हमारा देश कितनी भी उन्नति क्यों न कर ले इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि आज भी कई ऐसे घर हैं जहां बेटियों को बोझ समझा जाता है। न जाने कितने परिवारों में बेटियां सिर्फ इसलिए आगे बढ़ नहीं पाती हैं क्योंकि उनके घर में बेटों की शिक्षा को प्राथमिकता दी जाती है। कई घर ऐसे हैं जहां बेटे पैदा होने से लेकर उनके बड़े होकर पढ़ने और नौकरी लगने तक में भी घर की बेटियां उनकी मदद करती हैं और अपनी शिक्षा और करियर को अपने भाई के लिए कुर्बान कर देती हैं।
लेकिन आज के इस पुरुष प्रधान समाज के लिए राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले की तीन बेटियों ने ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया है जिससे पूरा देश आश्चर्य में है। हनुमानगढ़ के एक ही परिवार की तीन बहनों ने एक साथ राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) में अपनी जीत हासिल करके ऐसे समाज पर तमाचा मारा है जहां बेटियों को बोझ माना जाता है। आइए जानें क्या है पूरी खबर और उन बहनों के संघर्ष की कहानी।
तीनों बहनों ने एक साथ क्रैक की परीक्षा
अगर इंसान चाह ले तो बड़े से बड़ा मुकाम भी हासिल कर सकता है। ऐसा ही उदाहरण दिया है राजस्थान के हनुमानगढ़ी की तीन बहनों ने। आपको बता दें कि अंशु, रीतू और सुमन राजस्थान के हनुमानगढ़ की रहने वाली हैं। 14 जुलाई 2021 को राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) ने साल 2018 के परिणाम को घोषित किए गए जिसमें हनुमानगढ़ की रहने वाली तीन बहनों ने राजस्थान प्रशासनिक सेवा संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा 2018 में एक साथ बाजी मारी। वास्तव में किसी ने ठीक ही कहा है कि अभाव में ही व्यक्ति उन्नति के चरम शिखर तक पहुंचता है। राजस्थान के भैरूसरी की इन 3 बहनों ने राजस्थान प्रशासनिक सेवा में चयनित होकर इस बात को सच साबित कर दिया है।
प्राइमरी के बाद नहीं गईं स्कूल
इन बहनों का जज्बा और भी ज्यादा काबिले तारीफ़ है क्योंकि घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से इन बहनों को पांचवीं के बाद स्कूल जाने का मौका ही नहीं मिला। लेकिन इन्होने हार नहीं मानी और उन्होंने 6वीं से लेकर बारहवीं, फिर ग्रेजुएशन, नेट जेआरएफ व पीएचडी तक की पढ़ाई प्राइवेट ही की और यह बड़ा मुकाम हासिल किया। कौन कहता है कि सुविधाओं के अभाव में उन्नति पाना मुश्किल है। ये बहनें वास्तव में एक गरीब किसान जिनका नाम सहदेव सहारण है उनकी बेटियां होने के बावजूद RAS में चयनित हुईं हैं। वहीं उनकी दो बेटियां, रोमा और मंजू पहले से ही RAS हैं। इस तरह उनके घर की 5 बेटियों ने इस बड़े मुकाम पर अपनी मुहर लगा दी है।
इसे जरूर पढ़ें:CCL में भारत की पहली महिला उत्खनन इंजीनियर बनीं शिवानी, जानें पूरी खबर
गांव में नहीं था स्कूल
दरअसल, इन सभी बहनों के गांव में स्कूल ही नहीं था और न ही किसान पिता सहदेव के पास इतने पैसे थे कि वो अपनी बेटियों को बड़े स्कूल में पढ़ा सकें। उनके पिता ओर पर पांच बेटियों और एक बेटे की पढ़ाई का जिम्मा था, इसलिए वह बच्चों को नियमित पढ़ाई नहीं करवा पाए। यही वजा थी कि सभी बहनों ने घर पर रहकर ही आपस में एक -दुसरे को सहयोग देते हुए पढाई की और एक साथ तैयारी करते हुए RAS की परीक्षा पास की। गांव की 5 बेटियों का राजस्थान प्रशासनिकसेवा (RAS) में चयन होने से न सिर्फ उनके गांव में बल्कि पूरे सेष में ख़ुशी की लहर है। सहदेव सहारण की बेटियों के साथ ही, उनके एक दामाद महेश कुमार का भी आरएएस में चयन हुआ था और वह राजस्थान के सीकर के रहने वाले हैं।
IFS अधिकारी का ट्वीट
अंशु, रीतू और सुमन की बड़ी दो बहनें का नाम रोमा और मंजू है जो पहले से ही राजस्थान प्रशासनिक सेवा में कार्यरत हैं। अब तीन और बहनें भी राजस्थान प्रशासनिक सेवा परीक्षा पास कर लिया है। इस बारे में भारतीय वन सेवा (IFS) अधिकारी प्रवीण कासवान ने ट्वीट कर कहा, 'अंशु, रीतू और सुमन के राजस्थान प्रशासनिक सेवा में चुने जाने की जानकारी मिली। यह बहुत खुशी की बात है कि तीनों बहनों ने एक साथ इस परीक्षा को पास करके अपने पिता और परिवार का नाम रोशन किया है'।
Such a good news. Anshu, Reetu and Suman are three sisters from Hanumangarh, Rajasthan. Today all three got selected in RAS together. Making father & family proud. pic.twitter.com/n9XldKizy9
— Parveen Kaswan (@ParveenKaswan) July 14, 2021
ये सभी बहनें वास्तव में पुरुष प्रधान समाज के लिए एक बड़ा उदाहरण हैं जो आज भी बेटियों को बोझ मानते हैं और उनके पैदा होने पर मातम मनाते हैं। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ जुड़ी रहें।
Recommended Video
Image Credit: @Twitter.com IFS Praveen Kashwan
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों