5 Female Wildlife Photographers जिन्होंने जंगल में बनाई अपनी पहचान

जंगलों में जाकर वन्यजीवों की तस्वीरें खींचना और दुर्लभ प्रजातियों को कैमरे में कैद करना आसान काम नहीं है, लेकिन कुछ ऐसी साहसी महिला वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर्स हमारे देश में हैं, जिन्होंने वन्यजीव फोटोग्राफी फील्ड में पहचान बनाई है। 
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वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी एक रोमांचक लेकिन चुनौतीपूर्ण पेशा है, जिसमें धैर्य, कौशल और दृढ़ता की जरूरत होती है। यह प्रोफेशन पारंपरिक रूप से पुरुषों का गढ़ माना जाता रहा है, लेकिन अब कई साहसी महिलाएं इस क्षेत्र में अपनी जगह बना रही हैं। वे न केवल प्रकृति के खूबसूरत पलों को कैमरे में कैद कर रही हैं, बल्कि वन्यजीव संरक्षण की प्रेरक कहानियां भी दुनिया के सामने ला रही हैं। इस महिला दिवस पर, हम ऐसी 5 निडर महिला वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर्स के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिन्होंने समाज की रूढ़िवादी सोच को तोड़ा, अपने जुनून को आगे बढ़ाया और आने वाली पीढ़ियों के लिए मिसाल कायम की है।

अपरूपा डे (Aparupa Dey)

wildlife photographer Aparupa Dey

अपरूपा डे एक वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर हैं, जिनका काम उनके गहरे पर्यावरण प्रेम को दर्शाता है। उन्होंने भारत की विविध जैव विविधता को कैमरे में कैद करने के लिए कई साल समर्पित किए हैं। वह अपनी फोटोग्राफी के जरिए उन प्रजातियों पर ध्यान खींचती हैं, जिनके बारे में कम जानकारी उपलब्ध है। उनकी तस्वीरें न केवल वन्यजीवों की खूबसूरती को दर्शाती है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण से जुड़े मुद्दों को भी उजागर करती है। इस फील्ड में अपरूपा ने उबड़-खाबड़ इलाकों, वन्यजीव मुठभेड़ और पुरुष प्रधान क्षेत्र जैसी चुनौतियां का सामना किया है।

आरज़ू खुराना (Aarzoo Khurana)

Aarzoo Khurana wildlife photographer in india

बचपन से ही आरज़ू खान घंटो पक्षियों को निहारतीं, उनके चमकीले रंग और उड़ान से मोहित हो जाती थीं। जब उन्हें 16 साल की उम्र में पहली बार कैमरा मिला था, तो उन्हें एहसास हुआ कि उनका असली सपना जंगल की खूबसूरती को कैमरे में कैद करना है। लेकिन, एक लड़की के लिए इस प्रोफेशन में कदम रखना आसान नहीं था, क्योंकि वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी हमेशा से पुरुष प्रधान क्षेत्र माना जाता था। आरज़ू खान ने फोटोग्राफी की बारीकियों को सीखा और इसमें उनके माता-पिता ने उनका पूरा साथ दिया, लेकिन समाज की मानसिकता उन्हें हमेशा डराती रही। आरजू़ को अकेले जंगल जाने को लेकर हमेशा चेतावनी दी जाती थी।

26 साल की उम्र में, उन्होंने अपने परिवार को सोलो ट्रिप पर जाने के लिए मना लिया। लेकिन, सफर की तैयारी शुरू होने से पहले उन्हें कई तरह की सलाह दी जाने लगी, लेकिन आरज़ू को केवल अपनी तस्वीरों की चिंता थी। उनका ध्यान पूरी तरह से जंगल के दुर्लभ जीवों को अपने लेंस में कैसे कैद किया जाए, इस बात पर था। जब वह पहली बार मैदान पर उतरीं, तो खुद को पूरी तरह जिंदा महसूस किया। हालांकि, उन्हें कई बार पुरुष फोटोग्राफर्स की उपेक्षा का सामना करना पड़ा। लेकिन, आरज़ू ने इन बातों पर ध्यान नहीं दिया और अपने काम को अपनी पहचान बनाने की ठान ली।

