पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) वाली महिलाओं से पैदा होने वाले बच्चों में ऑटिज्म होने की अधिक संभावना हो सकती है। एक अध्ययन से यह जानकारी सामने आई है। अध्ययन के मुताबिक, भारत में हर 5 में से 1 महिला पीसीओएस से प्रभावित होती है। अनचाहे बाल, लगातार बढ़ता वजन और अनियमित पीरियड्स जैसे लक्षणों को अनदेखा न करें क्योंकि यह पीसीओएस नाम की बीमारी के शुरुआती लक्षण भी हो सकते हैं।
लड़कियों और महिलाओं के बीच पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) एक पब्लिक हेल्थ प्रॉब्लम है, जिसके लिए सावधानीपूर्वक मूल्यांकन, समय पर हस्तक्षेप और उचित उपचार की आवश्यकता होती है। सही समय पर निदान न होने पर पीसीओएस महिलाओं को अन्य हेल्थ प्रॉब्लम्स जैसे हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, स्ट्रेस और डिप्रेशन, स्लीप एप्निया, हार्ट अटैक, डायबिटीज और एंडोमेट्रियल, ओवेरियन व ब्रेस्ट कैंसर के लिए कमजोर बना सकता है।
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आजकल, इस स्थिति के लिए एक अस्वास्थ्यकर आहार पैटर्न और बैठे रहने वाला जीवन प्रमुख जोखिम कारक बन गए हैं। पीसीओएस में इंसुलिन लेवल भी नॉर्मल से अधिक लेवल तक बढ़ता है, जो वजन बढऩे और अन्य मुद्दों का कारण बन सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, पीसीओएस के विशिष्ट लक्षणों में वजन बढऩा, थकान, अवांछित बाल उगना, बाल पतले होना, बांझपन, मुंहासे, पेल्विक पेन, सिर दर्द, नींद की समस्याएं और मूड स्विंग आदि शामिल हैं। ज्यादातर लक्षण युवावस्था के तुरंत बाद शुरू होते हैं और वे देर से किशोरों और प्रारंभिक वयस्कता में भी विकसित हो सकते हैं।
पीसीओएस ठीक नहीं हो सकता, लेकिन इसे बॉडी का वेट 5 से 10 प्रतिशत तक कम कर और लाइफस्टाइल में बदलाव लाकर मैनेज किया जा सकता है। साथ ही एक्टिव रूटीन बनाए रखना और हेल्दी फूड करना भी महत्वपूर्ण है। बदले में यह पीरियड्स को नियमित करने और ब्लड शुगर के लेवल को कम करने में मदद करेगा।
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