परिवार की जिम्मेदारी उठानी हो या फिर दफ्तर का काम, घर की रसोई संभालनी हो या फिर व्यापार, अंतरिक्ष की सैर करनी हो या बॉर्डर पर लड़ाई। शायद ही ऐसा कोई क्षेत्र होगा जहां आज महिलाएं अपना वर्चस्व साबित न कर रही हों। घर की चार दीवारी से निकलकर आज महिलाओं ने साबित कर दिया है कि वे किसी भी तरह से कम हुनरमंद नहीं हैं। ऐसी हुनरमंद महिलाओं में भारत की भी कई महिलाएं शामिल हैं, जिनहोंने देश की पुरानी घिसी पिटी परंपराओं को दरकिनाकर कर न केवल अपनी प्रतिभा को लोगों के सामने लाने की हिम्मत दिखाई बल्कि सदियों से पुरुषों के वर्चस्व वाले क्षेत्रों में अपनी उपस्थिती भी दर्ज कराई। इंटरनेशनल वुमन डे के मौके पर आज हम आपसे कुछ ऐसी ही महिलाओं की कहानी शेयर करेंगे, जो देश की दूसरी महिलाओं के लिए मिसाल बन चुकी हैं।
पेट्रोल पंप वाली निर्मल मैडम
लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
कवि श्री हरिवंशराय बच्चन की लिखी इस कविता की ये पंक्तियाँ हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले की रहने वाली 67 वर्षीय निर्मल सेठी पर एक दम फिट बैठती हैं। देश की महिलाओं के लिए मिसाल बन चुकी निमर्ल देश की पहली महिला हैं जिन्होंने पेट्रोल पंप की ओनरशिप संभाली और आज एक सफल बिजनेस वुमन बन चुकी हैं। आपको जान कर हैरानी होगी कि निर्मल मेन डोमिनेटिंग इस फील्ड में सन 1983 में ही एंट्री कर चुकी थीं। यह वो वक्त था जब महिलाओं के लिए घर से बाहर निकल कर काम करना ही बड़ी बात हुआ करती थी। उस समय निर्मल ने पेट्रोल पंप जैसे महिलाओं के लिए आसाधारण माने जाने वाले काम को करियर के तौर पर चुना और कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। मगर इस डगर पर चलना निर्मल के लिए आसान नहीं था। वह बताती हैं, ‘कांगड़ा में उस समय एक भी पेट्रोल पंप नहीं था। मुझे लगा कि एक कोशिश करनी चाहिए। मगर पेट्रोल पंप के लिए तब परमिट लेने के लिए इंटरव्यू होता था। जब इंटरव्यू के लिए गई तो वहाँ लगभग हजार मर्द इंटरव्यू के लिए आए हुए थे। पहले मैं घबरा गई फिर लगा जब आई हूँ तो इंटरव्यू देकर जाऊँगी। ’
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यह इंटरव्यू निर्मल के लिए आसान नहीं था। एक महिला को पेट्रोल पंप के परमिट के लिए आता देख इंटरव्यू लेने वाले भी चकित रह गए। निर्मल से पहला और आखरी सवाल यही था कि ‘पेट्रोल पंप क्या होता है? जानती हो। काम कैसे करोगी? ट्रक ड्राइवर और कंडक्टर से बात करना आसान नहीं होता। कैसे चलाओगी पेट्रोल पंप?’ इन सब सवालों का जवाब निर्मल ने एक ही बार में दे दिया। वह बताती हैं, ‘मैंने बोला कि इंदिरा गांधी जब पूरा देश चला सकती हैं तो मैं एक छोटा सा पेट्रोल पंप कैसे नहीं चला पाऊँगी। ’निर्मल के जवाब से खुश होकर और उनके बुलंद हौसलों को देखकर उन्हें परमिट दे दिया गया।
