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World Osteoporosis Day 2020: ऑस्टियोपोरोसिस में जरा सी चोट से भी टूट जाती है हड्डी, ऐसे करें बचाव

World Osteoporosis Day पर हम आपको इस बीमारी के बारे में पूरी जानकारी दे रहे है ताकि आप समस्या के बिगड़ने से पहले इसका इलाज करा सकें। 
Editorial
Updated:- 2020-10-20, 13:49 IST

World Osteoporosis Day हर साल 20 अक्टूबर को मनाया जाता है। ताकि लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक कराया जा सकें। ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी समस्‍या है जिसमें हड्डियां का कमजोर होने लगती है। इस बीमारी का उम्रदराज लोगों को अधिक सामना करना पड़ता है खासतौर से महिलाओं को। लेकिन आजकल कम उम्र की महिलाओं अर्थात्, 20-40 वर्ष में भी यह समस्‍या देखने को मिलती है। जी हां ये समस्या पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक पाई जाती है, इसलिए 50 साल की उम्र के बाद हर 3 में 1 महिला को यह समस्या होती है। ऑस्टियोपोरोसिस एक नॉर्मल डिर्स्‍आडर है, जो जोड़ों की सूजन के कारण होता है। यह एक कमजोर पड़ने वाली मस्क्यूकोस्केलेटल स्थिति है जो दर्द से जुड़ी होती है। इस बीमरी में शुरुआती निदान बेहद जरूरी है, ताकि समस्या के बिगड़ने से पहले लोग जल्द से जल्द इसका इलाज करा सकें। 

ऑस्टियोपोरोसिस यानि बुजुर्गो या उम्र बढ़ने पर हड्डियों का कमजोर होना एक आम समस्या है, जिससे हडि्डयों के टूटने/फ्रैक्चर की संभावना बढ़ जाती है। विशेष रूप से हिप्‍स, रीढ़ की हड्डी और कलाई की हड्डी में फ्रैक्चर की संभावना सबसे अधिक रहती है। ऐसी स्थिति में जरा सी चोट लगने या कहीं टकराने पर भी हड्डी टूट जाती है। जेपी हॉस्पिटल के आर्थोपेडिक्स विभाग के चिकित्सक डॉक्‍टर अभिषेक कुमार का कहना है कि 'ऑस्टियोपोसिस के कारण हड्डी टूटने की संभावना 50 प्रतिशत लोगों में, ब्रेस्‍ट कैंसर की संभावना 9 प्रतिशत लोगों में और दिल की बीमारियों की संभावना 31 प्रतिशत लोगों में होती हैं। ऑस्टियोपोसिस के कारण हड्डी टूटना एक बड़ी समस्या है, जो अक्सर उम्र बढ़ने के साथ होती है।'

osteoporosis pathophysiology

ऑस्टियोपोसिस के लक्षण

  • पीठ में दर्द, जो अक्सर वर्टेबरा में खराबी या फ्रैक्चर के कारण होता है।
  • समय के साथ लंबाई कम होना। 
  • पीठ में झुकाव, जिससे हड्डी टूटने की संभावना का बढ़ना।

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ऑस्टियोपोरोसिस के कारण

  • कुछ कारणों से ऑस्टियोपोरोसिस की संभावना बढ़ जाती है, जैसे- 
  • कॉर्टिकोस्टेरॉयड, एंटी-डीप्रेसेन्ट, एंटी-हाइपरटेंसिव, एंटी-कॉन्वलसेंट जैसी दवाएं। 
  • स्‍ट्रोक 
  • हाइपरथॉयराइडिज्म रोग में ली जाने वाली दवाएं! 
  • जिस व्यक्ति में पहले कभी हड्डी टूटी हो। उनमें भविष्य में ऑस्टियोपोरोसिस के कारण फ्रैक्चर की संभावना अधिक होती है।
  • डिप्रेशन, डिप्रेशन भी कभी-कभी ऑस्टियोपोरोसिस का कारण बन सकता है। डिप्रेशन से कॉर्टिसोल नामक हार्मोन बनता है जो हड्डियों से मिनरल्स को सोखकर उन्हें कमजोर बनाता है।

osteoporosis symptoms

ऑस्टियोपोरोसिस से बचने के उपाय

  • एक्‍सरसाइज करें, क्योंकि एक्‍सरसाइज जैसे सैर करने, योगा आदि से न केवल मसल्‍स मजबूत होती हैं, बल्कि बॉडी में कैल्शियम का बैलेंस भी बना रहता है। लेकिन अगर आपकी हड्डियां कमजोर हैं तो जॉगिंग, ट्रेडमिल और टेनिस जैसी एक्‍सरसाइज करने से बचना चाहिए। 
  • अपने लिए सही फुटवियर चुनें, कम हील वाले, रबड़ सोल से युक्त, सही फिटिंग वाले फुटवियर पहनें। अगर आपको आर्थराइटिस जैसी समस्या है तो चलते समय आप छड़ी या डिवाइस का सहारा ले सकते हैं। 
  • 80 वर्षीय स्‍मोकिंग करने वालों की हड्डियों में मिनरल डेंसिटी 10 प्रतिशत कम होती है, जिससे उनमें स्पाइनल फ्रैक्चर की संभावना दोगुनी हो जाती है, इसी तरह हिप फ्रैक्चर की संभावना भी 50 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। साथ ही स्‍मोकिंग करने वालों में टूटी हड्डी ठीक होने में ज्यादा समय लगता है। इसलिए स्‍मोकिंग से बचना चाहिए। 

osteoporosis treatment

 

  • कैल्शियम हड्डियों के लिए बेहद जरूरी है। मरीज को रोजाना 1200 मिलीग्राम कैल्शियम का सेवन करना चाहिए। एक व्यक्ति को 700 मिलीग्राम कैल्शियम अपनी डाइट से मिल जाता है। इसलिए बाकी का 500 मिलीग्राम कैल्शियम उसे सप्लीमेंट के रूप में लेना चाहिए। डेयरी प्रोडक्‍ट जैसे दूध, चीज, योगर्ट, हरी पत्तेदार सब्जियां, ब्रोकली, सॉफ्ट बोन फिश जैसे टिन्ड सालमन और ट्यूना में कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता है। 
  • विटामिन डी भी बहुत जरूरी है, यह कैल्शियम के अवशोषण में हेल्‍प करता है। फोर्टिफाइड फूड्स, नमकीन पानी में रहने वाली मछली और लिवर में विटामिन डी भरपूर मात्रा में होता है। हालांकि विटामिन डी के लिए हमें डाइट पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं, यह धूप के सेवन से भी बॉडी में खुद ही बन जाता हैं।

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  • ऑस्टियोपोरोसिस पुरुषों और महिलाओं दोनों में हो सकता है। लेकिन जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके है कि महिलाओं में मेनोपॉज के बाद इसकी संभावना अधिक होती है। ऑस्टियोपोरोसिस अक्सर 55 साल के बाद महिलाओं को होता है। हालांकि पुरुषों में 65 साल की उम्र के बाद इसकी संभावना बढ़ जाती है। इसलिए इस उम्र के बाद हड्डियों का डेक्सा स्कैन कराना चाहिए। इसमें टी-स्कोर के द्वारा मरीज की हड्डियों की डेनसिटी की जांच की जाती है।

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Source: IANS

 

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