का अपना संस्करण होगा। हालांकि ज्यादातर लोग इसे बेसन से बनाते हैं। खट्टी दही को रागी जैसे दलिया के साथ मिलाया जाता है या कुल्थ जैसे दालों के साथ देसी खीरे के साथ हाइपर-मौसमी सब्जियों के साथ बनाया जाता है।
इसलिए, अगर आपकी भूख कम हो रही है, कब्ज महसूस कर रहे हैं तो इन सभी समस्याओं से बचने के लिए कढ़ी को वापस अपनी डाइट में लाएं। इस तरह की और जानकारी पाने के लिए हरजिंदगी से जुड़ी रहें।
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