इंडोनेशिया के जकार्ता-पालेमबर्ग में चल रहे 18वें एशियाई खेलों के छठवें दिन भारत की निशानेबाज हीना सिद्धू ने ब्रॉन्ज मेडल जीतकर भारत का झंडा बुलंद कर दिया है। हीना सिद्धू ने आज जो उपलब्धि हासिल की है, उसके पीछे उनकी कड़ी मेहनत और निरंतर अभ्यास है। इस काम में उनके पति रौनक पंडित ने भी उनका भरपूर साथ दिया है। दरअसल रौनक ही उनके कोच हैं। यही वजह है कि हीना अपनी सफलता का श्रेय अपने पति को ही देती हैं। इस कपल की लव स्टोरी भी लंबे वक्त तक सुर्खियों में रही थी।
हीना और रौनक की दोस्ती 2012 लंदन ओलंपिक से पहले हुई थी। हीना को जब पता चला कि वो लंदन ओलंपिक में हिस्सा लेने वाली हैं, तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था, लेकिन उनके पास तैयारी के लिए महज चार महीने का समय बचा था। हीना जब शूटिंग रेंज में प्रैक्टिस किया करती थीं, तब वहां रौनक भी हुआ करते थे। इसी दौरान दोनों में बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया। पहले-पहल रौनक ने हिना को खेल से जुड़े टिप्स दिए, लेकिन समय जैसे-जैसे आगे बढ़ा रौनक हीना को ट्रेनिंग देने के लिए बहुत संजीदा हो गए। यहां तक कि इस दौरान वह अपने खेल को भी इग्नोर करने लगे।
हीना ने एशियाई खेलों में पहली बार व्यक्तिगत स्पर्धा का मेडल जीता। एशियाई खेलों में यह उनका तीसरा मेडल है। हीना इससे पहले दो बार टीम स्पर्धा में मेडल जीत चुकी हैं। इसी साल गोल्ड कोस्ट में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में हीना ने दो मेडल (25 मी. एयर पिस्टल में गोल्ड और 10 मी. एयर पिस्टल में सिल्वर) जीते था। अब हीना का फोकस टोक्यो गेम्स 2020 पर है और वह इसके कड़ी मेहनत के लिए तैयार हैं।
गेम्स की तैयारी साथ में करते-करते हीना और रौनक इतने करीब आ गए कि एक-दूसरे को पसंद करने लगे। एक कपल के तौर पर इन्हें एक-दूसरे का साथ इतना पसंद आया कि इन्होंने ताउम्र साथ रहने का फैसला ले लिया। 2012 में इस कपल ने शादी कर ली। अब आलम यह है कि दोनों अपने खेल की हार-जीत का जश्न साथ ही मनाते हैं।
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हीना का शूटिंग को करियर के तौर पर चुनने की कहानी भी दिलचस्प है। हीना के भाई करनवीर सिंह पहले ही खेल से जुड़े रहे हैं। वह जूनियर स्तर पर शूटिंग मुकाबलों में हिस्सा ले चुके हैं। हीना के पिता राजदीप सिंह सिद्धू, एक्साइज एंड टैक्सेशन महकमे में उच्चाधिकारी रहे हैं। एक समय में हीना सिद्धू बीडीएस कर चुकी थीं और न्यूरोलॉजिस्ट बनना चाहती थी, लेकिन शूटिंग का शौक उन्हें हमेशा से रहा। साल 2006 में हीना मेडिकल में दाखिला लेने के लिए जमकर पसीना बहा रही थीं। घर में चाचा का बंदूकों की मरम्मत का बिजनेस था तो उन्होंने मजे-मजे में पिस्टल चलाना सीख लिया। पढ़ाई से जब भी उन्हें फुर्सत मिलती, तो वह निशानेबाजी में जुट जातीं। लेकिन धीरे-धीरे उनका यह शौक उनके फुल टाइम करियर में बदल गया। हीना ने साल 2008 से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व किया है। वर्ष 2009 में उन्होंने बीजिंग में आयोजित इंटरनेशनल चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता था। साल 2010 में गुआंगझू (चीन) में एशियन गेम्स में 10 मीटर एयर पिस्टल में गोल्ड मेडल जीता। वहीं 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स में इसी प्रतियोगिता में महिला व्यक्तिगत वर्ग में उन्होंने गोल्ड मेडल जीता था।
वह 2012 लंदन और 2016 रियो डी जेनेरियो ओलंपिक में भी हीना भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। कॉलेज के समय से ही उनके अवॉर्ड्स जीतने का सिलसिला शुरू हो गया था। 19 साल की उम्र में उन्होंने हंगेरियन ओपन जीता था। साल 2013 की विश्व शूटिंग प्रतियोगिता में 10 मीटर एयर पिस्टल टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक जीतने के साथ-साथ उन्होंने वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाया था। हीना के ससुर अशोक पंडित भी शूटिंग के द्रोणाचार्य विजेता हैं।
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