बेवक्त खाने, हेल्थ की अनदेखी, मशीनी लाइफस्टाइल और स्ट्रेस के कारण आजकल महिलाएं अनेक बीमारियों से ग्रस्त रहने लगी हैं। कैंसर, हार्ट डिजीज और अर्थराइटिस जैसी ना जाने कितनी बीमारियों से आज हर दूसरी महिला परेशान रहने लगी है। इन्हीं में से एक है पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम यानी पीसीओएस।
जी हां तनाव भरपूर जिंदगी में महिलाओं को कई हेल्थ संबंधी परेशानियां हो जाती है। बदलते लाइफस्टाइल और खान-पान के कारण हार्मोन्स से संबंधित यानी पीसीओएस की समस्या होने का खतरा भी बढ़ जाता है। जब महिलाओं के हार्मोन असंतुलित हो जाते है तो पीरियड्स भी अनियमित हो जाते है। पीरियड्स अनियमित होने से बॉडी को कई अन्य परेशानियां होने का खतरा बढ़ जाता है। पीसीओएस endocrine से जुड़ी ऐसी स्थिति है जिसमें महिलाओं की बॉडी में एंड्रोजेन या मेल हार्मोन अधिक होने लगते हैं। ऐसे में बॉडी का हार्मोनल बैलेंस बिगड़ जाता है। जिसका असर एग के विकास पर पड़ता है। इससे ओव्यूलेशन और पीरियड्स रुक सकते हैं।
पीसीओएस तब होता है जब सेक्स हार्मोन में असंतुलन पैदा हो जाता है। हार्मोन में ज़रा सा भी बदलाव पीरियड्स पर तुरंत असर डालता है। इस कंडीशन में ओवरी में छोटा सा सिस्ट बन जाता है। इस बीमारी को सही किया जा सकता है लेकिन तब जब लाइफस्टाइल सही हो और अपनी डाइट पर ध्यान दिया जाये। अगर हार्मोन लेवल को बैलेंस कर लिया जाए तो पीसीओएस को दूर भगाया जा सकता है। महिलाओं तथा लड़कियों को इससे बचने के लिये रेगुलर एक्सरसाइज करनी चाहिये और अपनी डाइट का विशेष ध्यान रखना चाहिए। आइए जानें पीसीओएस की समस्या होने पर क्या खाना चाहिए और किन फूड्स से बचना चाहिए।
पीसीओएस में क्या खाएं
फिश
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सालमन मछली में ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है जो कि ग्लाइसेमिक इंडेक्स में कम होता है। यह ना केवल दिल के बल्कि महिलाओं में एंड्रोजेन हार्मोन के लेवल को भी ठीक रखता है। साथ ही टूना मछली बहुत पौष्टिक होती है और उसमें बहुत सारा ओमेगा 3 फैटी एसिड और विटामिन पाया जाता है जो पीसीओएस से लड़ता है।
होल ग्रेन
होल ग्रेन ग्लाइसेमिक इंडेक्स में कम होते है और लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स इंसुलिन को बढने से रोकते हैं और आपके हार्मोंन को बैलेंस कर पीसीओएस से लड़ते हैं। इसलिए पीसीओएस से बचना चाहती हैं तो अपनी डाइट में इसे शामिल करें।
हर्ब्स
दालचीनी और मुलेठी दोनों हर्ब्स पीसीओएस को रोकने में आपकी हेल्प करते है। दालचीनी, यह मसाला बॉडी में इंसुलिन लेवल को बढने से रोकता है और मोटापा भी कम करता है। दालचीनी यह एक हर्बल उपचार है जिसे खाने से महिला की बॉडी में मेल हार्मोन कम होने लगता है और पीसीओएस से सुरक्षा मिलती है।
ब्रोकली और सलाद पत्ता
