इंदिरा का जन्म 19 नवंबर, 1917 को हुआ। पिता जवाहर लाल नेहरू आजादी की लड़ाई का नेतृत्व करने वालों में शामिल थे। वही दौर रहा, जब 1919 में उनका परिवार बापू के सानिध्य में आया और इंदिरा ने पिता नेहरू से राजनीति की बारीकिया सीखीं। वह एक अजीम शख्सियत थीं। इंदिरा गांधी के भीतर गजब की राजनीतिक दूरदर्शिता थी। शुरुआती जीवन से लेकर 1984 तक उन्होंने भारत की दशा और दिशा दोनों बदलीं। कभी उन्हें 'गूंगी गुड़िया' का तमगा दे दिया गया था, मगर उन्होंने दुनिया भर में अपनी ताकत का लोहा मनवाया, जिसके बाद उन्हें 'द आयरन लेडी' कहा गया।
वह अपने कड़े से कड़े फैसलों को पूरी निर्भयता से लागू करने का हुनर जानती थीं। कहते हैं कि 1971 के युद्ध के बाद, जब उनके कार्यकाल में पाकिस्तान को शिकस्त मिली, तब अटल बिहारी बाजपेयी ने उन्हें मां दुर्गा का अवतार कहा था। आइए जानें उनके जीवन से जुड़ी ऐसी अन्य रोचक बातें।
कैसा था शुरुआती जीवन?
11 साल की छोटी सी उम्र में उन्होंने ब्रिटिश शासन का विरोध करने के लिए बच्चों की वानर सेना बनाई थी। इसके बाद, साल 1938 में वह इंडियन नेशनल कांग्रेस में शामिल हुईं और 1947 से 1964 तक अपने पिता और प्रधानमंत्री नेहरू के साथ काम किया। कहा जाता है कि वह उस वक्त प्रधानमंत्री नेहरू की निजी सचिव थीं, हालांकि इसका कोई आधिकारिक ब्यौरा नहीं है।
पिता के निधन के बाद कांग्रेस पार्टी में इंदिरा गांधी काम देखकर लोग उनमें पार्टी और देश का नेता देखने लगे। वह सबसे पहले लाल बहादुर शास्त्री के मंत्रिमंडल में सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनीं।
भारत में हरित क्रांति
शास्त्री जी के निधन के बाद 1966 में वह देश के सबसे शक्तिशाली पद पर आसीन हुईं। साल 1966 में इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री पद को संभालने के बाद कृषि पर ज्यादा ध्यान दिया। जब वह बतौर प्रधानमंत्री वाशिंगटन के दौरे पर गईं तो उन्होंने जॉनसन से खाद्यान्न की मदद ली। धीरे-धीरे भारत में चीजें तेजी से बदलने लगीं। 1960 के अंतिम दौर में गेहूं की ज्यादा उत्पादकता बढ़ाने वाली किस्में प्रचलन में आ गई। इस तरह इंदिरा गांधी ने हरित क्रांति को सरकार की प्राथमिकता बनाया।
जब कह दिया गया 'गूंगी गुड़िया'
कहा जाता है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद एक या दो साल तक इंदिरा बहुत तनाव में थीं। वह उन कार्यक्रमों में असहज महसूस करतीं और उनसे बचने का प्रयास करतीं, जहां उन्हें बोलना होता था। इसी कारण शुरू-शुरू में उनकी असहजता को देख विपक्ष उन पर हावी होने लगा। कहा जाता है कि जब इंदिरा गांधी को साल 1969 में बजट पेश करना था, तब वह इतनी नर्वस थीं, कि कुछ बोल ही नहीं पाईं। उनके न बोलने के कारण ही विपक्ष के नेता राम मनोहर लोहिया ने उन्हें 'गूंगा गुड़िया' तक कह दिया था।
1971 में दिखाई अपनी ताकत
बात है 25 मार्च 1971 की, जब पाकिस्तान के सैनिक तानाशाह याह्या खान ने पाकिस्तान के लोगों को कुचलने का आदेश दिया। तभी पूर्वी पाकिस्तान से शरणार्थी भारत आने लगें। इसके बाद 3 दिसंबर 1971 को इंदिरा गांधी कोलकाता में एक जनसभा कर रही थीं। उसी शाम पाकिस्तानी वायु सेना के विमानों ने भारतीय वायु सीमा पार कर पठानकोट, श्रीनगर, अमृतसर, जोधपुर और आगरा के सैनिक हवाई अड्डों पर बमबारी की। इंदिरा ने तब अपनी ताकत से लोगों को रूबरू कराने का फैसला किया। पाकिस्तान के साथ लड़ाई 13 दिन में खत्म हुई। 16 दिसंबर को हमारी सेना ने पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों को बंदी बना लिया। पूर्वी पाकिस्तान आजाद हो गया। इंदिरा की पहल पर ही बांग्लादेश नाम से नया देश बना, जिसके राष्ट्रपति शेख मुजिबिल रहमान बनें।
