अपने हुनर, आकर्षक व्यक्तित्व, दूसरों से अलग करने की चाह और सपनों को पूरा करने की लगन ने डॉक्टर स्वाति पीरामल को एक ऐसी पहचान दी है जो हम सभी को कुछ नया सीखने की प्रेरणा देती है।
एक सफल साइंटिस्ट,डॉक्टर और बिजनेस वुमन स्वाति पीरामल ऐसी हस्ती हैं जो ये मानती हैं कि आप जो कुछ भी करते हैं वह आने वाली पीढ़ी के लिए विरासत होना चाहिए। डॉ स्वाति पीरामल ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन हैं, पीरामल फाउंडेशन की निदेशक हैं और अपने नाम कई पुरस्कार और सम्मान कर चुकी हैं।
हर ज़िन्दगी के साथ एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में डॉ पीरामल से AVP & Business Head- Health & Lifestyle Jagran New Media, Megha Mamgain ने बातचीत की। आइए आपको बताते हैं उनके साथ हुई ख़ास बातचीत के कुछ अंश।
कैसे मिली डॉक्टर बनने की प्रेरणा
डॉ पीरामल को डॉक्टर बनने की प्रेरणा उनके परिवार में हुई एक घटना से मिली। उनके परिवार के एक बच्चे पर वैक्सीन का साइड इफ़ेक्ट होने से उसका पूरा चेहरा नीला पड़ गया। उस समय उनकी मां का डॉक्टर को ढूंढ़ना और डॉक्टर के पद की रिस्पेक्ट ने डॉ स्वाति के मन में भी इस पद को हासिल करने की प्रेरणा जगा दी। उनके डॉक्टर बनने का दूसरा कारण था कि जब वो अपनी MBBS की पढ़ाई कर रही थीं तब उनकी शादी हो गई।
तब वो एक दिन परेल जा रही थीं और उन्होंने एक ऐसी बच्ची को देखा जिसके शरीर का आधा हिस्सा पैरलाइज़्ड था। वो बच्ची न तो खेल सकती थी और न ही अपने कई काम कर सकती थी।
उस समय स्वाति जी ने परेल को नो पोलियो जोन बनाने की ठानी। उस समय मेडिकल स्कूल में अपने दोस्तों के साथ मिलकर उन्होंने स्केट्स बनाए और पोलियो को लेकर मिथकों के बारे में बात की। उन्होंने लोगों को बताया कि यह एक वायरस है और इसे वैक्सीन से रोका जा सकता है।
उस समय उन्होंने 25,000 मरीजों को अपने छोटे से क्लीनिक में पोलियो की वैक्सीन दी और परेल को नो पोलियो जोन बनाने में सफल हुई। उस समय उन्हें एहसास हुआ कि मेडिकल क्षेत्र वास्तव में किसी का भी जीवन बदल सकता है और उन्होंने डॉक्टर बनने और अपनी पढ़ाई पूरे करने की ठानी।
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हार्वर्ड से पूरी की मेडिकल की पढ़ाई
डॉ पीरामल ने अपने जीवन में कुछ घटनाओं के बाद अपनी मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने की ठानी और उन्होंने हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ से अपनी पढ़ाई पूरी की। उस समय उनकी उम्र 38 साल थी और वो दो बच्चों की मां थीं।
महिलाओं को हमेशा खुद को बेहतर बनाने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि जीवन में सीखने के अवसर बहुत आते हैं। कई बार मॉम गिल्ट सामने आता है और आपको आगे बढ़ने से रोकता है।
लेकिन डॉ पीरामल का परिवार उनके लिए हमेशा सपोर्टिव था और उन्हें पढ़ाई पूरी करने में परिवार का पूरा साथ मिला। पढ़ाई के साथ उन्होंने अपने बच्चों को समय दिया और वो अपने बच्चों के लिए भी प्रेरणा बनीं।
डॉ पीरामल जब पढ़ाई पूरी करके वापस आईं उस समय उन्होंने अपने मेडिकल स्किल्स को देश की सेवा के लिए अप्लाई करना शुरू कर दिया। वास्तव में उनका हुनर और अपने लक्ष्य को पाने का जज्बा हम सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा है।
