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World Arthritis Day 2019: आर्थराइ‍टिस को गंभीर होने से बचाने के लिए इसके 3 प्रकार के बारे में जान लें

आर्थराइटिस एक ऐसी बीमारी बन गई है, जिससे महिलाएं सबसे ज्‍यादा शिकार होती है। आइए वर्ल्‍ड आर्थराइटिस डे पर एक्‍सपर्ट से आर्थराइटिस के विभिन्‍न रूपों के बारे में जानें।
Editorial
Updated:- 2019-10-11, 18:46 IST

यूं तो आर्थराइटिस की प्रॉब्‍लम बुजुर्गों में देखने को मिलती है, लेकिन बदलती लाइफस्टाइल और गलत खानपान के कारण आज आर्थराइटिस युवाओं को भी अपनी चपेट में ले रहा है। जी हां आर्थराइटिस एक ऐसी बीमारी बन गई है, जिससे हमारा देश लगातार जूझ रहा है। खासतौर पर महिलाएं इसकी सबसे ज्‍यादा शिकार होती है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि एक उम्र के बाद महिलाओं की बॉडी में कैल्शियम कम हो जाता है। हालांकि, मेडिकल सांइस में प्रोग्रेस से इस समस्या से ग्रस्‍त लोगों को काफी फायदा मिला है। लेकिन आर्थराइटिस के विभिन्न रूपों के बारे में जानना बेहद जरूरी है। आइए वर्ल्‍ड आर्थराइटिस डे (World Arthritis Day) पर एक्‍सपर्ट से आर्थराइटिस के विभिन्‍न प्रकार के बारे में जानें।

अर्थराइटिस के प्रकार

  • रूमेटॉयड अर्थराइटिस
  • सोरायाटिक अर्थराइटिस
  • ओस्टियो आर्थराइटिस

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सोरियाटिक आर्थराइटिस

नोएडा स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल में इंटरनल मेडिसिन रूमेटोलॉजी कंसल्टेंट डॉक्‍टर बिमलेश धर पांडेय का कहना है, "पिछले कई सालों में सोरियाटिक आर्थराइटिस के बहुत सारे मामले देखने को मिले है। सोरायसिस से पीड़ित मरीजों को इससे जुड़ी परेशानी की जानकारी नहीं होती है और समय के साथ सोरियाटिक आर्थराइटिस हो जाता है।" एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि एक-चौथाई सोरायसिस मरीज सोरियाटिक आर्थराइटिस से पीड़ित पाए जाते हैं।

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डॉक्‍टर पांडे के अनुसार, सोरायटिक आर्थराइटिस का कोई स्थाई इलाज नहीं है और समय के साथ इसमें होने वाला परिवर्तन अलग-अलग मरीजों में अलग नजर आता है। समय पर जांच और इलाज के विकल्पों द्वारा इसके लक्षणों को प्रभावी रूप से संभाला जा सकता है।

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सोरियाटिक आर्थराइटिस

मुंबई के गोरेगांव स्थित क्वेस्ट क्लीनिक में इंटरनल मेडिसिन रूमेटोलॉजी के फिजीशियन डॉक्‍टर सुशांत शिंदे ने कहा, "सोरियाटिक आर्थराइटिस कई सारे जोड़ों को प्रभावित कर सकता है, जैसे उंगलियों, कलाइयों, टखनों के जोड़ों और यह जोड़ों में सूजन, दर्द और अकड़न छोड़ जाता है। सोरायसिस मरीजों के लिए इसके लक्षणों पर नजर रखना जरूरी है। इस बीमारी की देखभाल के लिए मरीजों को जीवनशैली में बदलाव की सलाह दी जाती है। इन प्रमुख बदलावों में संतुलित आहार लेना और धूम्रपान छोड़ना शामिल है।"

 

ऑस्टियो आर्थराइटिस

लेकिन, भारत में पाया जाने वाला सबसे आम आर्थराइटिस ऑस्टियो आर्थराइटिस है। इसके कारण जोड़ों के लिए कुशन का काम करने वाले कार्टिलेज घिस जाते हैं। इससे जोड़ों में सूजन और दर्द हो जाता है। ऑस्टियो आर्थराइटिस उम्र बढ़ने, मोटापा, हॉर्मोन्स के अनियंत्रित हो जाने और बैठे रहने वाली जीवनशैली के परिणामस्वरूप होता है। आमतौर पर घुटने, कूल्हे, पैर और रीढ़ इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।

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रूमेटॉयड आर्थराइटिस

रूमेटॉयड आर्थराइटिस (आरए), आर्थराइटिस का एक अन्य प्रकार है। आरए एक ऑटोइम्यून डिसीज है, जिसमें इम्‍यूनिटी शरीर पर, खासतौर से जोड़ों पर हमला करना शुरू कर देती है। नजरंदाज करने पर जोड़ों में सूजन और गंभीर क्षति हो सकती है। आरए के मरीजों की त्वचा पर गांठें बन जाती हैं जिन्हें रूमेटॉयड नॉड्यूल्स कहते हैं। यह अक्सर जोड़ों जैसे पोरों, कुहनी या ऐड़ी में होता है।

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लेकिन आप परेशान ना हो क्‍योंकि अपनी आदतों और खान-पान में बदलाव करके इस समस्‍या को कंट्रोल किया जा सकता है। साथ ही एक अमेरिकी अध्ययन में पाया गया है कि ठंड के दिनों में अगर विटामिन डी की भरपूर खुराक ली जाए तो कमर दर्द और जोड़ों के दर्द में काफी आराम मिलता है। योग गुरुओं का मानना है कि जोड़ों के दर्द में कई महत्वपूर्ण आसन या योग, जैसे गिद्धासन व प्राणायाम मदद करते हैं। आर्थराइटिस से बचने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि आप अपने खान-पान का खास ख्याल रखें। विटामिन बी जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने में मदद करता है और विटामिन बी3, नाइसिन युक्त पदार्थ जैसे मीट, मछली, चीज आदि खाएं।

All Image Courtesy: Pxhere.com

Source: IANS

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