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यह ग्रीन वेजिटेबल विटामिन से भरपूर लेकिन कैलोरी में कम होती है। साथ ही इसमें फाइबर भरपूर मात्रा में होता है। फाइबर के कारण ब्लड शुगर कंट्रोल में रहता है और आपका पाचन तंत्र सही से काम करता है। पीसीओएस से परेशान हर महिला को ब्रोकली खानी चाहिए। इसके अलावा सलाद पत्ता भी अपनी डाइट में शामिल करें। यह बात तो हम सभी जानती हैं कि ग्रीन वेजिटेबल हेल्थ के लिए बहुत अच्छी होती है। इंसुलिन प्रतिरोध पीसीओएस का एक आम कारण होता है इसलिये अपने आहार में सलाद पत्ते को शामिल करें।
दूध और अंडे
जो महिलाएं पीसीओएस से लड़ रही हैं उन्हें कैल्शियम की आवश्यकता होती है। यह अंडे को परिपक्वत करने में, अंडाशय को विकसित और हड्डियों को मजबूत करने में हेल्प करता है। साथ ही यह महिलाओं में ब्लैडर इंफेक्शन से लड़ने में हेल्प करता है। इसलिए रोजाना दो गिलास बिना फैट का दूध जरूर पियें। इसके अलावा प्रोटीन से ब्लड शुगर कंट्रोल में रहता है। इसलिए अपनी डाइट में अंडे को शमिल करें। लेकिन ध्यान रहें कि अंडा यह पौष्टिक होता है इसलिये इसे जब भी उबाल कर खाएं तो इसके पीले भाग को निकाल दें क्योंकि यह हार्ट के लिये खराब होता है। इसमें हाई कोलेस्ट्रॉल होता है।
क्या ना खाएं
बहुत सी महिलाएं कुछ ऐसे फूड्स का सेवन कर लेती है, जिससे पीसीओएस का खतरा बढ़ने लगता है। अगर आप भी यहीं गलतियां कर रही है तो कुछ फूड्स से दूरी बनाएं। आइए जानें ऐसे कौन ये फूड्स।
रेड मीट
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रेट मीट में सैचुरेटेड फैट होता है जो एस्ट्रोजेन के लेवल को बढ़ाकर महिलाओं के वजन को भी बढ़ा देता है। वजन बढ़ने से महिलाओं को पीसीओएस होने का खतरा और भी ज्यादा बढ़ जाता है। इसलिए महिलाओं को रेड मीट से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।
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प्रोसेस्ड फूड
प्रोसेस्ड फूड में केमिकल्स, प्रिजर्वेटिव अन्य कई चीजें मौजूद होती है जिससे बॉडी का इंसुलिन लेवल बढ़ने लगता है और बॉडी में सूजन आने लगती है। जब बॉडी में सूजन रहने लगती है तो पीसीओएस होने की संभावना भी बढ़ जाती है।
अल्कोहल
अल्कोहल की अधिक मात्रा हार्मोन्स में असंतुलन बना देती है। जिससे बॉडी में एस्ट्रोजेन का लेवल बढ़ जाता है और पीसीओएस की संभावना बढ़ने लगती है। इसलिए पीसीओएस की समस्या से बचने के लिए अल्कोहल लेने से बचें।
चीनी
सफेद चीनी की अधिक मात्रा लेने से इंसुलिन के लेवल भी बढ़ने लगता है और पीसीओएस का संभावना भी हो सकती है। इसलिए अपनी डाइट में सफेद चीनी की मात्रा कम कर दें।
कैफीन
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बहुत से लोग ऐसी चीजों का सेवन करते है जिनमें कैफीन की मात्रा भी बढ़ जाती है। कैफीन एस्ट्रोजेन के लेवल को बढ़ा देती है जिससे महिलाओं को पीरियड्स और फर्टिलिटी में दिक्कते आने लगती है।
इस तरह आपको समझ में आ गया होगा कि आपको पीसीओएस की समस्या में क्या खाना है क्या नहीं।
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