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बोर्ड रूम में अपनी साख अपने बलबूते पर
जब डॉ पीरामल पीरामल परिवार में आईं, तब ब्रांड में विविधता आई और उन्होंने बोर्ड में रहकर और लोगों को नए क्षेत्र को समझने में मदद की। डॉ पीरामल ने इसे एक रोमांचक चुनौती के रूप में देखा। वह 90 सालों में ASSOCHAM की पहली महिला अध्यक्ष बनीं।
डॉ पीरामल ने बोर्ड में शामिल होने के लिए एक असामान्य रास्ता अपनाया। वह उन अन्य महिलाओं को बुलाती थी जिन्हें वह जानती थी कि वे उस क्षेत्र में शीर्ष पर हैं और उनसे उनकी सलाह लेती थीं।
डॉ पीरामल की एक ख़ास बात जो उनकी नेतृत्व शैली को सबसे अलग बनाती है, वह यह है कि अपनी पूरी यात्रा के दौरान उन्होंने हमेशा ग्राहकों के बारे में सोचने, छोटे शेयरधारक के बारे में सोचने और उनके हितों का प्रतिनिधित्व करने की कोशिश की।
बोर्ड रूम में जाते समय डॉ पीरामल को कभी ऐसा नहीं लगा कि वो पुरुषों से किसी भी मामले में कम हैं। वो जहां भी जाती हैं अपनी पूरी तैयारी के साथ जाती हैं, ऐसा शायद कई पुरुष भी नहीं करते हैं।
वो किसी भी चीज के बारे में हजार पन्नों से भी ज्यादा की जानकारी लेती हैं और उसके बाद ही कुछ बोलती हैं। वो कभी भी बिना तैयारी के बोर्ड रूम में नहीं जाती हैं और ये खासियत उन्हें सबसे अलग बनाती है।
आजादी के 100 साल बाद कैसा होगा एक छोटी बच्ची का भविष्य
डॉ पीरामल आजादी के 100 साल बाद यानी कि साल 2047 में देश की बच्चियों के उज्जवल भविष्य की कल्पना करते हुए एक कविता के रूप में अपने सपने को प्रस्तुत करती हैं।
Little flower, you were hidden in my heart,
I want to give you hope which is hidden in the dark
My daughter, I have a dream for you
I dream of an India where women are equal, where my daughter is not one of the missing ones
Where you are strong and energetic
Where you have not have to work miles to get clean water
Where women are not just a deity to be worshiped but a flame for the soul
I wish I could take a quiet corner in your heart, little flower
Where the stars will talk to your of hope and the sky will bend down to show you the limitless
Where reason makes strong laws to protect you
For fear of losing you I hold you tight in love and protection, equal to all
The fairy mistress of dreams is flying towards you
I dream of a day little flower, when you my dear daughter, will not be driven by the compulsion of want or fear
Can be well educated and not marry too early and have children after you become an adult
Where worry for food does not cloud your horizon
where you can earn for your family
Where you and your future children are healthy
Where women are empowered, let them see your face and know you are the future
Go and stand amidst the disbelieving hearts
To create a new India, where you are my daughter are a vital, powerful economic force
Little flower, my song will be a faithful star where the dark moon is on your road