वह बताती हैं, ‘लोग मेरे पेट्रोल पंप को केवल देखने आते थे कि एक लड़की कैसे पेट्रोल पंप में काम कर रही है। मैं सारे काम खुद करती थी। पेट्रोल भरवाने से लेकर पेमिंट लेने जाने तक सभी काम खुद से करती थी। हर दिन मेरा हौसला बढ़ता ही जात था। मैंने अपने बलबूते तेल का एक टैंकर भी खरीदा और आज मेरे पास 8 टैंकर हैं।’निर्मल के पेट्रोल पंप की खासियत है कि यहां केवल महिला वर्कर ही हैं। निर्मल उन्हें न केवल पेट्रोल भरने का काम सिखाती हैं बल्कि ट्रक और बस चलाने की ट्रेनिंग भी देती हैं।
फिजिकली चैलेंज्डको क्लासिकल डांस सिखाती हैं रानी खानम
कला किसी धर्म, जाति, रंग, सौंदर्य और दिखावट की मोहताज नहीं है। यह बात कई बार कई लोगों के मुंह से सुनी तो होगी मगर देखने को ऐसा कम ही मिलता है। फिर डांस जैसी कला में आदमी का शारीरिक रूप से एक दम फिट होना कितना महत्वपूर्ण इसका अंदाजा तो आसानी से लगाया जा सकता है। मगर फेमस कथक डांसर रानी खानम इस बात को नहीं मानती। वह कहती हैं, 'कला सब के लिए है और इसे अपनाने के लिए कोई किसी को रोक नहीं सकता क्योंकि कला का रिश्ता दिल से होता है और जब कोई दिल से कोई काम करना चाहता है तो वह हजारों मुश्किलों के बाद भी उसे करने में सफल हो जाता है। 'रानी की बातों की धमक उनके काम में भी दिखई देती है। रानी खुद तो बहुत अच्छी डांसर हैं ही मगर साथ ही उन्होंने 'आमद' नाम से एक डांस स्कूल भी खोल रखा हैं जहां वह डिसेबल बच्चों को क्लासिकल डांस सिखाती हैं। वह बताती हैं, डांस एक ऐसी आर्ट है जो सभी में होती है बस उसे निखारने की जरूरत होती है। डिसेबल लोग भी डांस कर सकते हैं। बस उनके इस हुनर को तराशने का मैं करती हूं। आज रानी खानम के कई स्टूडेंट नेशनल इंटरनेशनल लेवल पर अपनी प्रतिभा को लोगों के सामने प्रस्तुत कर रहे हैं और लोगों के अपनी हुनर से चौका रहे हैं।
महिलाओं की ड्राइविंग पर है शक तो मिलें रेवती रॉय से
घर में नई कार आती है तो सबसे पहले पिता बेटे को ड्राइव करने को देते हैं। बेटी ड्राइव करने को मांगती भी है तो उस पर उनको भरोसा नहीं होता है। लॉन्ग ड्राइव पर जाने होता है तब भी घर वाले बेटी से ज्यादा बेटे को ड्राइव करने के लिए इंकरेज करते हैं। मगर महिलाएं भी अच्छी ड्राइवर हो सकती हैं इस बात को मजूबती के साथ साबित करती हैं मुंबई की रेवती कुलकर्णी रॉय।
रेवती को भारत में 'बॉर्न टू ड्राइव' के तौर पर पहचाना जाता है। उन्होंने करियर के तौर पर आम महिलाओं की तरह टीचिंग, डॉक्टर या फिर बैंक की सर्विस को नहीं चुना बल्कि रेवती ने ड्राइविंग में अपने भविषय को संवारने का डिसीजन लिया। 57 वर्षीय रेवती बताती हैं, 'जब मैने कार ड्राइविंग को करियर के रूप में चुना उस वक्त कारों की संख्या ही कम हुआ करती थी। 100 में से 1 फैमिली में 1 कार होती थी। वह कार या तो ड्राइवर चलता था या फिर घर का कोई पुरुष। महिलाओं को कार चलाने की कोई मनाही नहीं थी मगर महिलाएं भी कार चला सकती हैं इस पर लोगों को डाउट था।'
रेवती ने इसी डाउट को टोड़ा और 70 से भी अधिक कार रैली में हिस्सा लिया। इसके लिए उन्हें कई अवॉर्ड भी दिए गए। मगर रेवती को पहचान तब मिली जब 2007 में उन्होंने पहली वुमेन टैक्सी सर्विस शुरू की। हाल में उन्होंने हेदीदी नाम से महिलाओं पर फोकस किया हुआ फुड डिलीवरी ऐप भी तैयार किया है.