इंदिरा गांधि भारत को नई महाशक्ति बनाने में जुट गई थीं। 18 मई 1974 को इंदिरा गांधी ने पोखरण परमाणु का परीक्षण करवाया। इसके बाद उन्हें 'द आयरन लेडी' नाम मिला।
1975 में आपातकाल की स्थिति बना भारत के इतिहास का काला अध्याय
25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 के बीच देश में 21 महीने तक आपातकाल लगाया गया। तत्कालीन राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की सिफारिश पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के अधीन देश में आपातकाल की घोषणा की थी। 25 जून और 26 जून की मध्य रात्रि में तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के हस्ताक्षर करने के साथ ही देश में पहला आपातकाल लागू हो गया था। अगली सुबह समूचे देश ने रेडियो पर इंदिरा की आवाज में संदेश सुना था, 'भाइयो और बहनो, राष्ट्रपति जी ने आपातकाल की घोषणा की है। इससे आतंकित होने का कोई कारण नहीं है।'
आपातकाल के बाद प्रशासन और पुलिस के द्वारा भारी उत्पीड़न की कहानियां सामने आई थीं। प्रेस पर भी सेंसरशिप लगा दी गई थी। हर अखबार में सेंसर अधिकारी बैठा दिया गया, उसकी अनुमति के बाद ही कोई समाचार छप सकता था।
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ऑपरेशन ब्लू स्टार और इंदिरा गांधी की मृत्यु
इंदिरा गांधी के लिए 1980 का दशक खालिस्तानी आतंकवाद के रूप में बड़ी चुनौती लेकर आया। 1984 में सिख चरमपंथ की धीरे-धीरे सुलगती आग फैलती गई और अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में चरमपंथियों का जमावड़ा होने लगा। जून 1984 में इंदिरा ने सेना को मंदिर परिसर में घुसने और 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' चलाने का आदेश दिया। स्वर्ण मंदिर परिसर में हजारों नागरिकों की उपस्थिति के बावजूद इंदिरा गांधी ने आतंकवादियों का सफाया करने के लिए सेना को धर्मस्थल में प्रवेश करने का आदेश दिया। इस ऑपरेशन में कई निर्दोष नागरिक भी मारे गए थे।
इसे लेकर उन्हें कई तरह की राजनीतिक समस्याओं का सामना करना पड़ा। इसी के बाद सिख समुदाय में इंदिरा गांधी को लेकर आक्रोश की भावना पैदा हुई। उनके इस एक फैसले का अंजाम यह हुआ कि 31 अक्टूबर, 1984 को उन्हीं के सुरक्षाकर्मियों सतवंत सिंह और बेअंत सिंह ने उन्हें गोली मार दी।
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फिल्म 'बेल बॉटम' में लारा दत्ता निभा रही हैं इंदिरा गांधी का किरदार
मंगलवार शाम को फिल्म 'बेल बॉटम' का ट्रेलर लॉन्च हुआ, जिसमें इंदिरा गांधी के किरदार में लारा दत्ता हैं। उनके किरदार को देख उनके फैंस एकदम आश्चर्यचकित हैं। लारा के लुक की बड़ी तारीफ की जा रही है। ट्रेलर लॉन्च में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान लारा दत्ता ने बताया कि उन्होंने बिना स्क्रिप्ट सुने ही इस फिल्म के लिए हां कह दिया था। उन्हें जैसे ही पता चला कि इस फिल्म में उन्हें इंदिरा गांधी का किरदार करना है, उन्होंने फौरन हामी भर दी।
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