And will give you sight in the heart of things
My song will be like a pair of wings to your dreams
HZ इंटरव्यू में पहनी मां की साड़ी
डॉ पीरामल का स्टाइल सबसे अलग है वो अपने देश की अम्बेस्डर बनना पसंद करती हैं। वो पैंटसूट के बजाय साड़ी पहनना पसंद करती हैं। वो हाथ की बनी चीजों को पसंद करती हैं और ऐसे कपड़े पहनना पसंद करती हैं जो किसी भी तरह से हाथ की कला को दिखाते हों। टेक्सटाइल को वो अपनी विरासत का एक हिस्सा मानती हैं इसलिए वो जहां भी जाती हैं टेक्सटाइल को बढ़ावा देने की कोशिश करती हैं।
हर ज़िन्दगी के साथ इंटरव्यू में भी डॉ पीरामल ने अपनी मां की साड़ी पहनी। उनकी मां की साड़ी पारसी गारा की कला को दिखाने वाली थी। हमारे देश में साड़ी की कई वैरायटी हैं जिसमें सिल्क, बनारसी, पटोला जैसी साड़ियां हैं जो वास्तव में ख़ास हैं। डॉ पीरामल विदेश में भी अपनी संस्कृति कायम रखने के लिए पैंटसूट की जगह साड़ी पहनना ही पसंद करती हैं।
डॉ पीरामल का स्पिरिचुअल गार्डन है ख़ास
डॉ पीरामल ने अपने घर में ही स्पिरिचुअल गार्डन बनाया है। उनके गार्डन में आर्किड की अनोखी वैरायटी मौजूद हैं। उनके गार्डन में आपको भारत के विभिन्न धार्मिक स्थलों की छवि देखने को मिलेगी।
उनके गार्डन में काशी विश्वनाथ मंदिर, कामाख्या मंदिर, जगन्नाथ पुरी मंदिर के छोटे प्रतिरूप मौजूद हैं। उनका गार्डन कई फूलों से भरा हुआ है और फूल उनके पैशन का हिस्सा हैं। उनके गार्डन में फूलों की कई रेयर वैरायटी भी हैं।
उनके गार्डनिंग के शौक को ऐसे जाना जा सकता है कि डॉ पीरामल ने 2018 में चेल्सी फ्लावर शो में हिस्सा लिया और मेडल जीता। यह पहली बार था जब चेल्सी में एक भारतीय गार्डन मौजूद था। शो के दौरान, डॉ पीरामल ने हिमालयन ब्लू पॉपी नामक फूल दिखाया, जो कई साल पहले अंग्रेजों द्वारा भारत से लिया गया एक दुर्लभ फूल है, जो स्कॉटलैंड में बढ़ता है लेकिन भारत में लगभग विलुप्त हो गया है। शो में फूलों को सभी ने पसंद किया और डॉ पीरामल को पदक दिलाया।
डॉ पीरामल के जीवन के माइलस्टोन
उनके जीवन में कई चीजें माइलस्टोन साबित हुईं। डॉ पीरामल का मेडिकल की पढ़ाई के लिए हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने से लेकर पद्म श्री जैसे कई बड़े अवार्ड अपने नाम करना उनके जीवन के लिए मील का पत्थर थे।
अपने भविष्य को लेकर वो सोचती हैं कि जब वो कभी सेवानिवृत्त होंगी उस समय जीवन का पूरा आनंद लेंगी और वो आदिवासी क्षेत्रों में महिलाओं के बारे में काम करेंगी, जिससे उनकी समस्याओं का समाधान मिले।
डॉ पीरामल कहती हैं कि "अगर मेरे पास समय है और कुछ न करना हो, तो मैं अपने पोते-पोतियों के साथ खेलूंगी और मैं उन्हें विज्ञान, चिकित्सा, नवाचार, कला, संस्कृति, बगीचे और फूलों, परियों की कहानी के बारे में बताऊंगी, मैं उन्हें वह सब कुछ सिखाऊंगी जो मुझे पसंद है।"
अपनी लगन के ज़रिए आने वाली पीढ़ी के लिए विरासत तैयार करने वाली डॉ स्वाति पीरामल वास्तव में हम सभी के लिए प्रेरणा स्रोत हैं और महिलाओं को निरंतर अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रयास करने के लिए प्रेरित करती हैं।
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