अर्पिता मूर्ति (Arpitha Murthy)

wildlife photographer Arpitha Murthy

अर्पिता एक रूढ़िवादी परिवार से हैं, जहां लड़कियों के लिए डॉक्टर, इंजीनियर या टीचर बनना सही माना जाता था, लेकिन कैमरा उठाकर जंगलों में घूमना? यह उनकी फैमिली में कभी किसी ने नहीं सोचा था। जब उन्होंने वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर बनने की इच्छा जाहिर की, तो माता-पिता परेशान हो गए कि अकेली लड़की का जंगलों में घूमना, क्या सेफ है? रिश्तेदार भी सवाल करने लगे, लेकिन अर्पिता ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने अपने घर के पास के पार्कों में पक्षियों और कीड़ों की तस्वीर खींचनी शुरू की और अपनी फोटोग्राफी को निखारना शुरू किया।

जब पहली बार अर्पिता जंगल गईं, तो उन्हें काफी डर लगा। उन्हें डर जंगली जानवरों का नहीं था, बल्कि उस समाज का डर था, जो उन्हें हर बार एहसास दिला रहा था कि यह दुनिया महिलाओं के लिए नहीं बनी है। लेकिन, धीरे-धीरे उन्होंने अपने डर पर काबू पाया और अपने कैमरे से खूबसूरत तस्वीरों को खींचकर साबित किया कि वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी केवल पुरुषों के लिए नहीं है, जंगल सभी के हैं चाहे वह पुरुष हो या महिला।

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लतिका नाथ (Latika Nath)

Latika Nath wildlife photographer

डॉक्टर लतिका नाथ को बाघ संरक्षण से उनके गहरे जुड़ाव के कारण भारत की टाइगर प्रिंसेस के रूप में जाना जाता है। उन्होंने वन्यजीव संरक्षण में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की है। हालांकि, जब उन्होंने बाघ संरक्षण के क्षेत्र में कदम रखा, तो यहां पूरी तरह पुरुष वर्चस्व था। लतिका ने जब बाघ संरक्षण क्षेत्र में कदम रखा, तो कई लोगों को यह बात रास नहीं आई। लोग उन्हें शिफॉन साड़ी वाली लड़की कहने लगे और उनके खिलाफ बातें बनानी शुरू कर दी।

लतिका को हमेशा महसूस कराया गया कि वह इस फील्ड के लिए नहीं बनी हैं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। हालांकि, 25 सालों तक लतिका को टारगेट पर रखा गया और उन्हें कभी भी किसी बड़ी पोस्ट पर नियुक्त नहीं किया जाए यह सुनिश्चित किया गया। उनके डिपार्टमेंट वालों ने उनकी IUCN कैट स्पेशलिस्ट ग्रुप की सदस्यता रोक दी, उन्हें अंतरराष्ट्रीय संगठनों में काम करने से ब्लैकलिस्ट कर दिया और उनके खिलाफ़ झूठी अफवाहें फैलाईं। लेकिन, लतिका ने हार नहीं मानी और उन्होंने अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी और जीत भी हासिल की।

अब, लतिका अपने संरक्षण कार्य को फोटोग्राफी के जरिए आगे बढ़ाती हैं। उनकी तस्वीरें बाघों और प्राकृतिक पर्यावरण की खूबसूरती को जीवंत रूप में दिखाती हैं।

ऐश्वर्या श्रीधर (Aishwarya Sridhar)

Aishwarya Sridhar wildlife photographer

जब ऐश्वर्या श्रीधर ने अपने वन्यजीव फोटोग्राफी करियर की शुरुआत की थी, तो लोग अक्सर उनकी उम्र और जेंडर को लेकर सवाल किया करते थे। हालांकि, समय के साथ उन्होंने खुद को साबित किया और उनकी फोटोग्राफी को पहचान मिलने लगी। लेकिन, सफलता के साथ उन्हें आलोचना की भी सामना करना पड़ा। एक बार, एक पुरुष कैमरामैन को काम पर न रखने पर ऐश्वर्या को ऑनलाइन काफी ट्रोल किया गया। उनके बारे में गलत अफवाह फैलाई गई और उन्हें नीचा दिखाया गया। ऐश्वर्या ने सबकुछ सहन किया, लेकिन हार नहीं मानी। वह जानती थीं कि भारत में एक महिला होने का मतलब है कि हर दिन खुद को साबित करना। उन्होंने अपने कैमरे से प्रकृति की सुंदरता को सामने लाया और आज वह पुरस्कार विजेता फोटोग्राफर हैं।

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Image Credit - instagram /@aarzoo_khurana, aparupa.dey, arpitha_s_murthy, latikanath,chikoo_wild


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