खेलों में जब भी बॉक्सिंग या मुक्केबाजी के खेल की बात आती है दिमाग में पुरुषों की छवि बनने लगती है। लेकिन भारत की महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं हैं। शिक्षा हो, खेल हो या फिर व्यवसाय, महिलाओं ने हर जगह एक अलग मुकाम हासिल करके इतिहास कायम किया है। फिर जब मुक्केबाजी की बात की जाए तो लड़कियां भला कैसे पीछे रह सकती हैं। ऐसा ही एक उदाहरण इस बार के टोक्यो ओलंपिक्स 2021 में देखने को मिला जब भारत की तरफ से ओलंपिक्स में मुक्केबाजी के खेल में हिस्सा लेने वाली लवलीना बोरगोहेन ने सेमी फाइनल में जगह बनाकर ब्रॉन्ज मैडल अपने नाम कर लिया।
लवलीना भले ही फाइनल जीतकर गोल्ड नहीं ला सकीं लेकिन बॉक्सिंग जैसे खेल में ब्रॉन्ज मेडल जीतना भी किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है। असं के छोटे से गांव से निकलकर बॉक्सिंग के खेल में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली लवलीना वास्तव में सभी के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। आइए जानें कौन हैं बॉक्सर लवलीना और इनसे जुड़ी कुछ महत्त्वपूर्ण बातें।
लवलीना बोरगोहेन का जन्म 2 अक्टूबर 1997 को असम के गोलाघाट जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था। उनके माता-पिता का नाम टिकेन और मामोनी बोरगोहेन है I उनके पिता टिकेन एक लघु-स्तरीय व्यापारी हैं और उन्होंने अपनी बेटी को हमेशा इस खेल के लिए प्रोत्साहन दिया। लवलीना की बड़ी जुड़वां बहनें लिचाऔर लीमा ने भी राष्ट्रीय पर किकबॉक्सिंग में भाग लिया किंतु उसे आगे जारी नहीं रख सकीं I आपको बता दें कि लवलीना बोरगोहेन को भी बचपन से ही बॉक्सिंग का शौक तथा और उन्होंने भी अपनी बहनों की तरह अपना करियर एक किकबॉक्सर के तौर पर शुरू किया था लेकिन बाद में मौका मिलने पर इसे मुक्केबाज़ी में परिवर्तित कर लिया I लवलीना बोरगोहेन ने भारत की तरफ से टोक्यो ओलंपिक 2021 में बॉक्सर के रूप में क्वालीफाई किया और सेमीफइनल में जगह बनाने के साथ ब्रॉन्ज मेडल अपनी झोली में डाल लिया।
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लवलीना बोरगोहेन का जन्म भले ही परिवार में हुआ हो लेकिन उन्हें हमेशा अपने माता -पिता का पूरा सपोर्ट मिला। लवलीना बोरगोहेन को इनके माता-पिता के साथ इनकी बहनों का भी प्यार और सपोर्ट मिला। उनकी दो बहनें लीमा बोरगोहेन और लीना बोरगोहेन हैं। लवलीना बोरगोहेन के पिता का खुद का एक छोटा सा व्यापार था, जिससे उन्हें अपने परिवार को चलाने के लिए कई बार आर्थिक समस्याओं का सामना भी करना पड़ा। लेकिन विपरीत परिस्थियों में भी उनके पिता ने बेटी को पूरा सहयोग दिया और उनके सपोर्ट से ही लवलीना इतना बड़ा मुकाम हासिल कर पाईं। हालांकि उनके पिता ने एक मीडिया इन्तेर्विएव में ये भी कहा कि वो कभी भी अपनी बेटी को बॉक्सिंग करते हुए देख नहीं पाते हैं क्योंकि किसी भी पिता के लिए ये एक कठिन पल होता है जब उसकी बेटी किसी दुसरे के साथ ऐसे खेल में हो जिसमें उसे भी काफी मार खानी पड़ सकती है।
लवलीना बोरगोहेन ने अपने बॉक्सिंग करियर को और आगे बढ़ाने के लिए ट्रेनिंग ली। लवलीना को मुक्केबाजी की ट्रेनिंग प्रसिद्ध कोच पदम बोरो ने उनके प्रतिभा को पहचानते हुए दी। पदम बोरो ने लवलीना बोरगोहेन को स्कूल के एक शो में देखा, इस शो का नाम sports authority of India था। इस शो में लवलीना का प्रदर्शन देखते हुए उन्होंने उसे बॉक्सिंग की ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी। बहुत जल्द ही साल 2017 में लवलीना ने अपने इंटरनेशनल करियर की भी शुरुआत की। लवलीना अपना सबसे पहला इंटरनेशनल बॉक्सिंग कंपटीशन कजाकिस्तान में किया और कंपटीशन में लवलीना बोरगोहेन ने 75 किलोग्राम की कैटेगरी में ब्रोंज मेडल भी जीता।
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लवलीना ने इससे पहले अपने क्वार्टर फाइनल मैच में पूर्व विश्व चैंपियन चीनी ताइपै की नियेन चिन चेन को हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाते हुए अपना यह ब्रॉन्ज मेडल पक्का कर लिया था। उस मुकाबले में उन्होंने 4-1 से जीत दर्ज की थी। लवलीना का यह पदक पिछले 9 वर्षों में भारत का ओलंपिक बॉक्सिंग में पहला पदक है। आपको बता दें कि विश्व चैंपियनशिप की दो बार की कांस्य पदक विजेता लवलीना इस सेमीफाइनल मुकाबले में बुसेनाज ने खिलाफ शुरुआत से ही पिछड़ गईं थीं और वर्ल्ड चैंपियन बुसेनाज ने उन्हें जीत का कोई मौका नहीं दिया और वह सर्वसम्मति से 5-0 से जीत दर्ज करने में सफल रहीं। तुर्की की इस विश्व चैंपियन खिलाड़ी के दमदार मुक्कों और तेजी का लवलीना सामना न कर सकीं और गोल्ड पाने में असफल रहीं। हालांकि इतने कठिन मुकाबले में ब्रॉन्ज जीतना भी किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है और वो लवलीना ने कर दिखाया है।
टोक्यो ओलंपिक 2021 में मुक्केबाजी में ब्रॉन्ज मेडल हासिल करने वाली असम की 23 वर्षीय लवलीना बोरगोहेन हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत हैं और इस बात को साबित करती हैं कि यदि व्यक्ति के हौसले बुलंद हों तो कोई भी काम कठिन नहीं है।
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