Women's Day 2024: न्यायाधीश बन महिलाओं के लिए कानून के क्षेत्र में बनाया नया रास्ता,कुछ ऐसी है जस्टिस लीला सेठ की कहानी

 Indian High Court woman Justice: जस्टिस लीलासेठ को दिल्ली की पहली महिला जज होने का गौरव प्राप्त है। उन्होंने निर्भया मामले में अहम भूमिका निभाई थी।

 
first High Court woman Chief Justice

Indian Justice Leila Seth Story: जस्टिस लीला सेठ को भारतीय न्यायपालिका के सफल सदस्य के रूप में जाना जाता है। लीला सेठ को मदर ऑफ लॉक के नाम से जाना जाता है। भारतीय जनतंत्र के तीन हिस्से न्यायपालिका,कार्यपालिका और तीसरा व्यवस्थापिका जो बेहद ही अहम भूमिका निभाते हैं। वर्तमान में इन तीनों जगहों पर महिलाओं ने अपनी उपस्थिति को कायम कर रखा है। हालांकि महिलाओं के लिए कानूनी कार्यक्षेत्र को खोलने का काम लीला सेठ ने किया था। लीला सेठ अल्पसंख्यकों के अधिकारों दिलाने के लिए हमेशा खड़ी रहती थी। चालिए जानते हैं लीला सेठ के जीवन से जुड़ी कहानी के बारे में।

लीला सेठ का जीवन परिचय

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लीला सेठ का जन्म नवाबों के शहर लखनऊ में 20 अक्टूबर, 1930 को हुआ था। 11 साल की उम्र में लीला सेठ के पिता का देहांत हो गया था। उनकी मां ने इनका पालन-पोषण कर बड़ा किया। लीला सेठ बचपन से काफी होनहार और बुद्धिमान थी। उन्होंने दार्जिलिंग के एक स्कूल से अपनी शुरुआती शिक्षा पूरी की। बाद में उनकी शादी प्रेम सेठ नाम के एक शख्स से कर दी गई थी। शादी के बाद आगे की पढ़ाई के लिए वह अपने पति संग लंदन चली गई। यहां से उन्होंने स्नातक और कानून की पढ़ाई पूरी की। (पेट्रीसिया नारायण की कहानी)

लीला सेठ का वकालत करियर

लीला सेठ ने स्टेनोग्राफर के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की थी। लंदन से पढ़ाई पूरी करने के बाद वह इंडिया वापस आ गई। इसके बाद इन्होंने वकालत की शुरुआती शिक्षा कोलकाता से ली। उसके बाद पटना और बाद में दिल्ली में वकालत की पढ़ाई की।

बनीं पहली महिला न्यायाधीश

What is the story of Leila Seth

साल 1978 में लीला सेठ की नियुक्ति दिल्ली हाईकोर्ट ने बतौर न्यायाधीश हुई। कुछ समय के उपरान्त हिमाचल प्रदेश के हाईकोर्ट में बतौर चीफ जस्टिस नियुक्त हुईं। लीला सेठ ने जिमखाना क्लब की सदस्यता लेने से मना कर दिया गया था क्योंकि वह केवल पुरूषों के लिए बनाई गई थी।

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साल 1997 से लेकर 2000 तक लीला सेठ भारत के 15वें लॉ कमीशन का हिस्सा थीं। इस दौरान उन्होंने हिंदू उत्तराधिकारी अधिनियम 1956 में बदलाव लाने के लिए खासतौर से जाना जाता है। इस कानून में लीला सेठ ने बदलाव कर पिता की संपत्ति में बेटियों के हक दिलाया था।साल 2012 में दिल्ली में हुए गैंगरेप मामले के बाद भारत में रेप कानून को देखने के लिए जस्टिस वर्मा समिति का गठन किया गया था जिसमें जस्टिस लीला सेठ सदस्य थी।

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Image credit- Instagram, twitter

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