रिचा ने महिलाओं के अंडरगारमेंट्स का करती हैं बिजनेस
महिलाओं को अपने ही घर में आजादी नहीं है, यह बात इससे साबित हो जाती है कि अपने अंडरगारमेंट्स को सुखाने के लिए महिलाओं को आज भी आड़ की जरूरत पड़ती है। आज भी महिलाओं में इतना साहस नहीं है कि अपने अंडरगारमेंट्स के बारे में खुल कर लोगों से बात कर सकें। मगर इन्हीं महिलाओं में से एक ऐसी महिला भी है, जो न केवल इस पर खुल कर बात करती है बल्कि इसी का बिजनेस भी करती है। जी हां, हम बात कर रहे हैं Premier Online undergarment store जिवामे की ओनर रिचा कौर की।
रिचा ने जब इस बिजनेस के बारे में सोचा तब वह एक मल्टीनेशनल कंपनी में बहुत ही अच्छी सौलरी पर काम कर रही थीं। अपने बिजनेस आइडिया के बारे में रिचा ने मां को बताया तो उन्होंने ने झटर से मना कर दिया और साथ में बोलो, 'इसका भी कोई बिजनेस करता है। यह सिर्फ पुरुषों का काम है। लोग क्या कहेंगे कि मेरी बेटी महिलाओं के अंडरगारमेंट्स बेचती है। नहीं करना है यह बिजनेस' मगर रिचा तो ठान ही चुकी थीं कि काम करेंगी तो अंडरगारमेंट्स बेचने का वरना नहीं करेंगी।
आज जिस काम के लिए रिचा की मां ने उन्हें रोका था वही काम दुनिया भर में मशहूर हो चुका है। जी हां, रिचा देश की पहली ऐसी महिला थीं जिन्होंने महिलाओं के अंडरगारमेंट्स का ऑनलाइन बिजनेस शुरू किया था। इसके लिए 2014 में फॉर्च्यून इंडिया ने ‘अंडर-40’ लिस्ट में रिचा का नाम शामिल किया था। अपनी सैलरी से बचाए चंद पैसों से शुरू किए इस बिजनेस का टर्नओवर आज 270 करोड़ रुपए है। जिवामे के ऑनलाइन लॉन्जरी स्टोर में करीब 5 हजार लॉन्जरी स्टाइल और 50 ब्रांड 100 से ज्यादा साइज उपलब्ध है।
महिलाओं को दुनिया की सैर कराती हैं शबीना चोपड़ा
घूमने की जब भी बात आती है तो घर की महिलाएं पुरुषों को मुंह ताकने लगती हैं। मगर एक महिला ऐसी भी है जिसने महिलाओं के साथ पुरुषों को भी दुनिया घुमाने की ठान ली । इस महिला का नाम शबीना चोपड़ा है। शबीना ने वर्ष 2006 में यात्रा डॉट कॉम जैसी एक ऑनलाइन सर्विस को लॉन्च किया। इस सिर्वस के तहत ट्रैवल फ्रीक लोगों के लिए घूमना फिरना इतना आसान हो गया कि प्लेन के टिकट्स से लेकर कहा रहना है और कहा घूमना इसकी जद्दोजहद ही खत्म हो गई।
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