herzindagi
p t usha women inspiration main

Birthday Special: पी टी ऊषा अपनी कड़ी मेहनत और लगन से बनीं वर्ल्ड चैंपियन, जानिए उनकी इंस्पायरिंग स्टोरी

'उड़नपरी' पी टी ऊषा अपनी जिंदगी की मुश्किलों का सामना करते हुए कैसे बनीं वर्ल्ड चैंपियन, जानिए उनकी इंस्पिरेशनल स्टोरी।
Editorial
Updated:- 2020-06-27, 09:47 IST

भारत के कई स्पोर्ट्स स्टार्स ने समय-समय पर अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से देश का नाम ऊंचा किया है। ऐसे ही खिलाड़ियों में शामिल रही हैं पी टी ऊषा, जिन्होंने एथलेटिक्स में अपनी अलग पहचान कायम की। 70, 80 और 90 के दशक में पी टी ऊषा ने कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और जीत हासिल की। केरल के एक छोटे से गांव पायोली से ताल्लुक रखने वाली पी टी ऊषा का बचपन गरीबी में बीता। परिवार की खराब आर्थिक स्थिति के चलते उन्होंने कई तरह की मुश्किलें उठाईं, लेकिन एथलेटिक्स के लिए वह हमेशा पैशनेट रहीं। इसी लगन ने उन्हें 'गोल्डन गर्ल' और 'पायोली एक्सप्रेस' जैसे नाम दिए। 27 जून यानि आज पी टी ऊषा का बर्थडे हैं। इस मौके पर आइए उनकी इंस्पिरेशनल जर्नी के बारे में जानते हैं-

ऐसा रहा पी टी ऊषा का करियर

golden girl of athletics

पी टी ऊषा ने 1976 में अपने टैलेंट से डिस्ट्रिक्ट लेवल पर 250 रुपये की स्कॉलरशिप जीती थी और इसके बाद उन्हें 'क्वीन ऑफ ट्रेक एंड फील्ड' के नाम से जाना जाने लगा था। उनका टैलेंट पहचाना ओम नांबियार ने, जो उस समय एथलेटिक्स कोच हुआ करते थे। ओम नांबियार पी टी ऊषा की दौड़ से प्रभावित हुए थे और उन्होंने उन्हें कोचिंग देने का फैसला किया। इसके बाद पी टी ऊषा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

इसे जरूर पढ़ें: Kiran Bedi Birthday: भारत की पहली महिला आईपीएस ऑफिसर रहीं किरण बेदी की लाइफ से लीजिए इंस्पिरेशन

पी टी ऊषा ने जीते कई अवॉर्ड्स 

ओम नांबियार की गाइडेंस में पी टी ऊषा ने खेल की बारीकियां सीखीं और इस दौरान हुई कई प्रतिस्पर्धाओं में जीत हासिल की। साल 1980 में मॉस्को ओलंपिक्स से उन्होंने अपने इंटरनेशनल करियर की शुरुआत की। इसके बाद 1982 में हुए एशियन गेम्स में उन्होंने सिल्वर मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया। एशियन मीट जकार्ता में उन्होंने गोल्ड मेडल्स की झड़ी लगा दी और एक के बाद एक 5 गोल्ड मेडल जीते। 1986 में एक बार फिर उन्होंने 4 गोल्ड और 1 सिल्वर मेडल अपनी योग्यता साबित की। 

 

शादी और बच्चा होने के दौरान लिया था 4 साल का ब्रेक

p t usha golden girl

पी टी ऊषा ने 1991 में वी श्रीनिवासन से शादी कर ली और खेल से ब्रेक ले लिया। इस दौरान उनके आलोचकों ने आशंका जताई कि अब वह खेल में वापसी नहीं करेंगी, लेकिन उन्होंने धैर्य बनाए रखा। पी टी ऊषा ने बेटे उज्ज्वल को जन्म दिया और अपने बेटे की परवरिश पर इस दौरान पूरा ध्यान दिया। 4 साल के ब्रेक के बाद उन्होंने एक बार फिर से ट्रैक पर वापसी की और 1994 में एशियन गेम्स ऑफ हिरोशिमा में सिल्वर मेडल हासिल किया। लॉस एंजिलिस में होने वाली 400 मीटर की रेस में उन्होंने चौथी रैंक हासिल की, जिसमें उनसे पहले किसी भारतीय फीमेल एथलीट ने हिस्सा नहीं लिया था। 

इसे जरूर पढ़ें: मुंबई की मेयर किशोरी पेडनेकर कोरोना पीड़ितों की सेवा करने के लिए फिर से बनीं नर्स, दिया ये इंस्पायरिंग मैसेज

पद्मश्री से सम्मानित हुई पी टी ऊषा

p t usha success journey

पी टी ऊषा ने 100 से ज्यादा चैंपियनशिप्स जीतीं, जिनमें 13 एशियन गेम्स के गोल्ड मेडल शामिल हैं। 1984 में उन्हें पद्मश्री और अर्जुन अवॉर्ड जैसे प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा गया। पी टी ऊषा ने जिस तरह से अपनी राह में आने वाली मुश्किलों का सामना करते हुए कामयाबी का सफर तय किया, वह हर भारतीय महिला के लिए इंस्पिरेशन है। उन्होंने साबित किया कि एक छोटे से गांव से होने के बावजूद वर्ल्ड चैंपियन बनने का सपना सच किया जा सकता है।

 

पी टी ऊषा का एथलेटिक्स के लिए डेडिकेशन और उनकी कड़ी मेहनत भारतीय युवाओं को हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो इसे जरूर शेयर करें। इंस्पायरिंग वुमन से जुड़ी अपडेट्स पाने के लिए विजिट करती रहें हरजिंदगी। 

Image Courtesy: pinterest

Herzindagi video

Disclaimer

हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।