जीने का अरमान है नारी
हम सबका सम्मान है नारी...
ये एक कविता की लाइन्स हैं। ये लाइन्स IAS Officer Mugdha Sinha पर काफी सटीक बैठती हैं। ये खुलकर भी जीती हैं और अपने सम्मान के साथ समाज के सम्मान का भी ख्याल रखती हैं। इस सम्मान का मान रखने के लिए Mugdha किसी गुंडो से भी नहीं डरतीं। बल्कि इनकी इच्छाशक्ति और बुराई को जड़ से मिटाने का जज्बा इतना ज्यादा था कि गंडे-बदमाश तक इनसे डरते थे। तो आज जानते हैं IAS Officer Mugdha Sinha के बारे में जिनसे माफिया तक डरते थे।
IAS Officer Mugdha Sinha 1999 बैच की राजस्थान कैडर की IAS Officer हैं। जब ये कलेक्टर बनकर राजस्थान की झुंझनु जिले गईं थीं तो ये उस जिले की तब तक की पहली महिला कलेक्टर थी। फिलहाल ये राजस्थान स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट एंड इंवेस्टमेंट कॉरपोरेशन ( Rajasthan State Industrial Development and Investment Corporation (RIICO)) में कमीश्नर के तौर पर कार्यरत हैं।
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ये समय की बहुत पाबंद हैं। इसलिए इन्हें समय पर ना आने वाले लोग बिल्कुल भी पसंद नहीं। इन्होंने हाल ही में 80 अधिकारियों की हाजिरी रजिस्टर में मार्क कर दी थी क्योंकि वो लेट से आए थे। अब जब वो समय पर ना आने के लिए अधिकारियों को डांट लगा सकती हैं तो माफियाओं का तो विरोध करेंगी ही।
जैसा कि मुश्किलें तो हर किसी के लाइफ में होती हैं और जब कोई सच बोलता है तो उसके लिए मुश्किलें और बढ़ जाती हैं। ऐसा ही कुछ मुग्धा के साथ भी हुआ। मुग्धा राजस्थान के झुंझनु जिले की पहली महिला कलेक्टर थी। राजस्थान, जहां अब भी लड़कियों को घर के अंदर रहने के लायक ही समझा जाता है, वहां मुग्धा को काम करना था। ऐसे में मुश्किलें तो आनी ही थीं।
ये ऐसी महिला है जिन्होंने चार जिलों में काम किया है। सबसे पहले इन्होंने बूंदी जिले में काम किया था। इसके बाद इन्होंने हनुमान गढ़ और श्रीनगर में काम किया। चौथा जिला झुनझुनु है जहां इन्हें ट्रांसफर का भी सामना करने पड़ा।
झुंनझुनु में ग्राउंड वाटर से जुड़े illegal mining औऱ illegal extraction का काम काफी बड़े लेवल पर चल रहा था और वहीं आनुसूचित जाति की जमीनों पर माफियाओं का कब्जा था। इन सबका विरोध मुग्धा सिन्हा ने किया। जिसके कारण उनका ट्रांसफर कर दिया गया। लेकिन वहां के लोकल लोग मुग्धा के काम से खुश थे। इसलिए वहां के स्थानीय लोग मुग्धा के समर्थन में सड़कों पर उतर गए। बाद में मुग्धा का ट्रांसफर श्रीनगर कर दिया गया।
मुग्धा के काम करने की प्रति ईमानदारी के बदले उन्हें 15 साल में 13 ट्रांसफर का का ईनाम मिला हुआ है। इन्हें राजनीति में कोई पसंद नहीं करता और लोकल लोग इन्हें काफी पसंद करते हैं।
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ट्रांसफर के बाद भी मुग्धा ने अफने काम से कभी समझौता नहीं किया। उनका कहना है कि, “उन्हें मात्र अपने काम से मतलब है"। मुग्धा अपने काम से नहीं डरती और देश के संविधान को अपनी गाइडिंग लाइट मानती है। उनका मानना है कि “सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं"।
मुग्धा सिन्हा शुरू से ही पढ़ने में तेज थीं। इन्होंने अपनी पढ़ाई देश के सबसे प्रतिष्ठित कॉलेज जेएनयू से पूरी की है। इन्होंने जेएनयू से इंटरनेशनल रिलेशन में मास्टर और इंरनेशनल डिप्लोमेसी में एमफिल किया है।
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