आज ओलंपिक में भारतीय महिला खिलाड़ियों का जलवा है। लेकिन एक वक्त था जब खेल जगत में केवल पुरुषों का ही दबदबा था। ऐसे में किसी भारतीय महिला का ओलंपिक खेलों में भाग लेना ही बड़ी बात थी। पहली बार ओलंपिक खेलों में भाग लेने वाली पहली भारतीय महिला शाइनी अब्राहम थीं, जिन्होंने खेल जगत में एक अलग मुकाम हासिल किया। आज के इस आर्टिकल में हम आपको शाइनी की इंस्पायरिंग कहानी के बारे में बताएंगे, कि आखिर कैसे एक साधारण महिला ओलंपिक तक का तय किया।
कौन हैं शाइनी?
शाइनी अब्राहम ओलंपिक में भारतीय दल का नेतृत्व करने वाली पहली महिला हैं। साल 1992 में हुए बार्सिलोना खेलों में पहली बार किसी महिला को टीम का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। जहां शाइनी ओलंपिक खेलों में देश की पहली महिला ध्वजवाहक भी रहीं। इसी के साथ उन्हें देश की पहली महिला ध्वजवाहक माना गया।
शाइनी का बचपन
शाइनी का जन्म 8 मई 1965 में केरल के थोडुपूजहा जिले के लडुकी में हुआ था। उनकी रुचि बचपन से ही खेलकूद में थी। लेकिन कोट्टायम में खेल प्रभाग में शामिल होने के बाद उन्हें काफी कुछ सीखने को मिला।
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शाइनी की शिक्षा
शाइनी, पीटी उषा और एमडी वालसम्मा तीनों ने ही एक ही खेल प्रभाग में पढ़ाई की और जब बड़े हुए तो 3 नों ने ही एनआईएप्स के कोच पीजे देवसेला ने उन्हें कोचिंग दी। इसके अलावा उन्होंने अल्फोंसा कॉलेज में जाने से पहले, शाइनी ने स्पोर्ट्स स्कूल से प्रशिक्षण प्राप्त किया।
ओलंपिक खेलों में शाइनी
शाइनी अब्राहम विल्सन इस साल ओलंपिक में कोई पदक तो नहीं ला पाईं, लेकिन इसके बावजूद भी वो अन्य महिला खिलाड़ियों के लिए पथप्रदर्शक बनकर सामने आईं। वो ओलंपिक खेलों में सेमीफाइनल में पहुंचने वाली भारतीय ट्रैक एथलीट बनी, जिन्होंने साल 1984 में लॉज एंजिल्स में यह इतिहास दर्ज किया। उस वर्ष शाइनी 800 मीटर की धाविका हिट में 2,04.09 के समय से 4थे स्थान पर रहीं। वहीं साल 1985 के एशियाई खेलों में के 800 मीटर गोल्ड मेडल अपने नाम किया। खेल के करियर में शाइनी ने कई रिकॉर्ड अपने नाम किए।
साल 1988 में उन्होंने प्रसिद्ध तैयार विल्सन चेरियन से शादी की। शादी के बाद शाइनी ने खेल में फिर से वापसी की और कई रिकॉर्ड अपने नाम किए। जिसके लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है। खेल जगत में योगदान के लिए शाइनी को अर्जुन अवार्ड और पद्मश्री जैसे राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा खेल जगत के लिए शाइनी एक बड़ा नाम, जिन्होंने महिलाओं को ओलंपिक तक पहुंचने का हौसला दिया।
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image Credit- wikipedia
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